स्वयं अपनी पैरवी करने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
|रमेश जी का दूसरा प्रश्न निम्न प्रकार है ….
प्रश्न 2 . क्या हमारे देश किसी नागरिक के पास वकील करने के लिए पैसे नहीं हों तो उसे सरकारी वकील मुहैया कराया जाए? और यदि सरकारी वकील का रवैया विरोधी पक्ष के प्रति झुकाव हो और पक्षकार स्वयं अपने मामले की पैरवी करे, तो उसके लिए शिक्षा योग्यता क्या होनी चाहिए? और उसे कौन सी भाषा आनी चाहिए ?
उत्तर – – –
रमेश जी के पहले प्रश्न के उत्तर में यह स्पष्ट हुआ था कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने मामले की पैरवी करने का अधिकार है और वह अपने मामले की पैरवी स्वयं कर सकता है। लेकिन यह उतना आसान नहीं है। एक तो पक्षकार को कानून की जानकारी नहीं होती। वह वादों और प्रार्थना पत्रों में किए जाने वाले अभिवचनों में क्या होना चाहिए इस से अनभिज्ञ होता है। तथ्य क्या हैं और साक्ष्य क्या हैं, इस में भेद करना उस के लिए दुष्कर होता है। किस तरह किसी तथ्य को साबित किया जा सकता है इस से वह अनभिज्ञ होता है। फिर भी यदि कोई व्यक्ति अपनी पैरवी खुद ही करना चाहता है तो उसे किसी भी योग्यता की आवश्यकता नहीं है। कोई भी व्यक्ति चाहे वह निरक्षर ही क्यों न हो अपने मामले की पैरवी स्वयं कर सकता है। मेरा स्वयं का अनुभव यह है कि स्वयं पैरवी करने से घातक कुछ भी नहीं है। हम वकील लोग भी जब अपना खुद का मुकदमा होता है तो स्वयं उस की पैरवी करना पसंद नहीं करते। निश्चित रूप से हम अपने मुकदमे में निरपेक्ष रह कर काम नहीं कर सकते, मुकदमे के साथ हमारा भावनात्मक लगाव होता है और हमें अपने पक्ष के तथ्य और तत्व बहुगुणित हो कर दिखाई देते हैं जब कि अपने विरोधी तथ्य और तत्व दिखाई देना बंद हो जाते या फिर मामूली लगते हैं। इस से बहुधा जिस मुकदमे में पक्षकार का मामला मजबूत होता है वहाँ भी हार का नतीजा देखने को मिलता है। इस कारण यह बेहतर है कि वह किसी व्यवसायिक व्यक्ति अर्थात वकील की मदद प्राप्त करे।
फौजदारी मुकदमे में जहाँ अक्सर सरकार द्वारा मुकदमा चलाया जाता है वहाँ आरोप पक्ष की पैरवी सरकारी वकील किया करते हैं और आरोपी अपने लिए वकील की व्यवस्था स्वयं करता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति स्वयं वकील करने में असमर्थ हो तो वह न्यायाधीश से यह प्रार्थना कर सकता है कि उसे वकील प्रदान किया जाए। अनेक वकील स्वेच्छा से सरकारी शुल्क पर अथवा बिना किसी शुल्क के न्यायमित्र का कार्य करने को तैयार रहते हैं। न्यायालय के पास ऐसे वकीलों की सूची होती है। अभियुक्त इस सूची में से अपने वकील का चुनाव कर सकता है। यदि मुकदमे के किसी भी स्तर पर पक्षकार को यह लगता है कि उसे न्यायमित्र के रूप में प्रदान किया गया वकील ठीक से पैरवी नहीं कर पा रहा है या उस का झुकाव विरोधी पक्ष की ओर है तो अभियुक्त न्यायालय से वकील बदलने के लिए प्रार्थना कर सकता है।
दीवानी मामलों में ऐसा कोई नियम नहीं है कि किसी व्यक्ति को वकील सरकार की और से उपलब्ध कराया जाए। लेकिन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, नाबालिग बच्चों और कम आय वाले लोगों को वकील मुहैया कर
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20 Comments
यह अधूरी है.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.हम कौन है ?
