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जन समस्या के लिए धारा 91 सीपीसी में जनहित वाद प्रस्तुत करें . . .

Vagetable marketसमस्या-
चौमहला, राजस्थान से दिनेश जैन ने पूछा है –

चौमहला क़स्बा काफी खुबसूरत है। यहाँ की सड़कें काफी चोडी हैं।  जिस से इसकी सुन्दरता को चार चाँद लगे है।  झंडा चौक यहाँ का ह्रदय स्थल है। यहाँ बरसों से सडक पर सब्जी विक्रेताओं ने अतिक्रमण कर जन मार्ग, लोक मार्ग बाधित कर रखा है। पहले कस्बे की आबादी व वाहनों की संख्या कम थी मगर अब आबादी व वाहनों की बढ़ती संख्या के चलते यहाँ दुर्घटना संभावित है। आम आदमी व सब्जीविक्रेताओं के पीछे के निवासी व दुकानदार बुरी तरह से परेशान व दुखी हैं| राज्य सरकार द्वारा बनाई गई सड़क का दुरुपयोग हो रहा है। प्रशासन का इस और ध्यान नहीं है। आम आदमी इस अतिक्रमण से मुक्ति चाहता है। ये अतिक्रमण यहाँ से कानूनी मदद से कैसे हटाया जा सकता है?

समाधान-

प की समस्या वाकई वाजिब है। आम तौर पर छोटे कस्बों में सब्जी वाले शाम के समय बैठ कर अपना व्यवसाय करते हैं। इस से उस बाजार में ग्राहकों की आवक जावक अधिक होने से उस बाजार के अन्य व्यापारियों को भी लाभ होता है और वे भी चाहते हैं कि सब्जी वाले ऐसे ही बैठते रहें। लोगों को भी सभी तरह का सामान एक स्थान पर मिल जाता है। इस कारण वे भी इसे बदलना नहीं चाहते। सब कुछ ठीक ठाक चलता रहता है।

लेकिन धीरे धीरे आबादी बढ़ने लगती है और बाजार में भीड़ इतनी हो जाती है कि लोगों को पहले वाहन निकालने में और फिर चलने फिरने में समस्या होने लगती है। धीरे धीरे वह समस्या विकराल हो जाती है। तब लगने लगता है कि सब्जी बाजार अलग होना चाहिए। वैसी स्थिति में स्थानीय निकाय अर्थात ग्राम पंचायत या नगरपालिका का यह दायित्व है कि कस्बे में उचित स्थान की तलाश कर के वहाँ अलग से सब्जी बाजार बनाए और सब्जी बेचने वालों को कस्बे के प्रमुख स्थल से हटाए। लेकिन स्थानीय निकाय के पास बजट न होने तथा सब्जी वालों के विरोध के कारण वे इसे टालते रहते हैं। एक दिन यह समस्या बहुत दुखदायी हो जाती है और जन रोष भी उत्पन्न करने लगती है।

दि नगर पालिका इस ओर ध्यान नहीं दे रही है तो आप कोई भी दो या दो से अधिक व्यक्ति मिल कर नगर पालिका को अपनी समस्या का विवरण देते हुए अलग सब्जी बाजार बना कर सब्जी विक्रेताओं को मुख्य बाजार से हटाए जाने के लिए विधिक सूचना (Legal notice) दे सकते हैं। जिस में आप को लिखना चाहिए कि ऐसा नहीं किया गया तो आप जनहित वाद प्रस्तुत करेंगे। नोटिस देने के उपरान्त यदि नगर पालिका इस पर ध्यान न दे तो 60 दिनों के उपरान्त नोटिस देने वाले दो या दो से अधिक व्यक्ति व्यवहार प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure Code) की धारा 91 के अन्तर्गत जनहित वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। बस आप को इतना करना होगा कि आप को यह दीवानी वाद इस आवेदन के साथ प्रस्तुत करना होगा कि यह एक जन समस्या है और आप को यह दीवानी वाद प्रस्तुत करने की  अनुमति प्रदान की जाए। आम तौर पर न्यायालय अनुमति प्रदान कर देता है और वाद को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लेता है।

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