DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

न्यायालय विचारण के दौरान कब नए अभियुक्त जोड़ सकता है?

Code of Criminal Procedureसमस्या-

आशीष ने कोटद्वार, उत्तराखंड से समस्या भेजी है कि-

मेरे व मेरे माता-पिता के विरुद्ध धारा 323.328,498ए आईपीसी तथा 3/4 डीपी एक्ट में मुकदमा चल रहा है। मेरी दीदी और जीजाजी 400 किलोमीटर दूर निवास करते हैं लेकिन उन का भी नाम प्रथम सूचना रिपोर्ट में था जिसे पुलिस ने अन्वेषण में हटा दिया। अब धारा 319 के आवेदन प्रस्तुत हुआ है जिस में उन्हें भी अभियुक्त बनाए जाने का निवेदन किया गया है। यह आवेदन कैसे निरस्त हो।

समाधान-

प के विरुद्ध मुकदमा चल रहा है, जिस में प्रतिरक्षा के लिए आप ने वकील नियुक्त किया हुआ है। इस आवेदन का उत्तर देने और उसे निरस्त कराने की जिम्मेदारी उस की है। यदि आप को लगता है कि वकील सक्षम नहीं है तो किसी सक्षम वकील को वर्तमान वकील की अनुमति से उस के सहयोग के लिए नियुक्त करें।

धारा 319 दंड प्रक्रिया संहिता में विचारण न्यायालय को यह शक्ति प्रदान की गयी है कि यदि विचारण के दौरान आयी साक्ष्य से यह प्रतीत होता है कि विचारण किए जा रहे अपराध में कुछ अन्य व्यक्ति भी शामिल थे तो वह उन्हें भी अभियुक्त के रूप में जोड़ सकता है।

प ने अपनी समस्या में यह नहीं बताया कि ऐसी कौन सी साक्ष्य न्यायालय के समक्ष आ चुकी है जिस से यह प्रतीत होता है कि आप के दीदी और जीजाजी भी इस अपराध में शामिल थे।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरिया उर्फ तबस्सुम तौकीर व अन्य बनाम बिहार राज्य” के प्रकरण में दिनांक 28.09.2007 को पारित निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि किन किन परिस्थितियों में धारा 319 दंड प्रक्रिया संहिता की शक्तियों का प्रयोग न्यायालय कर सकता है। इस से आप को यह स्पष्ट हो जाएगा कि आप के विरुद्ध प्रस्तुत प्रार्थना पत्र की स्थिति क्या है और आप के वकील इस की सहायता से उक्त प्रार्थना पत्र को निर्णीत करवा सकेंगे।

Print Friendly, PDF & Email