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Home Value Falling Short: In case the accumulated interest and loan amount is larger than the value of the mortgaged property, the mortgage loan is capped at the value of the home equity only and the lender is the party at loss.
Home Value in Excess: Any excess amount by the sale of the property is duly remitted to the borrower incase of permanent leaving of the house or his heirs in case of the death of the borrower.
Freeing the property from reverse mortgage: In case you get an additional income and accumulate an amount to repay your loan, you can free your property in mid term and can also apply for re-reverse mortgage if required on the same property.
In the usual mortgage loan, the borrower begins with a large loan and lower equity in his house. In reverse mortgage however, the borrower has a very high equity in his house and a non-recourse loan secured by the home property. In the usual mortgage system, as the regular mortgage payments are made the outstanding loan decreases and the house equity increases. Reverse is the case in reverse mortgage, the loan amount increases with time and the home equity decreases with time.
Reverse Mortgage Pros and Cons
The reverse mortgage pros and cons should be measured carefully before subscribing to it. Since, the bulk of the savings for the average Indian are typically locked away in a house or other property at the time of retirement, and in case of requirement it cannot be encashed except by selling the home or moving out. This is where reverse mortgage comes as an answer.
Taking the usual mortgage loans in lieu of your home as a security will not be feasible in the age above 50 as the repayment of the loan is not feasible. The Banks And Financial Institutions also won't be of any help in case of no income source. This is where the house property proves as an asset and brings in reverse mortgage that allows you to be the home owner as long as you live. Home ownership is an area most Indians are sensitive about and reverse mortgage entitles you your house throughout your remaining life.
According to demographic projections, reverse mortgage loan products could be a hit among the metros and also in areas like Kerala, Tamil Nadu, Goa and Chandigarh in India. With hardly any old age social security schemes and financial helplines, reverse mortgages have a potential market. Loans are available in the form of reverse mortgage without any income criteria at an age where normal loans are not available. Reverse mortgage for senior citizens is a social assurance post-retirement.
Reverse Mortgage Lenders in India
The major reverse mortgage lenders in India or the banks and financial institutions providing reverse mortgage in India include:
National Housing Bank (NHB)
Dewan Housing Finance Limited (DHFL)
State Bank of India (SBI)
Punjab National Bank (PNB)
Indian Bank
Central Bank of India
Reverse mortgage is a way of getting the benefits of your home equity by retaining the home ownership and also without having to make any repayments. The senior citizens in India will definitely find reverse mortgage a solution for their financial needs after retirement and help them in regaining their feeling of independence.
The Dealing Parties: Reverse mortgage loan involves two parties, the borrower – the senior citizen and the lender – any bank or housing finance institution.
Security for the Lender: The borrower pledge their home property to a lender
Payment of the Loan to the Borrower: In return of the house property pledged, the borrower gets a lump sum amount or periodic payments spread over the borrower's lifetime that can be utilized by the borrower (senior citizen) as per needs and not for speculative purposes.
Repayment of Reverse Mortgage Loan: The homeowner and now the borrower will not be required to repay the loan during his lifetime. On his death or leaving the house permanently, the loan along with the accumulated interest is repaid through the sale of the property pledged.
Reverse mortgage information that will help you in understanding the concept of reverse mortgage loan is listed below.
Definition Of Reverse Mortgage:Reverse mortgage is a Home Loan product designed for the senior citizens by converting their fixed asset – their home or in banking terms their equity in any house property into an income channel without having to liquidify your equity in case of any requirement.
