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निजी सद्भाविक आवश्यकता किराएदार से परिसर खाली कराने के लिए मकान मालिक के लिए सब से मजबूत आधार है।

Shopsसमस्या-

संजीव ने लुधियाना, पंजाब से समस्या भेजी है कि-

मेरी दुकान 42 साल से किराये पर है। दुकान के मालिक ने उसको अपनी निजी जरुरत बता कर खाली करवाने के लिए एक साल पहले केस किया हुआ है। हम ने आज तक का जो भी बनता किराया है वह दिया हुआ है। क्या मेरी दूकान का मालिक इसको अदालत द्वारा खाली करवा सकता है।

समाधान-

दि किसी व्यक्ति ने अपनी संपत्ति वह चाहे आवासीय हो अथवा व्यवसायिक किराए पर दे रखी है और उसे स्वयं अपनी निजी आवश्यकता के लिए उस की सद्भाविक और युक्तियुक्त आवश्यकता हो तो वह किराएदार से अपनी संपत्ति को खाली करवा कर कब्जा ले सकता है। किराएदारी को समाप्त करने और संपत्ति का कब्जा किराएदार से वापस प्राप्त करने का यह सब से मजबूत आधार है।

संपत्ति के स्वामी को न्यायालय के समक्ष बस इतना साबित करना है कि उसे या उस के परिवार के किसी सदस्य को उस संपत्ति की सद्भाविक और युक्तियुक्त आवश्यकता है।

स तरह के मामलों में आम तौर पर न्यायालय का निर्णय मकान मालिक के पक्ष में ही होता है। अपील में भी निर्णय अक्सर मकान मालिक के पक्ष में रहता है। दो न्यायालयों का निर्णय मकान मालिक के पक्ष में होने पर कोई विधिक बिन्दु न होने पर दूसरी अपील में प्रारंभिक स्तर पर ही निर्णय हो जाते हैं।

स तरह के मामलों में दूसरी अपील में किराएदार अधिक से अधिक कुछ समय अपने व्यवसाय को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए समय मांग सकता है। हमारी राय में यदि मकान मालिक की निजी या किसी परिवार के सदस्य की जरूरत के आधार पर व्यवसायिक परिसर खाली कराने का मुकदमा किराएदार के विरुद्ध हो तो उस किराएदार को अपने व्यवसाय के लिए वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था करना आरंभ कर देना चाहिए। जिस से परिसर का कब्जा देने की स्थिति में उस के व्यवसाय को नुकसान न उठाना पड़े।

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