रवि सिंह पूछते हैं …
मेरी शादी गत नवम्बर में हुई थी। परंतु मेरी पत्नि और मेरे ससुराल वालों ने मुझे शादी से पहल ये नहीं बताया कि मेरी होने वली पत्नी ओसीडी नामक बीमारी से पीड़ित है तथा उसकी उम्र भी मुझ से छुपाई गई मेरी पत्नी मुझ से पाँच साल बड़ी है। अब हालत ये है कि वो कोई भी घरेलू व सामाजिक काम नहीं कर पाती है या सही नहीं कर पाती है। मेरा उसके साथ रहना नामुमकिन है। मेरि पत्नी इस बात पर सहमत है कि उस के पिता जी ने मुझ से धोखा किया है, वह तलाक के लिये भी तत्पर है। पर उस के पिता इस से सहमत नहीं हैं और दहेज का मुकदमा करने की धमकी देते हैं। क्योंकि कि वे अपनी बेटी डरा-धमका कर या बहला फुसला कर झूठा मुकदमा कर सकते हैं। कृपया सलाह दें कि मैं क्या करूँ?
उत्तर – – –
रवि सिंह जी,
आप स्वयं अवश्य जानते होंगे कि यह ओसीडी रोग क्या है? इसे अंग्रेजी में (Obsessive compulsive Disorder) और हिन्दी में जुनूनी बाध्यकारी विकार कहते हैं। इस की चिकित्सा हो सकती है और इस रोग से ग्रसित व्यक्ति के साथ सफल वैवाहिक जीवन बिताना असंभव नहीं है। यह सही है कि हर व्यक्ति यह चाहता है कि उस की पत्नी सामान्य हो। जब वह अपनी पत्नी को असामान्य पाता है तो निश्चित रूप से उसे बहुत निराशा होती है। प्रत्येक व्यक्ति को विवाह करने के पहले अपनी होने वाली जीवन संगिनी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करना चाहिए। आप ने ऐसा नहीं किया। आपने विवाह के लिए रिश्ता तय करने के पहले अपनी पत्नी के बारे में जानकारियाँ हासिल करने का प्रयत्न ही नहीं किया। आप शायद खुद उस से मिले ही न हों। जब आप ने खुद उस के बारे में नहीं जानना चाहा तो वह या उस के परिजन आप को क्यों बताएँगे कि वह कैसी है और उस की उम्र क्या है? मैं समझता हूँ कि इन मामलों में गलती आप की है। आप की पत्नी के पिता की गलती तो मात्र इतनी है कि उन्हों ने अपनी बेटी की कमियों के बारे में नहीं बताया। आप ने भी नहीं जानना चाहा तो यह कैसे कहा जा सकता है कि उन्हों ने छुपाया है। इसे धोखाधड़ी नहीं कहा जा सकता इसे आप की असावधानी या लापरवाही कहा जा सकता है।
अब जब आप उस से विवाह कर चुके हैं तो वह आप की पत्नी है। उस के दायित्व उस के पिता से अधिक आप के हैं। आप की पत्नी सच्ची है जिस ने स्वीकार किया कि उस के पिता ने तथ्य छुपा कर गलती की है। वह बेचारी आप से सहमति से विवाह विच्छेद करने को तैयार है। सिर्फ इसलिए कि आप दूसरा विवाह कर सकें और अच्छा जीवन बिता सकें। वह इस बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद एक भारतीय पत्नी की तरह आप के लिए समर्पित है। आप उस की जिम्मेदारी उठाने से बचना चाहते हैं। यह सही है कि आप बहुत परेशानी में हैं। लेकिन परेशानियाँ किस के जीवन में नहीं आती हैं। मैं ने इस बीमारी से ग्रसित अनेक महिलाओं को देखा है और उन के पतियों को उन के लिए परेशानियाँ उठाते हुए जीवन बिताते देखा है। निश्चित रूप से वे पति प्रशंसा के योग्य हैं। यह भी तो हो सकता था कि पहले आप की पत्नी को यह बीमारी न होती और विवाह के कुछ वर्ष बाद या एक-दो संताने होने के बाद होती। तब भी क्या आप इसी तरह सोचते।
मेरी राय तो यह है कि आप पत्नी से प्रेम पूर्वक रहें। उस के मन में जो भय इस बीमारी के कारण आवश्यक रूप से उत्पन्न होते हैं उन्हें चिकित्सकों की राय के अनुसार व्यवहार करते हुए और उस की चिकित्सा कराते हुए कम करने का प्रयत्न करें। इस काम को करते हुए कुछ दिन बाद आप को अच्छा लगने लगेगा। आप यह सोचना बंद करें कि वह उम्र में बड़ी है। बहुत पत्नियाँ उम्र में बड़ी हैं। मेरा मानना है कि यदि आप ने उस के प्रति सकारात्मक सोच से यह सब किया तो कोई भी अन्य स्त्री उस से अधिक अच्छी पत्नी साबित न हो सकेगी।
जहाँ तक कानूनी सलाह का प्रश्न है। आप उस से धोखाधड़ी और ओबीसी रोग के आधारों पर विवाह विच्छेद की डिक्री हासिल नहीं कर सकेंगे। आप को उसे आजीवन भरणपोषण भत्ता भी देना होगा। यह अधिक बरबादी का मार्ग है। इस से अच्छा है कि उस के साथ प्रेम पूर्वक जीवन बिताने की मानसिकता बनाएँ। तीसरा खंबा की शुभकामनाएँ आप के साथ होंगी और हमें विश्वास भी है कि आप इस तरह एक अच्छा और नेक जीवन बिताएंगे।
राहुल जी आपने जो ऊपर ९०% का आकड़ा दिया है वो शायद ९८%है पर आज पतियों की मजबूरी देखिये ……………….
