किसी भी चैक को सोच समझ कर ही हस्ताक्षर करें और किसी को दें, या नतीजे को तैयार रहें
|पिछले दो आलेखों में मैं ने चैक अनादरण के अपराध पर लिखे आलेखों पर आई जिज्ञासाओं और प्रश्नों पर बात की थी आज उस सिलसिले को जारी रखता हूँ…..
राज भाटिय़ा जी ने लिखा कि, ‘दिनेशराय जी, एक छोटा सा सवाल.. अगर मै अपने किसी विश्वसनीय व्यक्ति को एक कोरा चेक साईन कर के दे दूँ, जिस पर कोई तारीख ना हो, ओर कई वर्षों तक उस चेक की जरुरत नहीं पडे़, इस बीच उस आदमी की नीयत बदल जाये, और वो अपनी मन पसंद रकम भर कर, बैंक में उस चेक को दे, लेकिन बेंक में उतने पैसे न हों तो… कार्यावाही किस पर होगी???? और अगर पैसे हो ओर वो निकलवा ले, लेकिन चेकधारक को कई साल बाद पता चले तो…. क्या उस चेक भुनाने वाले का कुछ कर सकते है, कानूनी तौर पर???’
भाटिया जी, आप की समस्या बिलकुल काल्पनिक है। आप किसी भी विश्वसनीय व्यक्ति को कोरा चैक हस्ताक्षर कर के क्यों देंगे? अंततः उस का भी कोई तो कारण रहा ही होगा। जब भी मामला अदालत में जाएगा प्राथमिक रूप से यही प्रमाणित समझा जाएगा कि आप ने जो चैक दिया था वह उस विश्वसनीय व्यक्ति को उस चैक पर अंकित राशि आप के बैंक खाते से निकाल कर प्राप्त करने के लिए ही दिया गया होगा। अब यह आप की जिम्मेदारी है कि आप मजबूत साक्ष्य के माध्यम से यह साबित करें कि आप ने कोरा चैक अपने विश्वसनीय व्यक्ति को हस्ताक्षर कर के किस कारण दिया था, और उस व्यक्ति ने आप के विश्वास के विरुद्ध उस का उपयोग किया।
मसलन, हम यह मान लें कि आप कुछ माह के लिए भारत आए और अपने घर पर केयर टेकर छोड़ आए। उसे कुछ कोरे चैक हस्ताक्षर कर के दिए कि जो भी बिल आएँ उन्हें इन से चुका देना। आप वापस जर्मनी लौटे। तब तक के भुगतान उसने आप द्वारा हस्ताक्षर कर उसे दिए चैकों से किए। लेकिन कुछ चैक उस के पास हस्ताक्षरित रह गए। उन का उस ने दुरुपयोग किया। केयर टेकर का यह कृत्य न्यास भंग (Breach of trust) का अपराध है। इस के लिए आप केयर टेकर के विरुद्ध पुलिस में रपट लिखा सकते हैं और न्यायालय उसे इस अपराध के लिए सजा दे सकती है। लेकिन आप को केयर टेकर के न्यास भंग के अपराध को मजबूत साक्ष्य से साबित करना पड़ेगा।
ab inconvenienti कहते हैं कि, ‘एक और सवाल, मैंने किसी को आगामी तिथि का चैक दिया, पर उसके धारक द्वारा चैक को बैंक में देने से पहले ही मैं भुगतान रद्द करने का फैसला करता हूँ. और चैक में लिखी तिथि से पहले ही बैंक से लिखित तौर पर, फलां क्रमांक के चैक के भुगतान को रोकने का अनुरोध करता हूँ, तो क्या बैंक उस चैक को रद्द कर सकता है? क्या यह चैक अनादरण होगा?
