किराएदार सहमत न हो तो किराया बढ़ाने के लिए वाद संस्थित करें।
गोपाल दास ने ग्वालियर, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरे किराएदार का पिछले साल देहान्त हो गया है। मृत्यु के उपरान्त मैं ने उस के दोनों में से एक लड़के से जो यहां पर रहता है किरायानामा बदलवा के किराया बढ़ाने को कहा तो वो नहीं कर रहा है। किराया लेने को कहता है और रसीद अपने पिता के नाम से काटने को कहता है। अब मैं क्या करूँ?
समाधान-
किरायेदार का देहान्त हो गया है। इस कारण अब उस के सभी उत्तराधिकारी स्टेट्यूटरी टीनेन्ट हैं। हो सकता है अभी परिवार में इस मामले में विवाद हो कि किराएदारी किस के नाम रहेगी इस कारण से वह नया किरायानामा लिखने से मना करता हो और पिता के नाम से रसीद देने को कहता हो।
चूंकि आप किराएदार का तो देहान्त हो गया है इस कारण से उस के नाम की रसीद तो दी नहीं जा सकती। वैसे दोनों का नाम लिखते हुए रसीद दी जा सकती है। उदाहरण के रूप में रसीद में “स्व. श्री रमेश चंद्र हस्ते पुत्र श्री माणिक अंकित कर के रसीद दी जा सकती है।
लेकिन आप किराया भी बढ़ाना चाहते हैं। कानून मे किराया बढ़ाने के लिए स्टेण्डर्ड रेंट निर्धारित कराने का कायदा है। यदि वह किराया बढाने से मना करता है तो आप उस से किराया मत लीजिए। यदि वह छह माह तक किराया नहीं देता है तो किराया अदायगी में डिफाल्ट हो जाएगा। तब आप मकान खाली करने का नोटिस दे कर उस के विरुद्ध किराया बढ़ाने और डिफाल्ट के आधार पर मकान खाली कराने का दावा न्यायालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। इस सारी कार्यवाही को करने के पहले आप को किराए के मुकदमे लड़ने वाले किसी स्थानीय वकील से राय कर लेनी चाहिए।
यहाँ सलाह और उपाय के लिए अपनी समस्या ठेलना उचित नहीं है। आप को चाहिए कि ऊपर जो कानूनी उपाय की लिंक है उसे क्लिक करें और फार्म पर अपनी समस्या भेजें।
हमारे नाना के ३ बेटे हैं और ४ बेटियां हैं, उनकी उम्र ९० वर्ष है. नानी का स्वर्गवास हो गया है. नाना ने अपने जीवनकाल में लगभग ५० वर्ष पहले संपत्ति खरीदी थी और बड़े लड़के के १८ वर्ष का होने पर बंटवारे कर दिए थे. बंटवारे में किसी को कम और किसी को ज्यादा हिस्सा मिला था. उनके बीच वाले बेटे के हिस्से में जो मकान आया था वो बिक गया उसके पैसे नाना बोलते हैं उन्होंने रख लिए क्योंकि वो बार बार पैसे की डिमांड करता था. उनका बड़ा बेटा बाहर नौकरी करके अब वापस पिता के पास आ गया है क्योंकि उसकी पत्नी की १६ वर्ष पहले एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी थी. वो अपने हिस्से में रहते हैं और साथ में छोटा बेटा भी रहता है. छोटे बेटे के पास सबसे ज्यादा संपत्ति का हिस्सा मिला है. बीच वाले बेटे ने अपने बड़े भाई के हिस्से की दुकान और मकान घेर रखी है. नाना का बड़ा बेटा रिटायर होने के बाद अपना काम शुरू करके जीवन गुजरना चाहता है और घर की सेवा व पिता के बाथरूम वगैरा की सफाई भी मन से करता है. नाना का बीच वाला बेटा कहता है की वो तब बड़े भाई को दूकान वगैरा देगा जब नाना की पूरी प्रॉपर्टी के नए सिरे से बराबर हिस्से होएंगे. सब कुछ होते हुए भी घर में सुख का आभाव है. नाना के दामादों की भी प्रॉपर्टी में इंटरेस्ट है जबकि बेटियों के हिस्से को नाना ने शादी में लगा दिया था. माननीय विद्वान वकील साहेब कुछ कृपा करके रास्ता सुझाएंगे ताकि एक अच्छा परिवार सुसंस्कृत रह सके और अपने समर्थ के अनुसार न्यायपूर्वक जीवन यापन कर सके? आपका बेहतर आभार
hello sir ,
sir mera nam yashdani khan h mai raipur c.g. Ka niwasi hu.
mai aapse suchana ka adhiakar adhiniyam 2005 Se releted ek jankari manga tha . Aaj do saftah ho gaya abhi tk mujhe apni jankari prapt nhi hui h.
sir pls jald se jald meri jankari ka ullekh kijiyega bahut urgent h sir ji
मित्र कुछ प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। प्रश्नों की कतार है।
Sir ji
suchna ka adhikar ke tahat jisne aawedan kiya h unko jwab dena jaruri h mere pas waqt bahut km h unko jald se jal jwab dena h bs aapke jwab ka intzar h .pls sir