किरायानामा में क्या क्या लिखाना चाहिए?
समस्या-
झाँसी, उत्तर प्रदेश से नीरज अग्रवाल ने पूछा है-
किसी को मकान या परिसर किराए पर देते समय किरायेनामे में ऐसा क्या लिखाना चाहिए कि किराएदार चाह कर परिसर पर कब्जा नहीं कर सके क्यों कि मुझे अपने किराएदार से नया किरायानामा लिखवाना है।
समाधान-
जब भी किसी किराएदार को कोई मकान मालिक परिसर किराए पर देता है तो उसे उस परिसर का कब्जा देना ही होता है। अपनी किराएदारी के दौरान किराएदार परिसर पर काबिज रहता है लेकिन उस का वह कब्जा केवल किराएदार की हैसियत से ही रहता है। यदि कोई किराएदार किराएवाले परिसर पर अपना स्वत्व प्रदर्शित करता है अथवा मकान मालिक के स्वत्व से इन्कार करता है तो यह एक गंभीर कारण है और इसी आधार पर किसी किराएदार से परिसर खाली कराया जा सकता है। किराएदार सदैव किराएदार रहता है वह कभी मकान मालिक नहीं हो सकता।
किरायानामा लिखते समय उस में स्पष्ट होना चाहिए कि कौन मकान मालिक है और कौन किराएदार है, किराया क्या निर्धारित हुआ है, किराया कब कब अदा किया जाएगा और किरायेदार परिसर का क्या क्या उपयोग कर सकेगा? इस के साथ ही नल बिजली के खर्चों के भुगतान के संबंध में भी स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। इस के अतिरिक्त कुछ भी शर्तें किराएनामे में लिखी जा सकती हैं जो कि दोनों पक्षों को मंजूर हों।
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