DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

बेहतर है कि यह मामला लोक अदालत में आपसी बात से हल किया जाए।

समस्या-

राधेश्याम गुप्ता ने 82/2, परदेशीपुरा, इंदौर से पूछा है –

मैंने दुकान मालकिन के भतीजे द्वारा झगडा करके दुकान की बिजली सुविधा 2017 में बंद कर देने के विरुद्ध रेंट कण्ट्रोल अथॉरिटी के पास वाद किया था जो चल रहा है। मेरा वकील शुरू से ही केस को लेकर गंभीर नहीं दिखाई देता था। उसने जो नोटिस दुकान मालकिन को भेजा था उसकी पोस्ट रसीद भी नहीं दे पा रहा है, एवं पूरी फीस लेकर अन्य वकील को मेरा केस दे दिया। अब वह दूसरा वकील मुझ से दोबारा से फीस की मांग कर रहा है। इस हेतु प्रथम वकील से बात करता हूँ तो वह दुसरे वकील से बात कर लूँगा कहकर टालने की कोशिश करता है।

दूसरी बात चूँकि मेरे पास पूर्व में एवं वर्तमान में बना हुआ कोई भी किराया अनुबंध नहीं है, दुकान मालिकन के वकील ने वाद के प्रति उत्तर में मुझे किरायेदार न मानकर मेरे पिताजी को ही किरायेदार मानने का दावा किया है, व बिना बिजली के ही दुकान किराये पर देना स्वीकार किया है एवं मेरे वकील द्वारा दिए गया नोटिस का प्राप्त न होने का न्यायालय में प्रतिउत्तर दिया है। जबकि दुकान मालकिन विधवा एवं निसंतान है एवं मेरे ऊपर दुकान पर कब्जा कर लेना धमकाना एवं अन्य तरह के आरोप लगाए है जो की असत्य हैं। अब मेरे पास कोई किराया अनुबंध न होना और बिजली के लिए कोई बिल न होना क्योंकि बिजली दुकान मालकिन अपने द्वारा लगाए गए मीटर से ही देती थी, एवं वकील द्वारा दिए गए नोटिस की प्रतिलिपि के अलावा मेरे पास सिर्फ किराये की मनीआर्डर की रसीदें हैं वह भी नवम्बर 2019 से एवं दो साल की डायरी में एंट्री है। अतः मैं कैसे अपनी किरायेदारी साबित करूँ एवं बिजली सुविधा दुबारा से केसे प्राप्त करूँ? 2011 में रूपये 900/- से किरायेदारी शुरू हुई थी वर्तमान में किराया रूपये 2000/- दे रहा हूँ। मेरे पिताजी जिनकी उम्र 78 वर्ष है वे सोरायसिस, मधुमेह के रोगी हैं और उन्हें कम दिखाई देता है, एक आँख से तो बहुत कम दिखाई देता है। हाँ, वे हमेशा से मेरी अनुपस्थिति में दुकान सँभालते आये थे जब मैं बीच बीच में नौकरी कर लेता था एवं अभी भी थोड़ी बहुत देर के लिए पिताजी दुकान आ जाया करते हैं।

क्या रेडीमेड गारमेंट्स की दुकान बिना बिजली सुविधा के चलाना संभव है? क्या मुझे दुकान मालकिन के वकील द्वारा दिए गए प्रतिउत्तर से डरने की आवश्यकता है? जबकि दुकान मालकिन विधवा एवं निसंतान है। लेकिन मेरे द्वारा कभी भी कोई अनेतिक कार्य कोई अपशब्द या कोई ऐसी बात जो मुझे नहीं कहना चाहिये मैंने आज तक नहीं की। जबकि दुकान मालकिन ने हमेशा मेरा अपमान व अपशब्दों का उपयोग किया है। अतः इस स्थिति मैं मुझे क्या करना चाहिये कृपया मार्गदर्शन करें।

