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किन्नर भी इन्सान हैं।

HIJRAसमस्या-

संतोष कुमार ने गाज़ियाबाद, उत्‍तर प्रदेश से उत्तर प्रदेश राज्य की समस्या भेजी है कि-

किन्नर लोग जो लोगों को परेशान करते हैं, उन से किस प्रकार निपटा जा सकता है? ये लोग बहुत ही बेशर्मी से पेश आते हैं और लोगों को तंग करते हैं। इनके खिलाफ क्या किया जा सकता है?

समाधान-

किन्नर भी इंसान ही हैं। जब किसी को पता लगता है कि उन के परिवार का एक सदस्य यौनिक रूप से अपंग है तो वे उसे त्याग देते हैं। फिर उसे इसी किन्नर समाज में शरण मिलती है। पूरे समाज के प्रति उन में कोई अच्छा भाव नहीं होता। उन्हें आज कोई काम तक नहीं देता। वे समझते हैं कि वे भी समाज के अंग हैं और उन्हें समाज से कुछ प्राप्त करने का अधिकार है। इस कारण उन्होंने अधिकार स्वरूप सामाजिक उल्लास के अवसरों पर अपना नेग लेते हैं, न देने पर अश्लीलता पर उतर आते हैं। कुछ अवसरों पर तो समाज भी यह समझता है कि यह उन का अधिकार है। इस कारण उन की इस हरकत पर बाकी लोग चुप रहते हैं।

जकल कुछ किन्नर रेल व बसों आदि में उगाही करने का काम भी करने लगे हैं। इन में से अधिकांश किन्नर भी नहीं हैं। बहुत से बेरोजगार लोग किन्नर का वेश धारण कर यह काम करने लगे हैं। वैसे भी खुद किन्नर समाज इस तरह की उगाही को गलत मानता है।

दि कोई किन्नर न हो और सामान्य व्यक्ति रेल के डब्बे में आ कर वसूली करने लगे तो आप क्या करेंगे? सारे यात्री उसे पकड़ेंगे और अगले स्टेशन पर उसे पुलिस के हवाले कर देंगे। वही आप को किन्नर या किन्नर वेशधारी व्यक्ति से निपटने के लिए करना चाहिए।

वास्तव में यह समस्या कानून और व्यवस्था की कम और सामाजिक अधिक है। अधिक से अधिक परिवार यदि अपने इस तरह के यौन विकलांग बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह अपनाने लगें तो किन्नर समाज ही समाप्त हो जाए। कई किन्नर हैं जो पढ़े लिखे हैं और अपना व्यवसाय या नौकरी तक करते हैं। इस के लिए सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। यह वैसी ही सामाजिक बीमारी है जैसे दहेज और बाल विवाह इसे सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से ही किया जा सकता है। हमारा दुर्भाग्य है कि इन सामाजिक समस्याओं के लिए देश में कोई बड़ा आंदोलन नहीं है। हम इस तरह की समस्याओं को भी कानून के माध्यम से निपटना चाहते हैं, जो हो नहीं सकता।

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