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न्यायालय में पक्षकार अपनी पैरवी स्वयं कर सकते हैं।

 रमेश जी ने शिकायत की है कि उन के कुछ प्रश्न तीसरा खंबा को तीन माह से भी अधिक समय से भेजे गए हैं। लेकिन उन का उत्तर नहीं दिया गया। यदि ऐसा है, तो तीसरा खंबा उन से क्षमा चाहता है। हम ने तीसरा खंबा का रिकार्ड देखा तो उस में उक्त प्रश्न नहीं पाए। उन के सारी ही प्रश्न महत्वपूर्ण हैं हम उन के उत्तर यहाँ एक-एक कर के प्रस्तुत कर रहे हैं ….

प्रश्न-1 . क्या धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता देने का आरोपी बगैर वकील के अपने मामले की पैरवी  कर सकता है ?

 उत्तर – – –  

रमेश जी, 

कोई भी व्यक्ति जिस के विरुद्ध भारत की किसी अदालत में मुकदमा है, चाहे वह फौजदारी हो या दीवानी, अपने मामले की स्वयं पैरवी कर सकता है। लेकिन यह अत्यन्त दुष्कर कार्य है। इस के लिए उसे अदालत के नियमों और कानून की जानकारी होना जरूरी है। इस के लिए फिर भी किसी न किसी वकील की मदद आप को लेनी पड़ेगी, अन्यथा आप अपनी पैरवी स्वयं ठीक से नहीं कर पाएंगे। लगभग सभी परिवार न्यायालयों में जहाँ धारा 125 दं.प्र.सं. के मुकदमे चलते हैं किसी वकील को पैरवी करने का अधिकार नहीं है। वहाँ किसी भी पक्षकार को वकील से पैरवी कराने की अनुमति केवल अदालत ही दे सकती जो बहुत ही कम लगभग नहीं के बराबर मामलों में अनुमति प्रदान करती है। इस तरह परिवार न्यायालय में धारा 125 दं.प्र.संहिता के मामलों की पैरवी स्वयं पक्षकार को ही करनी पड़ती है। यदि आप का मुकदमा परिवार न्यायालय में है तो आप चाह कर भी वहाँ वकील नियुक्त नहीं कर सकते। इसी तरह यदि कहीं परिवार न्यायालय नहीं है तो फिर धारा 125 के अंतर्गत आप के विरुद्ध मुकदमा किसी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष होगा और वहाँ भी आप अपनी पैरवी स्वयं कर सकते हैं। 
आप को अन्य प्रश्नों के उत्तर अगली कड़ी में मिलेंगे। 
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