क्या मुझे मेरे पिता जी के सेवा में रहते हुए दिवंगत होने के कारण अनुकंपा नियुक्ति मिल सकती है?
| कमलेश सोनी ने पूछा है-
मेरे पापा कलेक्टर कार्यालय में 1980 से नियमित कर्मचारी थे। सेवा में रहते हुए उन का दिनांक 11.02.2005 में देहान्त हो गया। लेकिन मेरी मम्मी 1999 से शिक्षाकर्मी-3 के पद पर कार्यरत है। मध्यप्रदेश शासन की अनुकंपा नियमों के अय़नुसार मैं अनुकंपा नियुक्ति के लिए अधिकार नहीं रखता। क्या मेरी मध्यप्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति हो सकती है?
उत्तर –
कमलेश जी,
उच्चतम न्यायालय का निर्णय है कि अनुकंपा नियुक्ति मृत कर्मचारी का अधिकार नहीं है। अपितु यह कर्मचारियों के परिवारों को दी गई एक सुविधा है। यदि किसी कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाती है, और उस का परिवार अचानक संकट में आ जाता है तो वैसी स्थिति में नियमों के अनुसार मृत राजकीय कर्मचारी के आश्रितों में से किसी एक को सरकारी सेवा में नियुक्ति दी जा सकती है। आप की माताजी पहले से ही सरकारी सेवा में हैं, वैसी स्थिति में आप का परिवार उस तरह के संकट में नहीं कहा जा सकता जैसा कि यदि परिवार में कोई भी व्यक्ति सरकारी सेवा में न हो तो संकट में होता।
प्रत्येक राज्य सरकार के अनुकंपा नियुक्ति के नियम भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, मध्यप्रदेश के राजकीय कर्मचारियों पर प्रभावी अनुकंपा नियुक्ति के नियमों की जानकारी हम नहीं कर सके हैं, लेकिन यह निश्चित है कि यदि परिवार में आश्रितों में से कोई एक पहले से सरकारी सेवा में है तो उस परिवार में मृत कर्मचारी के अन्य आश्रितों को इन नियमों के अंतर्गत नियुक्ति प्राप्त होना दुष्कर है। वैसे भी अनुकंपा नियुक्ति के मामले में मध्यप्रदेश में कोई अच्छी स्थिति नहीं है। अनेक मृत कर्मचारियों को आश्रितों को पिछले दस वर्ष से नौकरियाँ नहीं दी जा सकी हैं, जब कि वे नियमों के अंतर्गत नौकरी के लिए हकदार हैं।
मुझे नहीं लगता कि आप को अनुकंपा नियुक्ति मिल सकती है। आप चाहें तो यहाँ क्लिक कर के अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में उच्चतम न्यायालय का छत्तीसगढ़ सरकार बनाम धीरजो कुमार सेंगर के मुकदमें में दिया गया निर्णय पढ़ सकते हैं। इस मामले में आप को सेवा संबंधी मामलों को देखने वाले किसी उच्चन्यायालय के वकील से सलाह करनी चाहिए।
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17 Comments
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सांपों को दुध पिलाना पुण्य का काम है?
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@सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
त्रिपाठी जी,
आप ने तो अनुकंपा नियुक्ति के नियमों का कृष्णपक्ष उजागर कर दिया। मेरे ज्ञान में ऐसे कई मामले हैं जहाँ अनुकंपा नियुक्ति के लिए माँ-बेटे, भाइयों भाई-बहन और बहनों को आपस में लड़ते और मुकदमेबाजी करते देखा है।
उत्तर प्रदेश के नियम बहुत उदार हैं। माँ के नौकरी में रहने के बावजूद सेवारत पिता की मृत्यु हो जाने पर पर एक आश्रित को नौकरी मिल जाती है।
मैं एक ऐसा प्रकरण जानता हूँ जहाँ पति-पत्नी दोनो नौकरी शुदा (अध्यापक) थे। पत्नी मर गयी तो बड़े बेटे को नौकरी मिल गयी। इससे छोटे बेटे को मलाल रहने लगा और वह घर में रोज झगड़ा करने लगा। आजिज आकर पिता ने रिटायर होने से पहले जहर खा लिया ताकि छोटे बेटे को भी नौकरी मिल जाय।
अच्छी ओर सही सलाह.
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धन्यवाद
अच्छी सलाह.