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भा.दं.सं. की धारा 498 ए के तहत प्रताड़ित किया जा रहा है, हमारा मार्गदर्शन करें

विशाल सागर जायसवाल पूछते हैं ….

मान्‍यवर,
               मैं तथा मेरा परिवार भा.दं.सं. की धारा 498 क. के तहत प्रताड़ित किया जा रहा है। जो कि सरासर झूठा मामला है। जिसमें कल 15.12.08 को हमें जमानत मिली है। हम आपसे इस केस के संबंध में हिन्‍दी में जानकारी चाहते हैं ताकि आगे की कार्यवाही के बारे में समझ सकें। इस संबंध में मुझे व मेरे परिवार का मार्गदर्शन करने का कष्‍ट करें। धन्‍यवाद!

 उत्तर-

जायसवाल जी,
                  498-क. भा.दं.संहिता के प्रकरण में आप को जमानत मिल जाना बहुत बड़ी राहत है। भा.दं.संहिता की धारा 498-क. इस प्रकार है…

498-क. किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उस के प्रति क्रूरता करना- जो कोई किसी स्त्री पति या पति का नातेदार होते हुए एसे स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा वह कारावास से दंडित जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण – इस धारा के प्रयोजनों के लिए “क्रूरता” से निम्नलिखित अभिप्रेत :-
(क) जानबूझ कर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृति का है जिस से उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को (जो चाहे मानसिक हो या शारीरिक) गंभीर क्षति या खतरा कारित करने की संभावना है; या
(ख) किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उस को या उस के किसी नातेदार को किसी संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रपीड़ित किया जाए या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना कि उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पुरी करने में असफल रहा है।

सब से पहले तो आप यह तय कर लें कि आप ने ऐसा कोई कृत्य नहीं किया है जो कि उक्त वर्णित कृत्यों में आता हो। यदि उक्त कृत्यों में से कोई भी कृत्य करने में गलती से भी आ गया हो तो यह समझें कि आप ने उक्त अपराध किया है।

अभी आप के विरुद्ध अभी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया होगा।  इस का अर्थ यह है कि आप के विरुद्ध अभी अन्वेषण जारी है। आप अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी के पास जाइए और उसे मामले की परिस्थितियाँ पूरी तरह से समझाइये और कोशिश कीजिए की वह सचाई पर विश्वास करने लगे। अपनी बेगुनाही को प्रमाणित करने वाले सबूत और गवाहों को उस के पास पेश कीजिए। आप चाहें तो उस के उच्चाधिकारिय़ों से भी इस के लिए मिल सकते हैं। यदि अन्वेषण करने वाला पुलिस अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि कोई अपराध ही नहीं हुआ है तो वह आरोप पत्र ही न्यायालय में दाखिल नहीं करेगा और इसी आधार पर आप को राहत मिल सकती है।

यदि आप इस काम में सफल न हो सकें तो जब भी आप के विरुद्ध आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया जाएगा तब उस की एक प्रति आप को निशुल्क दी जाएगी। इस आरोप पत्र में आप के विरुद्ध आरोप अंकित होंगे और वे सभी साक्ष्य भी जो कि आप के विरुद्ध प्रस्तुत किये जाने वाले हैं। इन्हें भी आप ध्यान से पढि़ए। इस से आप को यह ज्ञान हो जाएगा कि आप के विरुद्ध क्या सबूत और क्या गवाहियाँ पेश की जाने वाली हैं। आप को अपने मुकदमे में कोई होशियार वकील नियुक्त करना चाहिए। जो आप के विरुद्ध प्रस्तुत मिथ्या सबूतों और गवाहियों को मिथ्या साबित कर सके। इस में आप को उस वकील की मदद करनी होगी क्यों कि उसे उन घटनाओं और परिस्थितियों के बारे में बिलकुल भी ज्ञान नहीं है जिन में यह मिथ्या आरोप आप के विरुद्ध लगाया गया है। आप अपने वकील को सब घटनाएँ और परिस्थितियाँ अच्छी तरह से समझाइये। पूरे मुकदमें को बहुत ध्यान से लड़िए, बिना किसी लापरवाही के।

यदि आप के विरुद्ध मुकदमा मिथ्या है तो बिलकुल घबराने की आवश्यकता नहीं है। वैसे भी अधिक

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