जीवन बीमा का मूल पॉलिसी बॉण्ड नहीं मिला, बीमा एजेण्ट खर्चे पर डुप्लीकेट निकलवाने को कहता है, क्या करना चाहिए?
|श्री गजानन्द अग्रवाल ने पूछा है ____________
मैं ने तीन वर्ष पूर्व जीवन बीमा निगम से एक बीमा पॉलिसी ली थी। लेकिन आज तक भी मुझे मूल पॉलिसी बॉण्ड प्राप्त नहीं हुआ है। मैं ने मेरे जीवन बीमा एजेण्ट को अनेक बार मूल पॉलिसी बॉण्ड प्राप्त नहीं होने की सूचना दी। उस ने मुझे आश्वस्त किया कि वह पॉलिसी बाण्ड ला देगा। लेकिन अब वह कह रहा है कि आप को डुप्लीकेट की फीस जमा करनी पड़ेगी। मुझे डुप्लीकेट पॉलिसी बॉण्ड की फीस क्यों जमा करनी चाहिए? जब कि मुझे मूल पॉलिसी बॉण्ड प्राप्त ही नहीं हुआ है। कृपया मुझे सलाह दें कि मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर_____________
जीवन बीमा निगम के लिए यह अनिवार्य है कि वह अपने ग्राहक को पालिसी बाण्ड आधिकारिक रूप , पंजीकृत डाक से ही भेजे, और सामान्यत- इसी प्रकार भेजा भी जाता है।
पालिसी बाण्ड एजेण्ट को भी तब ही सौंपा जाता है जबकि एजेण्ट, सम्बन्धित ग्राहक द्वारा, एजेण्ट के पक्ष में प्रदत्त अधिकार पत्र शाखा कार्यालय में प्रस्तुत करे। इस प्रकार के एक अधिकार पत्र का नमूना यहाँ प्रदर्शित किया गया है। जिस का प्रारूप श्री विष्णु बैरागी जी ने स्वयं बनाया है। इस प्रारूप के तीन भाग हैं। प्रथम भाग में एजेण्ट को अधिकृत किया गया है। दूसरा और तीसरा भाग, पालिसी बाण्ड की अग्रिम पावती है। एक पावती शाखा कार्यालय में रह जाती है और दूसरी एजेण्ट अपने पास रखता है। इन दिनों जो नए छपे प्रस्ताव पत्र आए हैं उनमें, निगम ने प्रस्ताव पत्र पर ही यह अधिकार पत्र मुद्रित कर दिया है। इसकी भी यहाँ प्रदर्शित है। इससे यह स्वत: स्पष्ट है कि ग्राहक द्वारा जारी अधिकार पत्र के बिना तो पालिसी बाण्ड एजेण्ट को दिया ही नहीं जाता। ऐसे अधिकार पत्र के आधार पर एजेण्ट को जब पालिसी बाण्ड दिया जाता है तो शाखा कार्यालय एजेण्ट से उस पालिसी बाण्ड की पावती लेता है।
(प्रारूपों को बड़ा कर पढ़ने के लिए चित्र पर क्लिक करें)
आपके प्रकरण से यह तो स्पष्ट है कि शाखा कार्यालय से पंजीकृत डाक द्वारा प्रेषित पॉलिसी बॉण्ड आप को प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है कि इसे शाखा कार्यालय से पंजीकृत डाक द्वारा भेजा ही नहीं गया। यदि भेजा होता तो एजेण्ट शाखा कार्यालय से पॉलिसी बाण्ड आप को भेजे जाने के ब्यौरे प्राप्त कर आप को बता देता।
ऐसे में हमारा अनुमान है कि आप के जीवन बीमा एजेण्ट ने आप को देने के लिए मूल पालिसी बाण्ड प्राप्त कर लिया होगा जो वह आप को पहुँचा नहीं सका और अब खो जाने से उसे अपने पास भी नहीं मिल रहा है।
आप का यह कहना बिलकुल सही है कि आप डुप्लीकेट पालिसी बाण्ड जारी कराए ही क्यों? और यदि ऐसा कराना पडे तो उसका शुल्क आप क्यों भुगतें ? आप के प्रकरण में एजेण्ट आप को शाखा कार्यालय से सम्पर्क करने
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एक अच्छी जानकारी,आभार।
कई बार इस तरह की समस्याएं आ जाती हैं और कई बार तो यह भी होता है कि सरकारी दफ्तरों के बाबू लोग हर तरह से कम्प्लीट फाइल ही ग़ायब कर देते है.
एक चीज स्पष्ट नही हुयी कि अगर डाक मे गुम हो गयी तब तो फ़ीस चुकानी ही पडेगी ना । वैसे इस पोस्ट को लिखने मे जो मेहनत की गयी है उसके लिये साधुवाद । मै वैरागी जी का भी अभारी हू ।
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी है। आभार।
घुघूती बासूती
मेरे साथ भी एक ऐसी ही घटना हुई थी, लेकिन मैने जब अपने एजेन्ट को बताया कि मेरा पालिसी बाण्ड मुझे प्राप्त नही हुआ है तो मुझे दस दिनों में ही डाक द्वारा मेरा बाण्ड मिल गया और कुछ दिन बाद ही डाक द्वारा ही मूल प्रति भी प्राप्त हो गई जो शायद डाक-विभाग की गलती से देर से प्राप्त हुई।
आपको और विष्णु बैरागी जी को नमस्कार
‘धन्यवाद’ के अतिरिक्त और कुछ भी कहना मेरे लिए इस समय न तो सम्भव है और न ही उचित।
अक्सर, मधुर संबंधों के कारण कई बातों पर कठोर निर्णय ले पाना मुश्किल होता ही है।
आपने, बैरागी जी के सहयोग से एक अच्छी जानकारी दी