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किसी अपराध के लिए मुकदमा विचाराधीन हो या दंडित कर दिया गया हो तो नौकरी प्राप्त करते समय न छुपाएँ।

rp_termination-of-employment.jpgसमस्या-

हंसराज मीणा ने कोटा, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

म ने नौकरी मांग को लेकर राजस्थान सरकार के विरुद्ध आन्दोलन किया तो हमारे साथियों को गिफ्तार किया। मुझे सलाह चाहिए कि क्या धारा 332,352,147,149,448 आईपीसी लगने और मुकदमा विचाराधीन होने पर सरकारी नौकरी लग सकती है। हमारे पास इस से मुक्ति का क्या उपाय है? क्या हमें इन धारा को छुपाकर नौकरी करते समय कोई दिक्कत हो सकती है? कौनसी धारा के तहत सरकारी नौकरी मे लगने से रोका जा सकता है यदि मामला विचाराधीन हो?

समाधान-

कोई अपराधिक मुकदमा विचाराधीन होने पर, उस में सजा होने पर प्रोबेशन पर छोड़े जाने पर, सजा हो जाने पर, संदेह के आधार पर या साक्ष्य न आने या साक्षी के विरुद्ध हो जाने से दण्डित न किए जाने पर हर सरकार और सरकारी विभागों की अलग अलग नीति हो सकती है। आप को चाहिए कि आप जहाँ नौकरी के लिए आवेदन दे रहे हैं उस नौकरी के संबंध में उस सरकार या विभाग की क्या नीति है। उसी से आप के प्रश्न का उत्तर मिल सकता है।

म तौर पर किसी अनैतिक अपराध के मामले में या किसी गंभीर अपराध के मामले में ही किसी को नौकरी देने से वंचित किया जा सकता है। यदि मामला विचाराधीन है तो चयन होने पर नियुक्ति को मामले में निर्णय होने तक नियुक्ति को रोका जा सकता है। दिल्ली पुलिस की इस तरह की गाइड लाइन्स या नीति को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गयी थी जिस में दिनांक 2 जुलाई 2013 को निर्णय प्रदान किया गया है। Commissioner Of Police And Anr vs Mehar Singh के मामले में दिए गए इस निर्णय को आप यहाँ क्लिक कर के पढ सकते हैं।

दि कोई मामला आप के विरुद्ध विचाराधीन है तो उसे छुपाना बहुत गलत है यह अलग से एक अपराध होगा और मिली हुई नौकरी कभी भी छीनी जा सकती है और तथ्य छुपाने के लिए सजा अलग से मिल सकती है। आप को विचाराधीन अपराधिक प्रकरण और यदि किसी मामले में दंडित किया गया है तो उसे स्पष्ट रूप से अपने आवेदन में पूछे जाने पर अंकित करना चाहिए।

प का मामला हक के लिए आंदोलन के दौरान बनाया गया है। इस तरह के अपराधिक मामले सरकार वापस भी ले लेती है। यदि स्वयं सरकार इस तरह के अपराधिक मामले वापस ले लेती है तो फिर नौकरी प्राप्त करने में कोई बाधा नहीं रहती है।

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