Reverse Mortgage in India still at an infancy stage. The reverse mortgage came into existence in the UK during the crash of 1929. Having evolved genetically from the developed countries and mainly the USA, reverse mortgage is a scheme formulated to benefit the senior citizens the most. Although applicable for the younger people also, 'reverse mortgage loan products for senior citizens' is the basic that every bank of financial institution follows.
alpana ji defining reverse mortgage
What Does Reverse Mortgage Mean?
A type of mortgage in which a homeowner can borrow money against the value of his or her home. No repayment of the mortgage (principal or interest) is required until the borrower dies or the home is sold. After accounting for the initial mortgage amount, the rate at which interest accrues, the length of the loan and rate of home price appreciation, the transaction is structured so that the loan amount will not exceed the value of the home over the life of the loan.
Often, the lender will require that there can be no other liens against the home. Any existing liens must be paid off with the proceeds of the reverse mortgage.
श्रीमान जी, आपने बहुत अच्छी जानकारी प्रदान की है. मेरा सरकारी वकील के प्रति भ्रम भी दूर हो गया और एक अच्छा वकील कभी भी अपने पक्ष के तर्कों पर अपने मुवक्किल के सामने विचार विमर्श नहीं करता। लेकिन वह अपने मुवक्किल के विरोधी तथ्यों और तर्कों को अपने मुवक्किल के सामने मजबूती से रखता है। इससे मुवक्किल को यह भ्रम होने लगता है कि यह वकील विरोधी तर्कों की खूब बात कर रहा है, जरूर इस का झुकाव विरोधी पक्ष की ओर है या वह विरोधी से मिल गया है। स्वंय पैरवी करने के सन्दर्भ में भी सही कहा है कि-हमें अपने पक्ष के तथ्य और तत्व बहुगुणित होकर दिखाई देते हैं जब कि अपने विरोधी तथ्य और तत्व दिखाई देना बंद हो जाते.
आप सभी(शुभचिंतकों) ने मेरी समस्या पर दी क़ानूनी सलाह पर टिप्पणी करते हुए मेरा जो उत्साह बढ़ा है.उसके लिए आप सभी का धन्यबाद करता हूँ.
उपयोगी जानकारी !
बहुत ही काम की जानकारी दी आपने… धन्यवाद!
Achhi jankari di hai apne
वकील साहब आप से एक बात पूछना चाहती हूँ जो मेरी तरह यहाँ विदेश में रहने वाले कई लोगों का कहना भी है कि आप कभी reverse mortgage पर जानकारी दें.
चूँकि हम लोगों की यहाँ पेंशन वाली नौकरियां नहीं हैं उस स्थिति में हमारे लिए यह स्कीम कितने फायदे की हो सकती है?
आभार
आप की दी हुई जानकारियाँ हमेशा ही उपयोगी होती हैं.
रमेश जी को मैं यह बताना चाहूंगी कि मेरे ससुर जी ने दिल्ली में उनके मकान पर किरायेदार के गैरकानूनी कब्ज़े के खिलाफ केस किया था ,उन्होंने वकील किया था लेकिन किरायेदार खासी पहुँच वाला बन्दा था और उन्हें वकील की ओर से संतोष नहीं हुआ तब उन्होंने सारा मुकदमा खुद ही लड़ा था [यह बात और है कि उन्होंने ७० साल की उम्र में 'नयी सड़क 'से ला कर कई कानून की किताबें भी इस दौरान पढ़ डालीं]
और खुद ही केस लड़ कर बिना कहीं एक पैसा रिश्वत दिए /बिना कोई वास्ता लगाए अपना मुकदमा जीत भी लिया.
……….उनका केस बहुतों के लिए प्रेरणा है .
बहुत ही उपयोगी जानकारी. आभार.
ये तो बहुत ही बढिया जानकारी दी………………आभार्।
upyogi jaankaari
इस बाबत लम्बे काल से जिज्ञासा थी, जानकारी के लिए आभार.
बहुत उपयोगी सुझाव दिया है आपने … आभार