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क्या विवाह विच्छेद के बाद भी क्या 498-ए का मुकदमा बन सकता है?

संतोष सोनकर ने पूछा है …

सर!
कृपया आप विस्तार से यह बताने का कष्ट करें कि तलाक के बाद भी क्या 498-ए का केस लग सकता है? 

 उत्तर …

धारा 498-ए भारतीय दंड संहिता का मूल पाठ निम्न प्रकार है …..
 498-क. किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उस के प्रति क्रूरता करना- जो कोई किसी स्त्री पति या पति का नातेदार होते हुए ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा वह कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

स्पष्टीकरण – इस धारा के प्रयोजनों के लिए “क्रूरता” से निम्नलिखित अभिप्रेत है :-

(क) जानबूझ कर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृति का है जिस से उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को (जो चाहे मानसिक हो या शारीरिक) गंभीर क्षति या खतरा कारित करने की संभावना है; या

(ख) किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उस को या उस के किसी नातेदार को किसी संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रपीड़ित किया जाए या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना कि उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने में असफल रहा है।
यह अपराध किसी स्त्री के पति और उस के नातेदार द्वारा ही किया जाना संभव है। यदि किसी स्त्री का तलाक हो चुका है तो उस का पूर्व पति और उस के नातेदार इस अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं। लेकिन यदि अपराध तलाक की डिक्री पारित होने के पहले घटित हुआ है। जिस की शिकायत तलाक होने के पहले या बाद में की गई है तो अपराध के घटित होने की तिथि को उस स्त्री का पति होने के कारण या पति का नातेदार होने के कारण यह अपराध दर्ज हो सकता है। 
यह एक अकादमिक चर्चा है। लेकिन वास्तविकता यह है कि तलाक के पूर्व अपराध घटित होने की सूचना यदि तलाक के बाद तलाक हो जाने की सूचना स्त्री को प्राप्त हो जाने पर पुलिस को दी जाती है तो वह सूचना इतनी प्रभावी नहीं होगी और दुर्भावना से ग्रस्त होगी। अकादमिक रूप से उस की शिकायत दर्ज की जा सकती है। लेकिन इस तरह की प्रथम सूचना रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दे कर निरस्त कराया जा सकता है। 


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