पत्नी पीड़ित पतियों की एक झलक देखने के लिए कृपया कमल हिन्दुस्तानी के ब्लॉग
http://www.becharepati.blogspot.com एक नजर डाले और अपनी कीमती राय जरुर दें
kamal hindustani का पिछला आलेख है:–.धारा 498a के दुरूपयोग पर गंभीर हुई सर्कार !
गुरुवर आप जो भी कहे रहे है वो बिलकुल ठीक है परन्तु आप तो जानते ही है आज लोवेर , मिडल और अपर क्लास में ४९८ अ और ४०६ को लड़की वाले लीगल टेरोरिज्म / क़ानूनी आतंकवाद की तरह इस्तेमाल कर रहे है. ऐसे में लडके वाले क्या करे क्योकि (यह में भी मानता हूँ की आज भी हमारे समाज में लड़की के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है ताने देना मार पीट जान से मार देना आदि) परन्तु अब ९०% मामले ४९८अ और ४०६ के जूठे दर्ज हो रहे है ऐसे में लड़के वाले क्या करे ? क्या हमारे देश में कोई बराबरी का कानून नहीं बन सकता है की जिससे लड़का और लड़की दोनों पक्ष को ही कानून का पूरी तरह खोफ हो ताकि लड़की वाले भी जूठी रिपोर्ट लिखवाते हुए डरे. क्योकि जूठे ४०६ मामलो में लड़की पहेले ही स्त्री धन जेवर चुप चाप आपने मइके पहुचा देती है और फिर ४९८अ और ४०६ का मुकदमा कर देती है और अंत में कोर्ट के बहार ही लडके वाले लड़की वालो को आपसी समझोते से और नकदी दे कर केस ख़त्म करवाते है जिससे की वो आर्थिक रूप से पूरी तरह से टूट जाते है. और लड़का ना अब पैसा है न जेवर और तलाक शुदा हो गया है वो तो जीते जी ही मर जाता है.
राहुल जी,
निश्चित रूप से समस्या गंभीर है। घर बिगड़ रहे हैं। समस्या का हल कानून बदलने से नहीं होगा। अन्वेषण ईमानदारी से होने और न्यायालयों में मुकदमों के एक वर्ष की अवधि में निपटारे से ही हो सकता है। उस के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार जिम्मेदार हैं। और अधिक पारिवारिक न्यायालय खोले जाएँ तथा सुनिश्चित किया जाए कि इन मामलों में पुलिस पूरी ईमानदारी के साथ अन्वेषण करेगी।
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bilkul galat shala kyoki saadi vivah koi guddey gudiyo ka khel nahi hota hai 2 logo ki puri life ka sawal hota hai. drivedi ji mai aapka bahut bada bhagat hun per essa nahi hai ki bhagwan se kabhee galti nahi hoti hai meri aapsey kewal itni prathna hai ki esey maamlo me aap sawal karney waaley ko acha bura na shamzakar kewal yeh batlaye ki 1 saal saadi ko pura nahi hua hai to kya wo is shaadi ko null n void karsakta hai ya nahi . kyoki agar 498a aur 406 ki dhamki mil chuki hai to aap to jaantey hi hai ki kanun to kewal ladkiyo ke pacsh mai hi hai tab agar ek saal baad inlogo ke halat bigdey tab ladkey walo ka jina muskil ho jata hai . agar mene kuch galat likh diya hai to meri galti ke liye mughko shama karey.
