पहली पत्नी के रहते दूसरा विवाह वैध नहीं, दूसरी पत्नी उत्तराधिकारी नहीं हो सकती
|समस्या-
भोलानाथ शुक्ल ने गोंडा, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
मेरे चाचा यमुनाशरण शुक्ल का देहांत गत वर्ष 2021 में सितंबर माह में हो गया। उन्होंने अपने जीवनकाल में दो शादियां की थीं। जिनमें से पहली पत्नी निसंतान हैं। जबकि दूसरी पत्नी से आठ संतान हैं। चाचा जी के निधन के बाद उनकी दूसरी पत्नी व उनके बेटों ने मिलकर पहली चाची को घर से उनके मायके भगा दिया है। व विरासत में उनका नाम नहीं दर्ज होने दे रहे हैं। चूंकि दूसरी चाची के मायके में एक भतीजा है जो कि आर्थिक व कानूनी जानकारी नहीं रखता। लेकिन उसने लिखित में आपत्ति लेखपाल को दी थी। चाचा जी की दूसरी पत्नी व बेटे व उनके रिश्तेदार पहली चाची जी को निरंतर धमका रहे हैं व उन्हें घर में रहने भी नहीं दे रहे हैं। चाचाजी की संपत्तियों में पहली चाची जी का नाम कैसे दर्ज हो सकता है? चाचा जी की पहली पत्नी का नाम परिवार रजिस्टर में नहीं मिल पा रहा, लेकिन पहली चाची के पिता जी व चाचा के मध्य परिवार न्यायालय में वर्ष 1974 में मुकदमा चला था। जिसका आदेश का फोटो स्टेट चाची जी के पास है। उक्त मुकदमे में चाचा जी ने समझौता करते हुए कहा था कि उन्होंने न तो दूसरा विवाह किया है न करेंगे।इसी आधार पर फैसला भी आया था। क्या उक्त आदेश से कोई लाभ मिल सकता है? क्या दूसरी चाची व उनकी संताने पूरी संपत्ति के अकेले मालिक हैं? पहली चाची जी को उनके अधिकार कैसे मिल सकते हैं? क्योंकि मायके वाले भी उनको रख पाने की स्थिति में नहीं है। कोई रास्ता सुझाएं।
समाधान-
आपके चाचा का पहला विवाह वैध है। किन्तु पहली पत्नी से तलाक लिए बिना उसके जीवनकाल में दूसरा विवाह करना अवैध है। चाचा की दूसरी पत्नी कानूनन पत्नी नहीं है। उसके साथ जो सम्बन्ध चाचा का था उसे लिव इन रिलेशन कहा जा सकता है।
पहली पत्नी से कोई सन्तान नहीं है किन्तु लिव इन रिलेशन से आठ सन्तानें हैं। सन्तानें कभी अवैध नहीं होतीं। इस कारण से दूसरी पत्नी को आपके चाचा की निर्वसीयतीय संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है। आपके चाचा के केवल नौ वारिस अर्थात पहली पत्नी और दूसरी पत्नी से जन्मी संतानें हैं।
चाचा कि जितनी भी स्वअर्जित संपत्ति है उसके स्वामी ये नौ व्यक्ति हैं। इस तरह स्वअर्जित संपत्ति में आपकी चाची का 1/9 हिस्सा है। लेकिन यदि कोई सहदायिक संपत्ति है तो उस संपत्ति में दूसरी पत्नी से उत्पन्न संतानों का कोई अधिकार नहीं है वह संपत्ति केवल आपकी पहली चाचा की पहली पत्नी की है उसमें दूसरी पत्नी और उससे उत्पन्न संतानों का कोई अधिकार नहीं है।
हमारी उक्त राय कृषि भूमि के अतिरिक्त संपत्ति के बारे में है। कृषि भूमि के मामले में उत्तर प्रदेश में नयी राजस्व संहिता प्रभावी है। उसके अनुसार ही संपत्ति का बंटवारा होगा। उसमें विवाहित बेटियों को अधिकार नहीं है। इस कारण से बंटवारा उनके हिस्से कम कर के केवल पहली पत्नी और बेटों के बीच होगा। इसी अनुपात में पहली पत्नी का हिस्सा बढ़ जाएगा।
परिवार रजिस्टर में आपकी चाची का नाम नहीं होने के कारण उन्हें साबित करना होगा कि वह चाचा की वैध पत्नी है। इस के लिए परिवार न्यायालय का आदेश तथा बाद में हुए निर्णय की प्रमाणित प्रतियाँ अदालत से हासिल करनी होंगी और उन्हें राजस्व विभाग में नामान्तरण की कार्यवाही में प्रस्तुत करना होगा। तभी उनका नाम संपत्ति के हिस्सेदार के रूप में दर्ज होगा।
बेहतर होगा कि इस मामले में आपकी चाची किसी अच्छे वकील की सलाह लें और तदनुसार कार्यवाही करें। महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत भी निवास का आदेश प्राप्त करने के लिए कार्यवाही की जा सकती है।