क्या मैं तीसरा विवाह कर सकता हूँ?
|समस्या
गजाधर पाण्डे ने इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से पूछा है-
मेरी पहली पत्नी से मेरा तलाक 2013 में ही हो गया था…और मेरी दूसरी शादी जून 2021 में आजमगढ़ हुई। जून के पहले जब मेरा परिवार लड़की देखने गया तो उनके पिताजी ने यह बताया की हमारी बेटी का लगभग सब केस फाइनल हो चूका है। बस कुछ लेन-देन में अटका है, जो की एक दो महीने की कोर्ट की तारीख में फाइनल हो जायेगा। उनके इसी आश्वासन पर और रिस्तेदारों के विस्वास पर हम लोगों ने उसी परिस्थिति में शादी के लिए हाँ कर दी और डेट भी दे दिया। बिना 1 रुपये का कोई डिमांड किये हमने गरीब परिवार और सुन्दर आचरण देख शादी कर लिया। धीरे धीरे समय बीतने पर जब मेरे पिताजी उनके मुक़दमे के बारे में पूछते तो वो आज कल करते रहते। हमारे बहुत ज़िद करने पर लड़की के पिता ने अपने वकील से हमारी बात कराई तो वकील ने स्पस्ट शब्दों में कह दिया की अभी इनका 498 दहेज़, 125 खर्च और 420 का मुक़दमा लड़के पर किया गया जो की हाई कोर्ट में भी 125 का चल रहा है। उसने यह भी बताया की डाइवोर्स का अप्लाई किया गया है वो स्वीकार नहीं कर रहा है। और तो और इनलोगो ने लड़के पक्ष का कुछ स्वर्ण सामान ले रखा है। कुल मिला कर लड़की पक्ष लड़के पक्ष से मोटी धनराशि लेने के फेर में है। उनके ये केस 2015 से अभी तक चल रहे हैं। इस तरह उनके वकील की बात सुनकर कुछ दिन बाद हम लोगो के यहाँ से लड़की की पहली विदाई हुई और वह राजी ख़ुशी अपने घर चली गयी। फिर एक दिन किसी बात को लेकर लड़की के पिता ने मेरे पिता और मेरी बड़ी दीदी को गाली गलौज दे दिया। लड़की के माँ और खुद लड़की भी अपनी इस गलती पर माफ़ी नहीं मांगी और उलटे मेरे ही परिवार को दोष दे रही है। उनके बदले इस रवैय्ये को देख हम लोगो ने उनसे यह शर्त रख दी की अब पहले लड़की का केस फाइनल करिये तभी विदाई होगी और दो महीने के अंदर आपने लड़के पक्ष से सुलह नहीं किया तो हम लोग दूसरा रास्ता देखेंगे। इतना सुनते ही लड़की की माँ ने धमकी दिया को शादी हुआ है कोई मज़ाक नहीं इतनी जल्दी केस नहीं हटाएंगे। आपको जो करना हो कर लो। आपको सब बताकर किया गया था। सच्चाई तो यह है कि अगर मेरे और मेरे परिवार को वे यह बात खुल के बताते तो हम लोग कभी शादी के लिए हाँ नहीं करते। अब परेशानी यह है कि मै अपने माता पिता की इकलौता संतान हूँ और मेरी उम्र भी ३९ के करीब है। घर में पहले से ही बहुत परेशानी है। माता पिता की देख रेख करने वाला एक मात्र मैं ही हूँ। यह लड़की यानि मेरी दूसरी पत्नी मेरे साथ 28 दिन रही। और अभी हम दो ही हैं। कृपया मुझे बताये की मुझे क्या करना चाहिए? मैं अपनी पत्नी को सम्मानपूर्वक रखना चाहता हूँ, किन्तु उसकी फॅमिली केस हटाने को तैयार ही नहीं है और वे 2015 से केस लड़ रहे हैं। आगे क्या होगा भगवान जाने। पर मैं बहुत बुरी तरह फँस गया। मान लीजिये वे दो महीने में अगले से सुलह समझौता नहीं करते है तो क्या मैं बिना किसी पुलिस कोर्ट के झंझट में न रह कर तीसरी शादी कर सकता हूँ? क्योंकि वो अपने पहले केस में सुलह को तैयार ही नहीं है इस तरह मै कब तक बैठा रहूँगा। इस समय मुझे क्या करना चाहिए जिससे मैं और मेरा परिवार किसी केस में न उलझूँ?
समाधान-
आप का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो चुका था। आपने जिस स्त्री से दूसरा विवाह किया उसका अपने पहले पति से तलाक हुआ या नहीं यह सूचना आपने हमें अपनी समस्या में नहीं दी है।
आपने बताया है कि उसके परिवादों पर धारा 125 दं.प्र.संहिता, धारा 498-ए और धारा 420 आईपीसी के मुकदमे उसके पति के विरुद्ध अभी भी लंबित हैं। यह सब मुकदमे पत्नी के विरुद्ध किए गए मुकदमों और भरण पोषण के लिए हैं। इनसे यह तो स्पष्ट होता है कि उसका अपने पति से विवाद चल रहा है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसे अपने पहले पति के विरुद्ध विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त की है या नहीं यदि प्राप्त की है तो क्या वह अन्तिम हो चुकी है?
इस स्त्री के अपने पति से विवाह विच्छेद की डिक्री पारित होने तथा निर्धारित अवधि में अपील न होने से उसके अन्तिम होने के उपरान्त आपने उससे विवाह किया है तो यह विवाह वैध है। लेकिन यदि उसे तलाक की डिक्री प्राप्त नहीं हुई थी और प्राप्त हुई थी तो वह अन्तिम नहीं हुई थी और उसके पहले ही आपका उसके साथ विवाह हो गया था तो ऐसा विवाह वैध नहीं है। क्यों कि आपकी दूसरी पत्नी का पति जीवित है जिससे उसका तलाक नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में यह विवाह धारा 5 (i) हिन्दू विवाह अधिनियम का उल्लंघन करता है और अकृत है। वैसी स्थिति में आप अन्यत्र विवाह कर सकते हैं।
लेकिन यदि आपकी दूसरी पत्नी ने आपसे विवाह करने के पहले विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर ली थी जो अन्तिम भी हो चुकी थी तो आपका यह दूसरा विवाह वैध है। यदि आपकी इस दूसरी पत्नी के अपने पहले पति के साथ मुकदमे चल रहे हैं तो आपको इन मुकदमों को लड़ने और समुचित राहत प्राप्त करने के लिये अपनी दूसरी पत्नी की मदद करनी चाहिए। इससे आप दोनों के बीच विश्वास बढ़ेगा और आगे का जीवन सुखद हो सकेगा।