कानून में 15 वर्ष से कम की पत्नी क्यों?
|कल के आलेख बलात्कार के अपराध में महिला आरोपी क्यों नहीं हो सकती ? पर आई दो टिप्पणियों में एक ही प्रश्न सामने आया कि जब विवाह की न्यूनतम आयु स्त्रियों के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष है तो फिर बलात्संग के मामले में 15 वर्ष की पत्नी का उल्लेख होना क्या विरोधाभास नहीं है? टिप्पणियाँ इस प्रकार हैं-
अभिषेक ओझा said…
‘पुरुष का अपनी पत्नी के साथ मैथुन बलात्संग नहीं है जब कि पत्नी पन्द्रह वर्ष से कम आयु की नहीं है।’ पन्द्रह वर्ष की पत्नी ? शादी की न्यूनतम उम्र से ये विरोधाभास नहीं है ?
Shastri said…
कई नई बातें पता चली. यह भी लगा कि हमारे कई कानून अभी भी एक या दो शताब्दी पीछे चल रहे हैं, जैसे जो 15 साल की उमर से कम की पत्नी की बात करते हैं.
भारत में बालक विवाह पर प्रतिबंध बहुत पुराना है। बालक विवाह प्रतिषेध अधिनियम 1929 में ही लागू हो गया था। किन्तु उस के अंतर्गत विवाह के लिए न्यूनतम आयु पुरुष हेतु 18 वर्ष और स्त्री के लिए 16 वर्ष निर्धारित की गई थी। यह कानून बहुत सख्त नहीं था और इस कानून की सख्ती से पालना भी नहीं हुई। इस कानून का उपयोग आम तौर पर शिकायत दर्ज होने पर ही किया जाता था। जिस के कारण बाल-विवाह की कुरीति पर कोई बड़ा विपरीत प्रभाव नहीं हो सका और वह बनी रही। बाल-विवाह का जितना उन्मूलन हो सका है वह देश की बदलती हुई सामाजिक अवस्था और शिक्षा के प्रसार के कारण हो सका है। कानून ने उस में केवल मदद दी है। इस कानून में और अन्य किसी कानून में भी कोई ऐसा प्रावधान नहीं था जिस से बाल-विवाह हो जाने पर उसे अवैध घोषित कर दिया जाता। हकीकत यह रही कि देश में बालक विवाह होते रहे। जिस के कारण यह बहुत संभव था कि 15 वर्ष से कम आयु की पत्नियाँ भी देश में मौजूद रहीं और आज भी मौजूद हैं।
अब बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 बनाया गया है जो 10 जनवरी, 2007 से प्रभावी हुआ है और 1929 के कानून को इस कानून द्वारा निरस्त कर दिया गया है। इस कानून में विवाह के लिए आवश्यक न्यूनतम आयु पुरुष के लिए 21 वर्ष तथा स्त्री के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है, इस से कम आयु के स्त्री पुरुषों को बालिका व बालक माना गया है। इस कानून में पहली बार किसी बालक विवाह को शून्य घोषित किए जाने का प्रावधान किया गया है। जिस के अनुसार विवाह का वह पक्षकार जो कि विवाह के समय बालक था अब अपने विवाह को शून्य घोषित कराने के लिए अदालत में अर्जी प्रस्तुत कर सकता है। यदि वह ऐसी अर्जी प्रस्तुत करने के समंय भी बालक है तो अपने संरक्षक के माध्यम से यह अर्जी प्रस्तुत कर सकता है। लेकिन ऐसी अर्जी विवाह के समय बालक या बालिका रहे पक्षकार द्वारा वयस्क होने की तिथि के दो वर्ष के भीतर ही प्रस्तुत की जा सकती है।
इस तरह आप देखेंगे कि 15 वर्ष की आयु की पत्नी होना अब भी संभव है। आप सोच रहे होंगे कि जब यह कानून पूरी तरह लागू हो चुका होगा तब संभवतः 15 वर्ष आयु की पत्नी का अस्तित्व इस देश में समाप्त हो जाएगा। लेकिन ऐसी सोच गलत है। आप सोचिए क्या हम दुनिया के किसी भी भाग से ऐसे समाचार नहीं सुनते हैं कि दो या पाँच या सात वर्ष की बालिका के साथ बलात्कार किया गया। किसी भी अवस्था में इस तरह के अपराध के होने की सं
मध्य प्रदेश में एक महिला अधिकारी के दोनो हाथ इसलिये काट दिये थे क्योंकि उसने बाल विवाह का विरोध किया था ऐसी स्थिति में कानून का पालन मुश्किल होता है ।
यह बात तो इस ढंग से कभी सोची ही नहीं थी। जानकारी के लिए आभार।
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SBAI TSALIIM
आपकी व्याख्या सही है…विवाह की कानूनन उम्र भले ही १८ वर्ष हो लेकिन व्यवहारिक रूप में आज भी देश के अनेक हिस्सों में कम उम्र की ब्याह्ताएं मौजूद हैं…इसलिए १५ वर्ष की पत्नी होना आश्चर्यजनक नहीं है और इसे लिखने की कानून की मंशा भी सही ही है!
