बीमा कंपनी कार के बीमा मूल्य से कम और प्लास्टिक के सामानों पर मूल्य से कम क्षतिपूर्ति क्यों दे रही है?
|कार का पूरा बीमा कराने के बाद दुर्घटना पर बीमा कंपनी का कहना है कि उन के द्वारा प्लास्टिक के सामान की पूर्ति नहीं की जाएगी। कार का ऐस्टीमेट 4.78 लाख का बना है। जब कि कार 4.32 लाख की है। बीमा कंपनी का कहना है कि उन के द्वारा 2.50 लाख की राशि दी जाएगी। क्या पूरी राशि पर प्रीमियम लेने के बाद बीमा कंपनी प्लास्टिक के सामानों की कीमत देने से इन्कार कर सकती है।
कार का या किसी भी मोटर वाहन का बीमा कराते समय वाहन की कीमत का मूल्यांकन होता है। नए वाहन की स्थिति में जो मूल्य चुकाया जाता है उसी पर मूल्यांकन कर लिया जाता है। उस के बाद उस मूल्यांकन के आधार पर बीमा का प्रीमियम लिया जाता है। लेकिन प्रीमियम की दरें दुर्घटना होने पर हानि के बदले दी जानी वाली क्षतिपूर्ति की राशि के आधार पर दिया जाता है। दुर्घटना होने पर किस तरह के सामान की हानि पर कितनी क्षतिपूर्ति दी जाएगी यह बीमा कंपनी द्वारा आप से किए गए कंट्रेक्ट पर निर्भर करती है। बीमा करते समय आप को कवरनोट दिया जाता है। बाद में उस की बीमा पॉलिसी आप को भेजी जाती है। यह बीमा पॉलिसी बीमा कंपनी के साथ हुआ आप का कंट्रेक्ट है। बीमा पालिसी में क्षतिपूर्ति की दरें निर्धारित होती हैं। और क्षतिपूर्ति उन्हीं शर्तों के आधार पर की जाती है।
आप ने जो ऐस्टीमेट दिया है वह तो कार की कुल कीमत से अधिक का है। इस तरह एक तो आप के ऐस्टीमेट पर ही प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। ऐस्टीमेट से ऐसा लगता है कि कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। ऐसी अवस्था में पूर्ण क्षति आप को मिलनी चाहिए। तथ्यों से ऐसा भी लगता है कि आप की कार कुछ वर्ष पुरानी थी। ऐसी अवस्था में कार की कीमत पर घिसाई भी काटी गई होगी। इसीलिए आप की कार की क्षतियों के लिए जो क्षतिपूर्ति करने का प्रस्ताव कंपनी द्वारा किया गया है वह शर्तों के अनुरूप ही प्रतीत होता है।
अधिक संभवना इस बात की है कि कार की पूर्णक्षति की स्थिति में जब कि कार को ठीक करने का ऐस्टीमेट ही कार की पूरी कीमत से अधिक का है बीमा कंपनी ने संपूर्ण कार का दुर्घटना के दिन का बाजार मूल्य निर्धारित किया हो और उस में से रबर, प्लास्टिक के सामानों की कीमत कम कर के उसे देने का प्रस्ताव किया हो।
आप को चाहिए कि आप अपनी बीमा पॉलिसी की सभी शर्तों को पढ़ लें और फिर बीमा कंपनी के शाखा प्रबंधक या मण्डल प्रबंधक से सीधे मिल कर अपना मामला समझ लें। यदि फिर भी आप को लगता है कि बीमा कंपनी आप को क्षतिपूर्ति की राशि कम दे रही है तो आप बीमा कंपनी को लिखित प्रस्ताव दे दें कि आप विरोध के साथ और दावा करने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हुए क्षतिपूर्ति की राशि प्राप्त कर सकते हैं। बीमा कंपनी इस शर्त पर क्षतिपूर्ति राशि देने को सहमत हो तो आप उन से वह राशि प्राप्त कर लें और शेष राशि के लिए उपभोक्ता अदालत में शिकायत लगाएँ। यदि बीमा कंपनी दावा करने के आप के अधिकार को सुरक्षित रखते हुए क्लेम देने को तैयार न हो तो बीमा कंपनी को एक नोटिस दे दें और फिर उपभोक्ता अदालत में शिकायत प्रस्तुत करें।
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कार मालिकों इंश्योरेंस कंपनियों की मनमानी के अनैतिक नियमों के विरुद्ध एक हो जाओ।
दिनेश जी , रबर, प्लास्टिक के बिना… वाह कया क्या हाथ्कंडे अपनाते है हमारे लोग, कार आधी से ज्यादा तो रबर, प्लास्टिक से ही बनी होती है.
आप का धन्यवाद इस सुंदर जानकारी के लिये
जानकारी बहुत अच्छी लगी । कई बार दुर्घटना हो जाती है ऐसे समय मे गाडी जो क्षति ग्रस्त हो जाती है उसे तब तक नही उठाया जा सकता जब तक की बीमा क. सर्वे ना कर ले । इस बारे मे भी कभी एक पोस्ट लिखे । कि ऐसे समय मे चालक क्या करे । उसे अपनी जान बचानी होती है और बीमा क० का अधिकारी पता नही कब सर्वे के लिये पहूचे ।
आपके ब्लॉग से बहुत कुछ सीखता रहता हूँ, एक और जानकारी बढ़ी इसके लिए आपका आभार!
बहुत जानकारी बढाने वाली पोस्ट लिखी आपने.
रामराम.
आमतौर पर देखा गया है कि बीमा कंपनियां पुरानी कार का बीमा करते समय कार की वेल्यू अधिक दिखाकर प्रीमियम तो ले लेती हैं लेकिन जब क्लेम देने की बारी आती है तो वह मार्केट वेल्यू से बीमा राशि अदा करती हैं।
बहुत बढ़िया काम की बात बाते आपने आभार.