उच्च न्यायालय से कब्जा दिलाने के आदेश के बाद भी एक वर्ष से एसडीएम ने कुछ नहीं किया
| कुल भूषण महलवाल पूछते हैं …
हमारा एक मुकदमा एसडीएम दिल्ली में मेहरोली में लम्बित है। यह मामला किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा हमारी भूमि पर अनधिकृत कब्जा कर लेने का है जो पिछले 20 वर्ष से चल रहा है। चार बार भूमि की नपाई हो चुकी है। अंतिम रूप से उच्च न्यायालय से निर्णय हमारे पक्ष में हो चुका है और भूमि को नाप कर जिस के कब्जे की भूमि है उसे देने का आदेश मेहरोली एसडीएम को दिया गया है। अब एक साल से एसडीएम के यहाँ लंबित है लेकिन मैं इस बात से क्षुब्ध हूँ कि अभी तक नोटिस तक जारी नहीं किया गया है। मैं कैसे माननीय एसडीएम साहब से यह निवेदन कर सकता हूँ कि वह कम से कम नोटिस तो जारी करें। जिस ने कानून का उल्लंघन किया है वह भूमि का उपयोग कर रहा है और जो कानून का अनुसरण कर रहा है वह परेशान है। यह किस तरह का कानून चल रहा है? आप जानते हैं कि एसडीएम उन के क्षेत्राधिकार के निवासियों के लिए भगवान की तरह हैं। हमें उन की कृपा चाहिए। हमारे पास जीवन यापन के सीमित साधन हैं। जब कि हम इस मुकदमे के जाल में 20 वर्ष से उलझे हुए हैं। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें कि कैसे मैं एसडीएम को अपना आवेदन प्रस्तुत करूं।
उत्तर … .
महलवाल जी! आप देश भर के उन लोगों में से एक हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से यह अनुभव कर रहे हैं कि देश में शासन लाठी का है, कानून का नहीं। इस के दो कारण हैं। एक तो एसडीएम को अपनी अदालत देखने की फुरसत नहीं है। उसे कलेक्टर के आदेशों और विधायकों, संसद सदस्यों, मंत्रियों और उन के सिफारिशियों के कामों में ही संलग्न रहना पड़ता है। जब तक आप भी कोई लाठी ले कर एसडीएम के पास नहीं जाएंगे आप का काम ऐसे ही लटका रहेगा।
आप ने अपना मामला न्यायालय में कानूनी तरीके से लड़ा है। आप इसे कानूनी तरीके से ही आगे बढ़ाइए। कानून ही आप की लाठी बन सकता है। आप सब से पहले तो सूचना के अधिकार के अंतर्गत एक आवेदन प्रस्तुत कर पूछिए की उच्च न्यायालय ने जो आदेश एसडीएम को दिया है उस में आदेश की तिथि से आज तक क्या कार्यवाही की गई है? जब इस का उत्तर मिल जाए तो उसे ले कर अपने हाईकोर्ट के वकील से फिर से जा कर मिलिए, और कहिए कि वह उच्च न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर एसडीएम को उच्च न्यायालय के आदेश की पालना समय बद्ध रूप से करने का आदेश प्राप्त करे। फिर भी एसडीएम समयबद्ध तरीके से काम नहीं करता है तो उसे उच्च न्यायालय के आदेश की पालना नहीं करने के लिए अवमानना का नोटिस भेजिए और उच्च न्यायालय में अवमानना का आवेदन प्रस्तुत करवाइए। मेरे विचार से आप का काम इस विधि से शीघ्र हो जाएगा।
यदि आप के पास आर्थिक साधन कम हैं तो आप जिला और राज्य विधिक सहायता समिति के अध्यक्षों को आवेदन कर सकते हैं कि वे आप को विधिक सहायता प्रदान करें।
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अरे ऎसा केसे होता है कोई कबजा कर ले, ओर बीस साल तक सुनवाई चले, ओर फ़िर भी अपनी चीज ना मिले ???क्या यही कानुन है, या एक अंधेर नगरी, ओर जब फ़ेसला हो गया तो भी कब्जा नही मिल रहा….थोडे दिन पहले एक फ़िल्म देखी थी(खोसला का घोसला) तो क्या सच मै ऎसा ही होता है.