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शुल्क देने पर भी पत्रिका न भेजने पर उपभोक्ता अदालत में कार्यवाही करें और पुलिस में धारा 420 आईपीसी की रिपोर्ट दर्ज कराएँ

 प्रिया शर्मा ने पूछा है-

मैं इस समय बहुत ही बड़ी समस्या से गुजर रही हूँ। मैं ने पिछले साल दिसम्बर में एक मैगजीन के लिए फॉर्म भर कर भेजा था। उस का एक साल का मूल्य 450 रुपए था जिसका मैं ने बैंक ड्राफ्ट बनवा कर कम्पनी को भेज दिया था। उसी महीने उनके पास 450 रुपए का बैंक ड्राफ्ट पहुच गया था जिसकी जानकारी मैं ने फोन से पता कर ली थी और उन्होंने मुझ से बोला था कि जनवरी से हम हर महीने आपको 5 तारीख तक मैगजीन भेज दिया करेंगे। लेकिन इतने महीने के बाद भी ना तो उन्होंने मुझे कोई मैगजीन भेजी और न ही कोई पत्र भेज कर जानकारी दी। मैं उन्हें फोन कर कर के थक गई हुँ।  वे हर बार यही बोलते हैं कि २ या ३ दिन में आपके पास मैगजीन पहुँच जाएगी। पहले तो उन्होंने ये बोला कि अभी प्रिंटिंग प्रोब्लम चल रही है हम आपको अप्रेल तक मैगजीन भेज देंगे, लेकिन उन्होंने कोई मैगजीन नहीं भेजी और न ही वो पैसे वापिस कर रहे हैं। अब आप ही बताये मैं क्या कर सकती हूँ?

 उत्तर – 
प्रिया जी,
प ने एक प्रकाशक या बुक सेलर से एक मैगजीन को वर्ष भर तक खरीदने के लिए अपना शुल्क भेज दिया है। लेकिन वे आप को मैगजीन के अंक नहीं भेज रहे हैं। इस तरह वे सेवा में दोष कर रहे हैं। यदि उन्हों ने अभी तक मैगजीन प्रकाशित ही नहीं की है तो फिर यह सीधे-सीधे धारा 420 आईपीसी में छल का अपराध है। सेवा में दोष के लिए यदि आप के पास उन का ई-मेल पता है तो आप को ई-मेल से उन्हें एक पत्र भेज देना चाहिए। जिस में आप उन्हें लिखें कि उन्हों ने आप के साथ छल कर के रुपया ऐंठा है, और आप उन के विरुद्ध उपभोक्ता अदालत में मुकदमा करेंगी, साथ ही पुलिस में धारा 420 आईपीसी में उन के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराएंगी। यदि कंपनी का ई-मेल पता आप को उपलब्ध न हो तो आप यही पत्र रजिस्टर्ड ए.डी. डाक से प्रेषित कर दें। 

हो सकता है इस पत्र के मिलने के उपरांत कंपनी आप को मैगजीन भेजना आरंभ कर दे। यदि एक माह तक कोई उत्तर कंपनी की ओर से नहीं आता है तो  आप को तुरंत अपने निवास स्थान के नजदीक के पुलिस स्टेशन पर जा कर रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए कि आप के साथ इस तरह बेईमानी पूर्वक संपत्ति प्राप्त कर के छल किया गया है जो कि धारा 420 आईपीसी में अपराध है। पुलिस को इस रिपोर्ट पर कार्यवाही करनी चाहिए। यदि पुलिस यह कार्यवाही नहीं करती है तो आप सीधे न्यायालय में भी अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकती हैं। अदालत आप के बयान दर्ज कर के सीधे प्रकाशक को सम्मन भेजेगी। इस पर कंपनी आप का रुपया वापस लौटा कर समझौता करना चाहे तो आप अपनी राशि के साथ आप को हुआ हर्जाना भी मांगिए। आप चाहें तो उपभोक्ता  अदालत में सेवा में कमी के लिए शिकायत प्रस्तुत कर सकती हैं। उपभोक्ता अदालत आप को अपना रुपया, अदालत की कार्यवाही का खर्च तथा हर्जाना दिला सकता है।

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