“इस कारण से किसी भी बाल विवाह को शून्य घोषित करने का प्रावधान तो हो सकता है लेकिन उसे प्रारंभ से ही शून्य माने जाने का प्रावधान बनाया जाना बहुत बड़ी त्रुटि होगी। “
आप ने जिस तरह से विषय को समझाया है उसके लिये आभार. आपके आलेखों को पढने पर कानून की कई बारीकियां आसानी से समझ आ जाती हैं. इससे हम कानूनविशेषज्ञ तो नहीं बन पायेंगे लेकिन कानून को बेहतर तरीके से समझ कर एक अच्छे एवं समझदार नागरिक जरूर बन सकेंगे.
लेखन जारी रखें. बहुत लोगों को फायदा हो रहा है!!
सस्नेह — शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
शंका समाधान सब एक ही जगह..आपका साधुवाद इतना उम्दा कार्य करने के लिए.
आपकी हर पोस्ट विचारणीय जानकारियां देती है। यह भी उसी कड़ी में है। क्या पुराने कानूनों को अधिक कठोर और व्यावहारिक बनाने के लिए कुछ नहीं किया जाना चाहिए….पुराने कानूनों पर अमल शर्मनाक नहीं है? कई कानूनदां को लगातार उद्धृत होते देखता हूं कि हमारा संविधान परिपूर्ण है। व्यवस्था को सुधारने की ज़रूरत है।
क्या है इस सबके मायने…
इस पृथ्वी पर आप ही कुछ समझा सकते हैं मुझे।
एक अलग जानकारी मिली..
नीचे वाले आपके प्रश्न-
क्या अवयस्क बालिका के साथ बलात्कार करने और बाद में इस भय से कि यह सब को बता देगी, उस की हत्या के अपराधी को मृत्युदंड मिलना चाहिए?
के बारे में मेरा कहना है की उस अपराधी को अवश्य ही मृतुदंड मिलना चाहिए.. खोंकी अपराध तो उसने घ्रणित ही किया है… इसका जवाब वहां भी दे सकता था, लेकीन सिर्फ हाँ या ना में ही दे पता, मेरे बाकि शब्द कहीं बीच में ही रह जाते…
आपके ब्लॉग से कानून के बारे में नयी जानकारी मिलती रहती है, आभार…
निश्चित रूप से यह एक विडंबना है. पर एक बात पर ग़ौर करें कि जिन लोगों ने हमारे देश में शादी के न्यूनतम उम्र तय की थी उनके अपने देश यानी में यह अभी भी 16 वर्ष ही है. यह भी कितनी विचित्र बात है!
जिन समस्याओं को हम आसान सम्झ लेते है वो इतनी असान नही है । आपका लेख पढ कर इस बात का अनुमान लग रहा है । जानकारी के लिये आभार
जानकारी के लिए धन्यवाद.
इसी तरह विवाह के पहले दिन से ही कोई भी स्त्री गर्भवती हो सकती है। तब गर्भ में पल रहे बालक की वैधानिकता का प्रश्न भी उपस्थित होगा और उस के पालन पोषण का भी।
बहुत बढिया लेख लिखा आपने. पूरा लेख पढते समय कुछ शंकाए पैदा हुई पर अंत आते आते आपके आलेख मे ही जवाब मिल गया जो मैने उपर आपके आलेख से ही कोट किया है.
आपके लेखन की यही विशेषता है, बहुत धन्यवाद.
रामराम.
विचारणीय .
जीतनी आसानी से हमने सवाल पूछ लिया मामला उतना सरल नहीं ! धन्यवाद इस पोस्ट के लिए.