चिट्ठाकार चोर नहीं, यदि….
|मैं कुछ दिनों से व्यस्त रहा, कुछ प्रोफेशनल और कुछ पारिवारिक व्यस्तता। इस कारण से अपने ब्लॉग पर लिख नहीं सका। जिस तरह के कमेंट्स कॉपीराइट वाली पोस्टों पर आए उन से लगा कि शायद लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे।
आज एक ब्लॉगर साथी ने मेल पर 25 फरवरी को प्रकाशित इरफान भाई के चिट्ठे ‘ टूटी हुई बिखरी हुई’ के आलेख क्या हम चोर हैं? और स्वप्नदर्शी जी के चिट्ठे के आलेख कापीराईट एक्ट कुछ फलसफे -कुछ उलझन के लिंक मुझे दिए मैं ने उन्हें और उन पर आई टिप्पणियों को पढ़ा। मुझे लगा कि इस विषय को ले कर चिंता तो है।
हुआ यह था कि कॉपीराइट की चर्चा कहीं ब्लॉग पर हुई, नोटिस भी शायद दिए गए, मुझे लगा कि जो लोग धड़ाधड़ अपनी कृतियाँ प्रकाशित किए जा रहे हैं उन्हें इस कानून की जानकारी होनी चाहिए। मैं ने इस कानून के कुछ महत्वपूर्ण अंशों का हिन्दी अनुवाद किया और उसे अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया। कॉपीराइट के मूल अंग्रेजी कानून का पूरा पाठ भी उपलब्ध कराया। सोचा, इस से सोचना तो आरंभ होगा। कॉपीराइट एक्ट का मूल उद्देश्य कृतिकारों की मौलिक रचनाओं पर उन के अधिकार की रक्षा करना है। अगर हम वास्तव में कृतिकार हैं तो हमें इस अधिकार का सम्मान करना ही चाहिए। हम बिना पूछे, बिना बताए धड़ल्ले से दूसरों की कृतियों का मनमाना उपयोग करते चले जाएं यह अच्छा नहीं।
मेरे इस प्रयास से अच्छी बात यह हुई कि इस पर सोचना आरंभ हुआ। अभी तक मैं ने इस कानून के किसी भी पक्ष पर अपने विचार नहीं रखे हैं और न ही उसे व्याख्यायित करने का प्रयत्न किया है। मैं ने स्वयं भी तीस साल से वकील होते हुए भी इस कानून को गंभीरता से नहीं लिया था। क्यों कि चिट्ठा आरंभ करने के पहले इस की कोई जरूरत भी नहीं हुई। मैं ने पहली बार इस कानून पर श्रम किया और समय भी लगाया। कोई अच्छा चिट्ठाकारों के समझने लायक हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं होने से खुद ही इस का बीड़ा उठाया।
समीक्षा और किसी भले काम के लिए किसी कृति के अंशों का सदुपयोग करना कहीं भी कॉपीराइट कानून का उल्लंघन नहीं है। लेकिन इन बातों को विस्तार से समझना जरुरी है। अब जब विमर्श आरंभ हो ही गया है, मैं भी कुछ लिखूंगा ही। अभी तक जो कुछ भी मैं ने अपने ब्लॉग पर लिखा है वह केवल अक्षर ज्ञान जितना है और उस से अधिक कुछ साफ नहीं हुआ है। प्राथमिक जानकारी का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा उस में छूटा हुआ है। वह इस कानून में इस्तेमाल किए गए कुछ विशिष्ठ शब्दों की परिभाषाओं का है। इन्हें मैं एक दो दिनों में अपने चिट्ठे तीसरा खंबा पर डाल रहा हूँ। इस के बाद ही विमर्श आगे चले तो ठीक।
जहाँ तक चोरी का प्रश्न है। इतना जरुर यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि अगर आपने कृतिकार का उल्लेख करते हुए किसी कृति का उपयोग किया है तो वह कम से कम चोरी तो नहीं है, कॉपीराइट का उल्लंघन भले ही हो। इस कारण से अपराध बोध न पालें।
इतना निवेदन और कि संभवतया पूरी कृति का उपयोग करने से बचें, कृतिकार का आभार जरुर व्यक्त करें और अपने कॉपीराइट की रक्षा के बारे में सोचते हुए दूसरे के कॉपीराइट वाली कृतियों का इस्तेमाल करें।
आपका प्रयास सराहनीय है आपके ब्लॉग के माध्यम से कापीराईट के बारे मे सभी को अच्छी जानकारी मिल रही है निसंदेह आप बधाई के पात्र .आभार
उम्मीद है कि अभी आप इस विषय पर काफी कुछ लिखेंगे. आपके आगमन से पहले इस विषय पर उन्मुक्त जी ने एवं मैं ने काफी लेख लिखे हैं, लेकिन एक कानूनी विषेशज्ञ की जरूरत मसूस हो रही थी जो अब आप ने पूरा कर दिया है.
कृपया सॉफ्टवेयर के बारे में भी लिखें. उसके तकनीकी पहलू (मुफ्त साफ्टवेयर) के बारे में मैं सारथी पर लिखूंगा.
लेखन जारी रखें!!!
द्विवेदी जी,
महत्वपूर्ण विषयों का जैसा
सरलीकरण आप कर रहे हैं
वह स्तुत्य है .
जानकारी के अभाव में जागृति भी नहीं आती.
आपकी इस पहल से प्रतिलिप्याधिकार
के सन्दर्भ में, लेखकों और पाठकों को भी
ज़िम्मेदार व्यवहार करने की सीख मिलेगी.
आभार सहित आपका –
डा.चंद्रकुमार जैन
द्विवेदी जी,
आपने कॉपीराइट एक्ट की जानकारी देने का सिससिला शुरू करके स्तुत्य कार्य किया है।
आँखें खोल देने वाला पोस्ट !
आपको मिस करता रहा, बंधु !
आप के इस लेख से उन लोगों की आंखे खुलेगी जो बगैर आभार व्यक्त किये हुए दूसरे की क्रितियो का खुलम्खुल्ला उपयोग किया करते है.
यह सही है – मूल लेखक को लिन्क कर अगर बिन्दु या संक्षेप या छोटा अंश दिया जाय तो अपराधबोध नहीं होना चाहिये।
बाकी कानूनी स्थिति तो आप बतायें।
अगली पोस्ट का मैं इंतजार कर रहा हूं..
अच्छा तो, द्विेवेदी जी,हमें आप की आने वाली पोस्टों का बेसब्री से इंतजार रहेगा। ज़िंदगी में पहली बार आप जैसे किसी वकील को पढ़ रहा हूं जिस की बातें समझ में आती जा रही हैं क्योंकि ये सब उस के दिल से बेहद शिद्दत से निकल रही हैं। काश,हर प्रौफैशनल अपना ज्ञान इसी तरह बेझिझक हो कर सब लोगों के साथ बांटना शुरू कर दे।