पत्नी वस्तु नहीं इंसान है, उस से इंसान जैसा व्यवहार कीजिए, राहें अपने आप निकलेंगी
|परमेश जी,
ऊपर से आप की समस्या ऐसी प्रतीत होती है कि आप पर दया आने लगे। लेकिन इस के अनेक अमानवीय पक्ष भी हैं। आप कहते हैं कि पत्नी के दोनों गुर्दे खराब होने की बात आप से छुपाई गई है। लेकिन मुझे लगता है कि यह बात शायद आप की पत्नी और उस के मायके वालों को पता भी नहीं होगी। हो यह रहा है कि लड़कियों की चिकित्सा में बहुत लापरवाही बरती जाती है। बीमारी के कारण तक पहुँचने की अपेक्षा फौरी इलाज करवा कर काम चलाया जाता है। वक्त आने और उम्र हो जाने पर लड़की को ब्याह दिया जाता है, फिर सारी जिम्मेदारी उस के पति और ससुराल वालों की। ससुराल जाते ही लड़की के प्रति मायके वालों का स्नेह और प्यार उमड़ पड़ता है। क्यों की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है। अब ऐसे में लड़की के गर्भवती होने पर समस्याएँ आने लगती हैं, जाँच होने पर बीमारी का पता लगता है, ठीक आप की पत्नी की तरह। अब आप अपनी पत्नी और उस जैसी अन्य लड़कियों की बारे में सोचें। तो लगता है कि वास्तव में उस के प्रति किसी ने जिम्मेदारी का व्यवहार नहीं किया। न मायके वालों ने और न पति और ससुराल वालों ने। आज के हमारे समाज का यही सच है। स्त्री की यही दशा है। जब तक लड़कियों को जवान होने तक जैसे-जैसे पालने और फिर ब्याह कर उस की जिम्मेदारी से मुक्त होने में गति प्राप्त करने वाले माँ-बाप लड़कियों को अपने पैरों पर खड़ा करने की जिम्मेदारी नहीं उठायेंगे यही सब चलता रहेगा। यदि वह लड़की जो आप की पत्नी बनी यदि आप की बहिन होती तो आप भी शायद वही कर रहे होते जो उस के मायके वालों ने उस के साथ किया।
आप की गलती यह है कि आप को विवाह के पहले अपनी पत्नी के बारे में अधिक जानकारी करनी चाहिए थी। जिस समाज में हम रहते हैं वहाँ विवाह के पहले लड़कियों के बारे में जितनी भी खबरदार करने वाली जानकारियाँ होती हैं सब छुपाई जाती हैं। फिर जब बच्चा होने का आखिरी अवसर था तो आप ने ससुराल वालों के असर में आ कर पत्नी का गर्भपात क्यों कराया। अच्छा तो यह होता कि आप गहन चिकित्सा के बीच उस की यह जचगी करवा देते। आप ने स्वयं ही चाहे दबाव में आ कर ही अपनी स्वयं की संतान को गर्भ में ही समाप्त होने दिया। क्या यह ठीक हुआ। यदि यह पाप हुआ तो इस के सब से बड़े भागी आप हैं क्यों कि संतान की रक्षा की जिम्मेदारी तो पिता की ही होती है।
आप के पास वर्तमान स्थिति में तलाक लेने का कोई वैध कारण उपलब्ध नहीं है। एक बात और आप को अपनी पत्नी से अभी प्रेम भी नहीं है। आप ने उसे सिर्फ वस्तु समझा है। अब वस्तु खरीदी, अब खराब निकल आई तो उस से किसी तरह छुटकारा प्राप्त किया जाए, फिर नई खरीद ली जाए। एक मनुष्य के प्रति इस तरह का व्यवहार क्या उचित कहा जा सकता है? कानून भी किसी तरह इस तरह के व्यवहार की अनुमति नहीं दे सकता। आप को चाहिए कि आप पत्नी जैसी भी है स्वीकारें। पिता केवल संतान को जन्म देकर ही नहीं बना जा सकता। यदि आप की पत्नी संतान को जन्म नहीं दे सकती तो आप किसी बच्चे को गोद ले सकते हैं। पहले आप अपनी पत्नी से प्यार कीजिए, उसे स्नेह दीजिए, उस के साथ जीना सीखिए। वह बीमार है तो उस की चिकित्सा कराइए। हो सकता है, आप का प्यार और स्नेह उसे नया जीवन प्रदान कर दे। हो सकता है वह संतानोत्पत्ति के काबिल भी हो जाए। न भी हो तो आप के जीवन की राहें इस प्यार से ही निकल सकती हैं। मेरी शुभकामनाएँ आप के साथ हैं।
Agree with you..
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आपकी इस सलाह से परमेश की आंखें खुल गयी होंगी।
ना भी खुली होंगी तो खुल जानी चाहिये।
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ye to zaahir si baat hai ki unko unki patni se prem nahi,hota to unke mann me ye khyaal aata hi nahi…ye batane ki to zaroorat nahi…saaf baat hai ki inke liye ye shaadi k samjhauta hai ek saamajik bandhan,par mera ye mananaa hai ki kam se kam aadhe logo ke liye samaaj me aisa hi hota hai…inki jagah aadhe log(kam se kam) aisa hi nirnay lenge…
ek yuva ka alhadpan isme aapko nazar aa sakta hai par meri soch me prem vivaah ko bahut adhik badhaava dene ki zaroorat hai…is tarah ke kai maamlo me masle khud sulajh jaayenge tab
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इस प्रकार की सलाह मोटी तगड़ी फीस लेने वाला भी नहीं दे पाता है, और आप यंहा निःशुल्क दे रहे है | आभार |
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नेक ओर इंसानियत से भरपुर सलाह दी आप ने
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प्रेरक, उचित और बढिया सलाह दी है जी आपने
प्रणाम स्वीकार करें
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बहुत सही जबाब दिया आपने.
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आपकी यह पोस्ट बहुत संवेदनशील और प्रेरणादायक है.
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Bahut hi sandar, stri maa,behan,bhabhi kuchh b ho sakti h,unka samman karen aur khud b samman payen.
Etips-blog.blogspot.com
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