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नियोजक की आपत्ति पर कर्मकार होने के बिंदु पर मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत की जानी चाहिए

ब भी कोई औद्योगिक विवाद न्यायनिर्णयन के लिए औद्योगिक अधिकरण अथवा श्रम न्यायालय के समक्ष आता है तो नियोजक द्वारा यह आपत्ति प्रकट की जाती है कि विवाद में संबंधित व्यक्ति कर्मकार नहीं है। ऐसे विवादों में न्यायालय को एक प्राथमिक विवाद बिंदु के रूप में यह तय करना होता है कि विवाद में जिस व्यक्ति के लिए कर्मकार होने के कारण राहत चाही गई है वह कर्मकार है अथवा नहीं? औद्योगिक विवादों में कर्मकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अक्सर यूनियनों के पदाधिकारी होते हैं अथवा ऐसे वकील होते हैं जो औद्योगिक विधि के अच्छे जानकार नहीं होते। वे नियोजक द्वारा उठाई गई इस आपत्ति को हलके से लेते हैं। जिस के कारण कर्मकार अपना न्योयोचित अधिकार प्राप्त करने से वंचित हो जाता है।

किसी औद्योगिक विवाद में जब यह आपत्ति उठाई जाती है कि जिस व्यक्ति के लिए विवाद में राहत चाही गई है वह कर्मकार नहीं है तो यह विवाद बिंदु सदैव ही तथ्यों और विधि का जटिल मिश्रित प्रश्न होता है। अक्सर कर्मकार के प्रतिनिधि इसे केवल विधि का प्रश्न समझ कर छोड़ देते हैं कि किसी उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में समान प्रकार का कार्य करने वाले व्यक्ति को कर्मकार माना है इस कारण से उन के मामले में भी उसे कर्मकार मान लिया जाएगा। यह बात बिलकुल सही है यदि कोई ऐसा निर्णय औद्योगिक अधिकरण अथवा श्रम न्यायालय जहाँ भी वह न्यायनिर्णयन की कार्यवाही चल रही है बाध्यकारी हुआ तो उस वयक्ति को कर्मकार माना जा सकता है। लेकिन केवल तभी जब यह साबित कर दिया जाए कि जिस व्यक्ति के लिए औद्योगिक विवाद में राहत चाही गई है वह भी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के संदर्भित निर्णय में वर्णित कर्मकार के समान कार्य के लिए नियोजित था। लेकिन समानता का यह तथ्य केवल दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य के द्वारा ही साबित किया जा सकता है।

स कारण से जब भी किसी औद्योगिक विवाद में नियोजक की ओर से यह आपत्ति उठाई जाए कि विवाद में संबंधित व्यक्ति कर्मकार नहीं है तो ऐसी आपत्ति को सदैव ही गंभीरता से लेना चाहिए और इस विवाद बिंदु पर राहत चाहने वाले व्यक्ति को कर्मकार सिद्ध करने वाले तथ्यों को प्रमाणित करने वाली साक्ष्य अवश्य प्रस्तुत करनी चाहिए और नियोजक का जो भी साक्षी साक्ष्य के लिए न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हो उस से इस बिंदु पर पर्याप्त प्रश्न पूछते हुए उस की परीक्षा करनी चाहिए।