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धुम्रपान निषेध पर भ्रम फैलाते हिन्दी समाचार चैनल

कल कुछ नंबरी, मेरा अर्थ है पहले से लेकर सभी नंबरों वाले समाचार चैनलों ने बताया कि सार्वजनिक स्थलों पर धुम्रपान निषेध नियम, 2008 आज से देश भर में लागू हो गए। अनेक चल-तस्वीरें दिखाई गईं। इन में दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर कुछ लोग सिगरेट फूँकते हुए दिखाए गए। सड़क पर ऑटो रिक्षा के नजदीक कुछ पुलिसकर्मियों को भी धुम्रपान करते हुए दिखाया गया। फिर बहुत जोर शोर से बताया गया कि किस प्रकार कानून का उल्लंघन हो रहा है? खुद कानून को लागू कराने वाली एजेंसी पुलिस के सिपाही ही यह कर्म सरे आम कर रहे हैं।

अब इन समाचार चैनल वालों का क्या कीजे? जब ये सरे आम भ्रम फैलाते हैं तो कोई पुलिस वाला इन पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं करता। विशेष रुप से कानून के बारे में। अक्सर अदालत से खबर सुनाने वाला तो दो जमानतों के साथ दो मुचलकों का आदेश दिया जाना तक सुना देता है। जब कि एक अभियुक्त के दो मुचलके कैसे होंगे? क्यों कि वह तो खुद अभियुक्त का वचन पत्र होता है कि वह पेशी पर हाजिर होता रहेगा, यदि न होगा तो वचन पत्र के मुताबिक रकम उसे अदालत में भरनी होगी। जब दो जमानतें होंगी तो मुचलका दोनों जमानतों की सम्मिलित राशि के बराबर एक ही लिया जाएगा। चैनल वाले अदालत और कानून से संबंधित खबरों के लिए कानून के जानकार व्यक्तियों को क्यों नहीं इस काम पर लगाते हैं? बहुत लोग इस काम को करने को तैयार हैं जो जानकार हैं।

खैर! बात धुम्रपान निषेध से आरंभ हुई थी वहीं चलते हैं। इन नियमों में बताया गया है कि जहाँ आम जनता का आम तौर पर आना जाना है वे सभी सार्वजनिक स्थल कहे जाएंगे जिन में ऑडिटोरियम, अस्पतालों की इमारतें, रेलवे वेटिंग रूम, एम्यूजमेंट सेंटर, रेस्टोरेंट, सार्वजनिक कार्यालय, अदालत की इमारतें, शिक्षण संस्थान, पुस्तकालय, सार्वजनिक वाहन और ऐसे सभी स्थान जहाँ आम जनता आती जाती है, सम्मिलित होंगे; लेकिन खुले स्थान सम्मिलित नहीं होंगे।

अब आज चैनलों ने जितने स्थानों के चल-चित्र दिखाए वे सभी खुले स्थान थे और कहीं भी उक्त नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा था।

मैं स्वयं चाहता हूँ कि धुम्रपान की बुराई समाज से उठ जाए। लेकिन इस तरह भ्रम फैलाना तो सरासर गलत है। फिर उन पर  तोहमत लगाना जो उल्लंघन नहीं कर रहे थे। इन खबरों को बड़े उत्साह से दिखाने वाले पत्रकार बंधु पहले एक बार उस अधिसूचना को तो ध्यान से पढ़ लेते जिस से यह निषेध लागू किया गया था। लगता है वे चाहते हैं कि इस तरह की गलत खबरें दिखाने और फैलाने के लिए माध्य़मों को नियंत्रित करने के लिए सरकार कानून बनाए, या इस तरह का कानून बनाने के लिए जनता ही मांग उठाने लगे।

वैसे इस अधिसूचना का मूल अंग्रेजी पाठ तीसरा खंबा के सहयोगी ब्लॉग जुडिकेचर इंडिय़ा Judicature India पर उपलब्ध है और  यहाँ क्लिक कर के पढ़ा जा सकता है।

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