कोई भी चैक आगामी तिथियों का दिया जा सकता है। उस पर कोई पाबंदी नहीं है। इस का अर्थ यह है कि आप पर कोई दायित्व था जिस के निर्वाह के लिए आप ने वह चैक दिया था। आप अपने दायित्व के निर्वाह के लिए कोई अन्य मार्ग भी चुन सकते थे। लेकिन जब आप ने चैक से भुगतान का मार्ग चुना है तो आप को उस से संबंधित कानून का सम्मान करना होगा। आप उस चैक का भुगतान नहीं रोक सकते हैं। यदि आप उस चैक का भुगतान रोकते हैं तो उस से उत्पन्न होने वाले परिणामों के लिए भी आप को तैयार रहना चाहिए। हाँ यदि आप के पास चैक को निरस्त करने का कोई मजबूत कारण है तो आप ने जिस व्यक्ति को चैक दिया है उस व्यक्ति को नोटिस दे कर चैक को निरस्त कर सकते हैं। पर यह नोटिस चैक धारक को चैक की तिथि से पहले मिलना चाहिए और उस के और आप के बीच हुए कंट्रेक्ट के अनुसार होन
आपने मेरा एक भ्रम दूर कर दिया। मैं तो मान कर चल रहा था कि किसी को, अगली तारीख का चेक देकर उसे निरस्त कराना कोई अपराध नहीं है। किन्तु आपने तो ‘जाले झाड दिए’।
धन्यवाद।
दिनेशराय जी, मुझे अपने सवाल का सही जवाव मिल गया,कारण आप ने खुद ही लिख दिया,
धन्यवाद
आपका लेखन सीख…समझ और
आत्म विशवास के साथ-साथ
समाधान भी देता है.
यह सिर्फ़ पोस्ट नहीं बड़ा
योगदान है आपका.
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
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मुझे एक नीर्यातक फर्म से लगभग ४ लाख रू लेने हैं उन्होने अपना एक परचेज़र रखा है जिसने मुझसे डील की है उन्हॅने ३० से ६० दिनों में भुगतान का वायदा कर माल लिया और अब लगभग ६ माह बीतने को हें आज-कल-अगले हफ्ते करते करते हॅ गये अब आप बताएं मैं क्या करूं मेरे पास लिखित में उनका आदेश तो है पर उस पर स्पष्टतः टर्म्स कंडीसन कुछ नहीं
मैं ऐसी स्थिती में कानूनन क्या कर सकता हूं
हां उसने डी२ फार्म के विरूद्ध पक्के में माल लिया है मेरे पास उनकी रिसीविंग है और कहीं कोई कैश वाउचर या बेरियर या क्रास चैक मुझे नहीं मिला
अब मैं क्या करूं
आप बताएं
या मुझे अपना फोन नं- दें ताकि मैं अन्य कोई प्रश्न हो तो उसका उत्तर दे सकूं
मेरा नं- ०९८९६२०२९२९ व ०९४६६२०२०९९ व ९८९६३०६२६३ व ०१८० ४०२१८२३ हैं
धन्यवाद द्विवेदी जी मे्रा सवाल आप भुले नही हैं.
वैसे आपके इस आलेख से मुझे थोडा थो्डा उत्तर मिल गया है.
अगली पोस्ट का इन्तजार है.
रामराम.
दिनेश जी, नमस्कार
आपके यहाँ पर बडे ही काम की जानकारी मिलती है.
ठीक है. अब बात समझ में आ रही है. मुक़दमा जितना लंबा खिंचे उतना अच्छा होता है – वकील साहब के लिए. बहुर सुंदर तरीके से शंकाओं का समाधान आपने किया है. हमारे पास इस समय किसी भी प्रकार का सन्दर्भ साहित्य नहीं है. एक शंका ज़रूर है मन में है, वह ये कि एन.आई. एक्ट में क्या पोस्ट डेटेड चेक को पारिभाषित किया गया है? चेक को एक “अनकंडीशनल ऑर्डर” कहा गया होगा. क्या पोस्ट डेटिंग एक कंडीशन नहीं है?
बहुत सी जिज्ञासाओं का समाधान होता जा रहा है. मैं समझता था कि सिर्फ इनसफिशियेन्ट बैलेन्स से बॉन्स चैक इस दायरे में आता है. आपकी बात से तो लगता है कि गलत साइन, काटापीटी, और स्टॉप पेमेन्ट आदि सभी इसी दायरे में आते हैं. फिर तो स्टॉप पेमेन्ट मिनिंग लैस हो गया.