समाधान-

आप की मूल समस्या यह है कि आप उस दुकान में अपना व्यवसाय ठीक से नहीं चला पा रहे हैं क्यों कि उस में बिजली नहीं है। आजकल बिजली के बिना तो कुछ भी नहीं किया जा सकता। आपकी बिजली दुकान मालकिन ने काट दी। असल में वह आपको किराएदार नहीं रखना चाहती या फिर किराया बढ़ाना चाहती है। वह दुकान खाली करने का मुकदमा कर सकती है लेकिन उसमें बहुत समय लगेगा। उसे तुरन्त परिणाम  चाहिए। इस कारण उसने बिजली काट दी और गेंग आपके पाले में डाल दी, कि आप अदालत जाएँ।

आप अदालत चले गए। बिजली काटने के विरुद्ध आपने आवेदन किया। पर आप एक ऐसे वकील के चक्कर में पड़ गए जो खुद मुकदमा नहीं लड़ सकता था। वह नोटिस दे सकता था उसने दे दिया, पर शायद नियमित वकालत करने वाला न होने से नोटिस की रसीद ही खो बैठा। हो सकता है उसने नोटिस नहीं दिया हो। यदि नोटिस की प्रति अस्तित्व में है तो फिर हो सकता है उसकी रजिस्ट्री कराना भूल गया हो। कुछ भी हो सकता है। उसने मुकदमा लड़ने के लिए दूसरे वकील को दे दिया और फीस खुद ले कर रख ली। अब दूसरा वकील जो मुकदमा लड़ रहा है वह तो फीस मांगेगा। या तो आप पहले वकील और उसे दी गयी फीस को भूल जाइए और दूसरे वकील से फीस सैटल कर के धीरे धीरे दीजिए। या फिर दोनों को छोड़िए और तीसरे वकील से संपर्क कीजिए और नए सिरे से मुकदमा लड़ने की तैयारी कीजिए।

आपकी मकान मालकिन आप को अपना किराएदार नहीं मानती आप के पिताजी को मानती है। उसकी बात सही भी लगती है। क्यों कि पहले आप नहीं आपके पिताजी ही मूल रूप से दुकान पर बैठते रहे आप नौकरी करते रहे। कोई भी नौकरी करते हुए कैसे एक दुकान/ व्यवासाय का संचालन कर सकता है। इसलिए इस मामले पर आपके हारने की संभावना अधिक प्रतीत होती है। मनिआर्डर से भेजे गए किराए के लिए मकान मालकिन कह सकती है कि उसने तो पिता की और से किराया स्वीकार किया था।

आपके पिताजी के किराएदार होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। आप उनके व्यवसाय को चला सकते हैं। उनके जीवन काल के बाद आप उत्तराधिकारी और व्यवसाय चलाने वाले के रूप में किरायेदारी को लगातार रख सकते हैं। इस कारण हमारे पास आपके लिए यह सुझाव है कि आप इस मुकदमे को बन्द कर दें। नए सिरे से आपके पिताजी को किराएदार मानते हुए नोटिस दें और उनकी ओर से कार्यवाही करें। नया वकील करें। इन दोनों वकीलों का भी झंझट खत्म।

लेकिन यह सब वैकल्पिक सुझाव ही हैं। सही बात तो यह है कि यदि मकान मालकिन से आपके संबंध इसी तरह तनावपूर्ण रहे तो वह आपको तंग करती ही रहेगी। बेहतर है कि उससे बात करें और जानें की वह क्या चाहती है। यदि वह किराया बढ़ाना चाहती है तो किराया बढ़ा कर दुकान नए सिरे से अपने नाम किराया नामा लिखा लें। यदि वह खाली ही कराना चाहती है तो फिर आप को वह यह व्यवसाय नहीं करने देगी आपको तंग करती रहेगी। आप कोई नयी दुकान देख लें और अपना व्यवसाय उसमें स्थानान्तरित करने की योजना बनाएँ। इस तरह लंबी कानूनी लड़ाइयों में उलझ कर आप न व्यवसाय चला पाएंगे और न ही अपना खुद का भला कर पाएंगे। इसके लिए आप खुद प्रकरण को लोक अदालत में  निपटाने की दर्ख्वास्त अदालत से कर सकते हैं। जब अदालत इसे लोक अदालत में समझौते के लिए भिजवाए तो वहाँ इस मामले को निपटाने की कोशिश करें।