अस्पतालों और चिकित्सकों की लूट के विरुद्ध कानूनी उपाय
| बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से कमल शुक्ला ने पूछा है –
मेरे पिता की उम्र 81 वर्ष है। हाल में उनको ह्रदय की समस्या के कारण बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया तो उन्होंने पेसमेकर लगाने की सलाह देते हुए एक अन्य निजी चिकित्सालय कीम्स{kims } में जाने की सलाह दी। कीम्स के प्रबंधन ने हमें पेसमेकर लगाने के लिए एक लाख पचास हजार का खर्च बताया, और यह राशि एडवांस में जमा करा ली गई। 03.06.2011 को मरीज को भर्ती करने के दूसरे दिन आपरेशन किया गया। आपरेशन करने के दौरान हमसे पचास हजार की और मांग की गई। मज़बूरी में हमें जमा करना पड़ा। इस बीच हमें बताया गया की पिता जी का वाल्व ब्लॉक होने के कारण पहले एंजियोप्लास्टी की गई है। इसके दो दिन बाद हमें बताया गया की मरीज के उम्रदराज होने की वजह से आपरेशन सफल नहीं हुआ अतः एक लाख तीस हजार और जमा करना होगा जिसमें पेसमेकर लगाया जायेगा। हम लोगों को पता चला की इस अस्पताल में ह्रदय का यह पहला आपरेशन है। हमने किसी अन्य अस्पताल जाना चाहा तो उन्होंने इसमें पिता जी की जान को खतरा बताया। मेरे मना करने के बाद भी मेरे बड़े भाई ने पैसे जमा करा दिए। 11.06.2011 को पेसमेकर लगाया गया | इसके दो दिन बाद ही हालत ख़राब होने के और हमारे निवेदन के बाद भी उनकी छुट्टी कर दी गयी। पता चला की इस अस्पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ खडसे को बम्बई जाना था, इसलिए मेरे पिता और एक अन्य मरीज की जबरन छुट्टी कर दी गयी है। बिल भी मनमाने ढंग से बनाया गया है। आईसीयू का चार्ज प्रति दिन 2500 के लावा बेड चार्ज 1250 ,नर्सिंग चार्ज 550, आक्सीजन चार्ज 1200 {जबकि केवल दस घंटे से ज्यादा नहीं लगाया गया }, मानिटर चार्ज 550, डाक्टर विजिट चार्ज 400 के हिसाब से एक-एक दिन का 4000 तक जोड़ा गया है। इन सबके अलावा आपरेशन चार्ज 65000 व 30000 रुपये जोड़ा गया है | निजी अस्पतालों के इस प्रकार लूट-खसोट के खिलाफ क्या कोई कानून नहीं है? हमें बताइए की अस्पताल की इस मनमानी के खिलाफ हम क्या कर सकते है?
उत्तर –
कमल जी,
इस तरह की लूट सरे आम लगभग सभी नगरों के बड़े अस्पतालों द्वारा की जा रही है। इस पर अंकुश के लिए कानून में उपाय हैं। लेकिन हमारी नौकरशाही जो कि इन अस्पतालों के संचालकों और चिकित्सकों के साथ खड़ी होती है, इन उपायों की धार को भोंथरा कर देती है। इन के विरुद्ध कार्रवाई (Action) की जा सकती है। करनी भी चाहिए। लेकिन वर्तमान में कार्रवाई की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को पूरी तरह कमर कस लेनी चाहिए कि वह अंतिम दम तक इस कार्रवाई में पीछे नहीं हटेगा। आधे मन से इस तरह की कार्रवाई चाहने वाला व्यक्ति बीच मार्ग से ही पीछे हट लेता है। इस से इन अस्पतालों के संचालकों और चिकित्सकों की हिम्मत और बढ़ जाती है और यह लूट बढ़ती जाती है। यदि आप पक्के मन से कार्रवाई चाहते हों तो ही इस मार्ग पर आगे बढ़ें। अन्यथा कार्यवाही न करें तो अच्छा है।
आप के साथ जो कुछ हुआ वह सब से पहले तो सीधे सीधे उद्दापन (Extortion) है। उद्दापन को समझने के लिए आप को इस ब्लाग की पोस्ट किसी भी प्रकार का भय दिखा कर रुपया वसूल करना उद्दापन, फिरौती (Extortion) का अपराध है, पढ़ लेन
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6 Comments
achhi jankari aabhar
aapki jankariyariyan bahut gyanvardhak hoti hai….abhar.
अच्छी जानकारी है। आपका आभार
बहुत ही अच्छी जानकारी,
धन्यवाद दिवेदी जी ,
आपके सलाह से मेरा विश्वास मजबूत हुआ है | मै लडूंगा ही , भागने वालों में से नहीं हूँ | छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तावित नर्सिंग होम एक्ट पिछले दो वर्षों से लंबित है , मै मुख्यमंत्री व विपक्ष को भी इस मामले से अवगत करूँगा | कभी अवसर मिले तो मेरे ब्लॉग http://ghotul.blogspot.com/ में आइयेगा |
अंधेर नगरी है…बहुत अच्छा किया जी आपने इस विषय पर लिखकर
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