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अपराध के घटित होने की रिपोर्ट झूठी सिद्ध होने पर परिवादी के विरुद्ध धारा 182 भा.दं.संहिता में मुकदमा चलाया जा सकता है

 समस्या-

ब मैं अपनी मां सियादेवी को अपने गाँव से अपने साथ  कोलकाता ले आया तो उसके बाद मेरी बहन किरण कुमारी ने हमारे ऊपर आरोप लगाया कि विजय कुमार ने सियादेवी का अपरहण कर लिया है और उस की हत्या कर देगा। किरण कुमारी ने मेरे विरुद्ध न्यायालय में जा कर झूठा मुकदमा कर दिया जिसका CR No. 1591/10 Date:20/09/2010 है।  इसके बाद न्यायालय से थाना में फिर दर्ज के लिए पत्र भेजा गया जिसका थाना में Case No. 120/10 Date:29/11/2010 धारा 342/323/363/365/364/506 के अंतर्गत पंजीकृत किया गया।  इस केस में 4 लोगो का गवाही में नाम दिया गया है, इसके बाद मेरी माँ सियादेवी का धारा 164 के अंतर्गत दिनांक 15/06/2011 को बयान लिया गया जिस में मेरी माँ सियादेवी ने कहा कि “मैं अपने मर्जी से अपने बेटे विजय कुमार के साथ कोलकाता गयी थी।  मेरा अपहरण नहीं किया गया है।  मेरी बेटी किरण कुमारी ने झूठा मुकदमा मेरे बेटे विजय कुमार के ऊपर किया है।“  मेरी बहन किरण कुमारी ने मेरे ऊपर झूठा मुकदमा किया इसका प्रमाण धारा 164 के अंतर्गत लिया गया सियादेवी का बयान का कोर्ट से निकला हुआ नक़ल का कागजात मेरे पास है।  क्या मैं किरण कुमारी और उन चार गवाह के विरुद्ध कौन सी क़ानूनी करवाई कर सकता हूँ या कौन सा मुकदमा इन लोगो के विरुद्ध कर सकता हूँ?

-विजय कुमार, बेगूसराय, बिहार

समाधान-

प के प्रश्न से पता लगता है कि आप की बहिन ने पहले न्यायालय में शिकायत प्रस्तुत की जिसे धारा 156(3) दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत पुलिस को प्रेषित किया गया। बाद में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर के अन्वेषण किया और आप की माता जी के बयानों के बाद यह पाया कि शिकायत मिथ्या है। आप की बहिन का यह कृत्य धारा 182 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध है जो एक वर्ष के कारावास तथा 1000 रुपए तक के जुर्माने से दंडनीय है। लेकिन यह अपराध असंज्ञेय है और जमानतीय भी इस कारण से इस मामले में आप को न्यायालय में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पुलिस द्वारा प्रेषित अंतिम प्रतिवेदन तथा उस पर न्यायालय की मंजूरी के आदेश की प्रमाणित प्रतियाँ पहले न्यायालय से प्राप्त करनी होंगी और फिर न्यायालय को शिकायत प्रस्तुत करना होगा साथ में उक्त प्रमाणित प्रतियाँ भी प्रस्तुत करनी होंगी। आप का बयान लेने के उपरान्त न्यायालय आप की बहिन के विरुद्ध प्रसंज्ञान ले सकता है। इस मुकदमे में आप की बहिन को दंडित किया जा सकता है।

स के अतिरिक्त आप की बहिन द्वारा की गई उक्त शिकायत के कारण जो परेशानी और खर्च उठाना पड़ा है उस के लिए आप उस के विरुद्ध दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के लिए दीवानी वाद भी प्रस्तुत कर सकते हैं और उस से हर्जाने की मांग कर सकते हैं। लेकिन दीवानी वाद में जितने हर्जाने की आप मांग करेंगे उतनी राशि पर आप को निर्धारित कोर्ट फीस न्यायालय को अदा करनी होगी।

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