पत्नी मायके से ही पुलिस में दहेज क्रूरता की रिपोर्ट कर दे तो पति क्या करे?
|पिछली पोस्ट पर मुझे टिप्पणियों में दो प्रश्न मिले हैं —
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सलीम ख़ान said…
- द्विवेदी जी, मुझसे मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा था कि उसने सेक्शन 9 दाखिल करा दिया था जब उसकी बीवी मायके अकारण ही चली गयी थी और मायके से ही थाने में दहेज़ की ऍफ़आईआर लिखवा देती है तो क्या करना चाहिए?
- रचना said…
- what is the leagal optin of this case can a couple get a divorce in this case at all ?? for another 2 years
हिन्दू विवाह अधिनियम में विवाह की तिथि से एक वर्ष के पूर्व तो कोई आवेदन प्रस्तुत ही नहीं किया जा सकता जब तक कि कोई विशेष बात ही न हो। पिछली पोस्ट वाले मामले में तलाक का कोई आधार नहीं है। लेकिन पत्नी ने दांपत्य त्याग किया है और यदि उस का कोई औचित्य नहीं है। तो एक वर्ष या उस से अधिक का दांपत्य त्याग विवाह विच्छेद का आधार बन सकता है, लेकिन तभी जब कि उस का कोई औचित्य न हो। यदि पत्नी के पास अलग रहने का कोई औचित्य हुआ तो वैसी स्थिति में भी तलाक नहीं हो सकेगा। हाँ, यदि पति पत्नी से दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन प्रस्तुत करे और न्यायालय उसे डिक्री प्रदान कर दे, और डिक्री के बावजूद पत्नी पति के साथ रहने को तैयार न हो तो फिर उस का यह कृत्य पति के लिए विवाह विच्छेद का मजबूत आधार होगा।
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9 Comments
मेरी पत्नी मामूली कहा सुनी के बाद अपने भाइ के साथ मायके चली गयी और सबको बताया की उसके साथ अत्याचार हो रहा था
अब वो उंके घर वाले और उस तरफ़ के सभी रिश्तेदार मेरी पत्नी को मेरी पत्नी को नही भेज रहे है
मेरे से फोन पर भी बात नही कर रहे है कुछ रिश्तेदार उसे भड़का भी रहे है मेरी ससुराल में कोई उसे समझा भी नही रहा है
मेरी शादी को 5 साल हो गये है पौने 4 साल की मेरी प्यारी बेटी भी है
मेरे माता पिता 2 बार जाकर प्रयास कर चुके है पर उन्होने आने से इंकार कर दिया है
मेरे बारे मे बोलते है कि अगर वो इधर आया तो हम ऊसकी पिटाई करेंगे
मैं अपनी पत्नी और बेटी दोनो से बहुत प्यार करता हुं
मैं तलाक नही चाहता मुझे क्या करना चाहिये
आज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.
लगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?
सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.
आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.
जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.
पोस्ट के अलावा टिप्पणीयों से भी काफ़ी ज्ञान प्राप्त हुआ.
रामराम.
सही बात है कानून के दुरूपयोग का डर बना ही रहता है.
आप ने बहुत अच्छी बात कही, मै अनूप शुक्ल जी की टिपण्णी से सहमत हुं, इस बात के भुगत भोगी मेरे मां बाप रहे है
@द्विवेदीजी,
शुक्रिया। आपने जो बताया वह मुझे पता है। तभी मैंने लिखा कानून से अधिक उसके लागू होने की मंशा का पालन हो तब बात बनें।
@अनूप शुक्ल
इस में कानून और अदालत की त्रुटि नहीं है। जब एक थाने में 498-ए का मुकदमा दर्ज होता है तो जो पुलिस सीधे पति और उस के घरवालों पर गिरफ्तारी का दबाव बनाती है। उस समय अधिकांश अन्वेषकों का मकसद उन की जेब ढीली और अपनी भरना होता है। पर्याप्त रूप से जेब भर जाए तो वे सीधे जमानत कराने की सुविधा दे देते हैं और मुकदमे के चालान में छिद्र छोड़ देते हैं जिस से ट्रायल के बाद सभी बरी हो जाएँ। यही कारण है कि 498-ए के मुकदमों में सजा का प्रतिशत बहुत कम है। अक्सर लोग बरी हो जाते हैं। लेकिन ट्रायल में इतना समय लगता है कि मुलजिमों का कचूमर निकल जाता है। यह वास्तव में लोगों को दी जा रही अनावश्यक पीड़ा है जो कि हमारी पुलिस के चरित्र के कारण और अदालतों की संख्या आवश्यकता से चौथाई से भी कम होने के कारण है। इन दोनों के लिए कभी न कभी जनता को संघर्ष के मैदान में आना होगा। उस के बिना तो यह दुरुस्त होने से रही।
हां अब खुला। जय हो।
दहेज कानून की मंशा लड़कियों को विवाह बाद उनका उत्पीड़न बचाने के लिये है। अच्छी मंशा से बने एक कानून का जैसा उपयोग अक्सर देखा है उससे तो कई लोग अपनी बहुओं से घबराते रहते हैं। कानून से अधिक उसके लागू होने की मंशा का पालन हो तब बात बनें। अभी तो बहुत जगह यह कानून अपने उद्देश्य से बहुत डिग्री फ़ेस डिफ़रेंस में काम कर रहा है।
जानकारी देने का शुक्रिया।
आपका ब्लॉग खुलने में भारतीय न्याय व्यवस्था से होड़ ले रहा है। पढ़ने वाले मसाले के अलावा बाकी सब खुला है। देखिये क्या यह मेरे साथ ही हो रहा है या अन्य जगह भी यही मामला है।