'तीसरा खंबा' का अभियान रंग लाया…………… न्यायिक सुधार बनेंगे आगामी चुनावों का केन्द्रीय मुद्दा
|‘तीसरा खंबा’ का यह कथन सच होने जा रहा है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में न्यायिक सुधार एक अहम मुद्दा होना चाहिए। अपने जन्म से ही इस बात को लगातार पुरजोर शब्दों में उठाता रहा कि भारत की न्याय-प्रणाली में सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। भारतीय न्याय-प्रणाली का सब से बड़ा रोग इस के आकार का छोटा रह जाना है जिस के कारण लोगों को न्याय दशकों में भी नहीं मिल पा रहा है, जिस का अर्थ है “न्याय है ही नहीं”।
उच्च न्यायालयों के मुख्य-न्यायाधीशों और मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जिस प्रकार न्यायिक सुधारों पर अपना मत प्रकट करते हुए यह कहा था कि केन्द्र सरकार न्यायिक सुधारों पर गंभीर है और उस ने जरूरी कदम उठाए हैं, और अब राज्य सरकारों की बारी है उस से न्यायिक सुधारों की गेंद विपक्ष के हाथों सौंप दी गई थी और इस बात की पूरी संभावना थी कि विपक्ष इस का कड़ा जवाब देगा।
भाजपा द्वारा घोषित प्रधानमंत्री पद के आगामी उम्मीदवार लालकृष्ण आडवानी ने प्रधानमंत्री की गेंद पर कड़ा प्रहार करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि न्यायिक सुधार आगामी चुनाव में न्यायिक सुधार एक महत्वपूर्ण मुद्दा होंगे।
उन्हों ने जो कुछ भी कहा है वह इस प्रकार है…
“भारत में न्यायाधीशों और जनसंख्या के बीच का अनुपात काफी कम है। प्रति 10 लाख नागरिकों पर 10-5 न्यायाधीश है, जबकि अमेरिका में यह अनुपात 10 लाख नागरिकों पर 107 जजों का है। उन्होंने कहा कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.2 प्रतिशत ही न्यायपालिका पर खर्च हो रहा है। सत्ता में आने पर हम 5 वर्ष में इसमें 5 गुना की वृद्धि करेंगे।
विभिन्न अदालतों में 2 करोड़ से अधिक मामले लंबित पड़े हैं। इनमें से कुछ 1950 से लंबित हैं। सजा की दर केवल 6 से 7 प्रतिशत है। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जिसमें अपराधी अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर हम एक ऐसी प्रभावी व्यवस्था पर विचार करेंगे, जिसके द्वारा उन बड़े आर्थिक अपराधों और भ्रष्टाचार के बड़े मामलों को फास्ट ट्रैक के जरिए सुलझाने का प्रबंध किया जाएगा, जिनमें राजनीतिज्ञ और अफसरशाही के लोग शामिल होंगे। न्यायिक प्रक्रिया में सुधार कर फास्ट ट्रैक के जरिए राजनीतिज्ञों द्वारा किए गए बड़े आर्थिक अपराधों और भ्रष्टाचार के मामलों को निपटाने की व्यवस्था की जाएगी। भारत में आपराधिक न्यायिक व्यवस्था की स्थिति चिन्ताजनक है।
भाजपानीत सरकार उच्चतम न्यायालय के चार क्षेत्रीय खंडपीठ स्थापित करने पर विचार करेगी।ये खंडपीठ उत्तर भारत के लिए दिल्ली में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के लिए कोलकाता में दक्षिण भारत के लिए चेन्नई में और पश्चिम तथा मध्य भारत के लिए मुंबई में होगी। इस व्यवस्था के तहत दिल्ली का उच्चतम न्यायालय केवल संवैधानिक मामलों अंतर राज्यीय विवादों और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को देखेगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इन न्यायिक सुधारों के बारे में एक व्यापक सर्वानुमति बने।
उन्होंने कहा कि हमारी न्यायपालिका की दूसरी बड़ी समस्या यह है कि हमारे यहाँ केन्द्र राज्य और स्थानीय सरकारें ही सबसे ज्यादा मामले दायर करती हैं। हम इसमें बड़े पैमाने पर कटौती करने का हरसंभव प्रयास करेंगे।
आडवानी जी के इस प्रहार से न्यायिक सुधारों का मुद्दा चुनाव और राजनीति के केन्द्र में आ चुका
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12 Comments
mammoth weblog you’ve enjoy
I’d be inclined to go along with with you here. Which is not something I typically do! I love reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to speak my mind!
बधाई और शुभकामनायें ! १००वें पोस्ट और इस शुभ काम दोनों के लिए !
wakeel to isme aade nahin aayenge pichhle salon ki tarah, pratayek awastha men 1 saal ke andar ek star par niptara hona chahiye, doosra nyayik adhikarion ko nyayadhish ki tarah n hokar nyayik adhikarion ki tarah kaam karna chahiye, teesra avmanna tabhi hona chahiye jab nirnay ki avhelna ho, nirnayon par tippani karne ko ya nyayik prakriya par tippani karne ko avmanna se bahar karna chahiye. england me jahan se hamare adhiktar kaanoon mile hain, aaj tak avmanna men kisi ko saza nahi huyi , jabki wahan faislon ki kadi aalochna tak ho jati hai.
बधाइयां, साधुवाद और अभिनन्दन । आपने दुष्यन्त को सच साबित कर दिखायस ‘ ‘कौन कहता है, आकाश में सूराख हो नहीं सकता । एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों ।’
आपकी ‘तबीयत’ को नमन । ‘तीसरा खम्भा’ की यह सफलता औरों को प्रेशर करेगी, रास्ता दिखाएगी ।
शतकीय पोस्ट के लिए अतिरिक्त अभिनन्दन ।
is se badi khushi kii bat kya hogi, ye aapki mehnat ka hi nateeja hai, aapki is mehnat ko salam
ummid hai isse kuchh sudhar hoga.aapke prayas ke liye bahut badhayi.
बहुत अच्छी ख़बर है यह दिनेश जी ..कुछ सुधार की उम्मीद तो बंधी इस से..शतक पोस्ट की बधाई आपको ..
बधाई जी। अपने विचार-अभियान के अनुसार कुछ होता है या सुगबुगाहट होती है तो अच्छा लगना लाजमी है।
और न्यायिक ढ़ांचे के पिरामिड का स्वस्थ होना जरूरी है।
आदरणीय द्विवेदी जी,
आपको इस शतकीय प्रस्तुति
के लिए अंतर्मन से मंगल कामनाएँ.
न्यायिक सुधार को लोकतंत्र के
सबसे अहम मुद्दे की शक्ल में
देखने,समझने व समझाने के
आपके अभियान केपरवान चढ़ने की
संभावनाओं की जानकारी देती इस
पोस्ट के लिए आभार.
न्याय नहीं है….से न्याय ही है
तक के सपने के साकार हुए बगैर
भारतीय जीवन की
सर्वे भवन्तु सुखिनः की पुकार
अनसुनी ही रहेगी.
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चन्द्रकुमार
nyay-vyawastha par likhte samay achhe-achhon ki kalam kamp jati hai,aise daur me bekhauf nyay-palika par satat likhna bahaduri ki misaal hai,aapki koshish rang la rahi aur mujhe vishwaas hai rang lakar rahegi.shaandar century par aapka naman karta hun,bahut bahut badhai
न्यायिक सुधार अब वक्त की माँग है, तॊसरा खँबा के जरिये से ही सही एक नये कार्य का सूत्रपात तो हुआ ! आभार !