राहुल जी,
आप का गुस्सा वाजिब है। वास्तव में न 498 ए में बुराई है और न ही 406 दोनों धाराएँ अपनी जगह सही हैं। वास्तविकता यह है कि जब इन धाराओं के अंतर्गत पुलिस कार्यवाही करती है तब उसे सही अन्वेषण करना चाहिए और सचाई को सामने लाना चाहिए। लेकिन पुलिस का चरित्र आप जानते हैं कि क्या है और वह कार्यवाही कैसे करती है। इस कारण यदि आप को गु्स्सा ही करना है तो पुलिस और वर्तमान व्यवस्था पर करना चाहिए।
एक बात और कि हर पत्नी को पति और उस के परिवार के लोगों की क्रूरता का सामना करना ही पड़ता है, इस कारण जब वह कार्यवाही करने पर उतर आती है तो 498 के लिए पर्याप्त सबूत भी मिलते हैं, कोई भी पत्नी की संपत्ति को ही अपना नहीं समझता पत्नी को भी अपनी संपत्ति समझता है। तब इन धाराओं के अंतर्गत जो भी कार्यवाही की जाती है उस में क्या गलत है? वास्तव में ये धाराएं पति-पत्नी के बीच समानता के आधार पर बनाई गई हैं। लेकिन हमारा समाज अभी बहुत पीछे है। जब इन के अंतर्गत किसी पति और उस के परिवार वालों के विरुद्ध कार्यवाही होती है तो उन्हें लगता है कि उन के साथ ज्यादती हो रही है। वास्तव में हमें समाज को बदलने की जरूरत है। वह बदल भी रहा है लेकिन उस की गति बहुत धीमी है और प्रक्रिया अत्यन्त कष्टप्रद।
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Bilkul galat aap shayad bhool rahe hai jaha kashmir ki jagah kulashmi aa jati hai . Waha to ye kanoon unke liye vardaan ban jaate hai .Kyoki mere saath esa ho raha hai. Or me mook ban ke tamasha dek raha hu kyoki koi sunne ko tyaar hi nahi …
बेशक उनके साथ कथित धिखा हुया है मगरुआज के दिन आपकी नेक सलाह ही उनका जीवन सुखमय बना सकती है आभार्
दिनेश जी:
"आप उस से धोखाधड़ी और ओबीसी रोग के आधारों पर विवाह विच्छेद"
मानसिक रोगों मे जांतपांत का मुझे कतई अनुमान न था. आप तो पारखी ठहरे !!!
अब जरा गंभीर बात:
दिनेश जी की राय का मैं एक काऊंसलर की हैसियत से अनुमोदन करता हूँ. यदि वह मान गई है कि उसे ओसीडी है तो वह मानसिक चिकित्सा के लिये तुरंत तय्यार हो जायगी. उसे तुरंत ही दिल्ली, बेंगलूर, या वेल्लोर के अस्पताल ले जायें. वह एकदम सही हो जायगी और आपका वैवाहिक जीवन आनंदमय हो जायगा. बस बीचबीच में उसके इलाजा का ख्याल रखते रहें.
सस्नेह — शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
इस शानदार भावना को प्रणाम भाई जी, एक बेहद बढ़िया सलाह देकर आपने न केवल रवि पर उपकार किया है बल्कि उस अच्छे दिल की बच्ची का भी भला किया जो रवि की इच्छा जानते हुए भी उसे तलाक़ देने को तैयार हो गयी मेरी समझ में यह बच्ची वन्दनीय है,
मेरी इस बच्ची को शुभकामनायें !!
सादर !
एक संवेदनशील मनुष्य के लिए रस्ते बहुत मुश्किल भी होते हैं और देखा जाये तो बहुत आसानी से वह अपनी इसी काबिलियत के चलते चल पड़ता हैं .इतनी अच्छी सलाह आप ज़रूर मानेगे ,यह हम जानते हैं .मानकर चलिए आप आगे अपने इस निर्णय पर सुख ही नहीं गर्व का अहसास भी पाएंगे.शुभकामनायें
नेक और उचित सलाह, रवि सिन्ह्जी से भी गुज़ारिश कि कबूल कर, समस्या क निवारण उचित तौर पर मानवीय द्र्ष्टीकोण को मद्देनज़र रखते हुए करे।
-मन्सूर अली हाश्मी
बहुत सुंदर सलाह, फ़िर आप को सच मै बहुत अच्छी बीबी मिली है आप के पत्र से लगता है,ओर अगर आप इसे छोड देगे तो दुसरी झगडालू मिली तो?
यह सही सलाह है ऐसी स्थिति मे जीवन साथी का त्याग तो घोर अपराध है ।
सुंदर सलाह!!
रवि जी, देखिये आप कितने खुशकिस्मत हैं कि इतनी उत्तम सलाह आप को बिल्कुल फोकट में मिल गई है।
शायद इतनी इमानदार सलाह आप को बीस-तीस हज़ार रूपये का खर्च कर के भी न मिल पाती।
लेकिन डियर दिनेशराय जी ने इतने दिल से आप को सलाह दी है कि इस के एक एक शब्द में अपनापन झलकता है और उन की सहृदयता के दर्शन होते हैं।
हमें ऐसे ही वकीलों की ज़ररूत है जो बिल्कुल बड़े भाई, पिता या सच्चे दोस्त की तरह सलाह दे सकें।
बस, अब और बातें नहीं करूंगा—-इतनी ही ताकीद करता हूं कि इन की सलाह पर कैसे भी अमल करना शुरू कर दीजिये —यह उन के व्यावसायिक अनुभव का निचोड़ भी है।
आप को मेरी भी बहुत बहुत शुभकामनायें एवं आशीर्वाद।
उचित सलाह.