पुलिस द्वारा अकारण रात भर थाने में बंद कर के रखना सदोष परिरोध का अपराध है।
|गाजीपुर, उत्तर प्रदेश से तरुण ने पूछा है – – –
परिवार के किसी अन्य सदस्य के आरोपित जुर्म में पुलिस क्या परिवार के किसी पुरुष अथवा महिला सदस्य को रात भर थाने बंद कर सकती है, ताकी दबाव में आकर आरोपित व्यक्ति थाने में समर्पण कर दे। अगर ऐसा नहीं है तो सम्बंधित पुलिस वालों के खिलाफ क्या कारवाई की जा सकती है?
उत्तर – – –
तरुण जी,
पुलिस को यह अधिकार है कि वह किसी अपराध के दर्ज हो जाने पर उस के अन्वेषण के लिए किसी व्यक्ति को पुलिस थाने में बुला कर उस से पूछताछ कर सकती है। लेकिन उसे बेवजह किसी व्यक्ति को थाने में बंद करने का अधिकार नहीं है। पुलिस द्वारा ऐसा किया जाना भारतीय दंड संहिता की धारा 340 में वर्णित सदोष परिरोध है। ऐसे परिरोध कर्ता को धारा- 342 के अंतर्गत एक वर्ष तक का कारावास या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनो दंडों से दण्डित किया जा सकता है।
यदि सदोष परिरोध तीन दिनों या उस से अधिक का हो तो धारा-343 के अंतर्गत दो वर्ष तक का कारावास या या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। यदि यही परिरोध दस या अधिक दिनों का हो तो धारा-344 के अंतर्गततीन वर्ष तक के कारावास तथा जुर्माने दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
तीनों ही अपराध संज्ञेय हैं और पुलिस इन अपराधों को दर्ज कर अन्वेषण आरंभ कर सकती है। इन अपराधों के लिए कोई भी मजिस्ट्रेट प्रसंज्ञान ले सकता है। यदि आप के साथ या आप के किसी मित्र या परिवार के सदस्य के साथ ऐसा अपराध पुलिस द्वारा किया गया है तो आप इस की शिकायत उस क्षेत्र पर क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट से कर सकते हैं तथा उस के सामने गवाहों के बयान करवा कर मुकदमा दर्ज करवा सकते हैं।
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4 Comments
बढ़िया जानकारी, बढ़िया सलाह
बहुत बढ़िया जानकारी दी है | लेकिन वास्तव में होता यह है कि पुलिस वाले बिना वजह किसी को भी थाणे में दो चार दिन आराम से बिना रिकार्ड में दर्ज किये लोक अप में रखते है और किसी भी पुलिस वाले को सजा नहीं होती है |
यह पुलिस वाले तो लगता हे पक्के गुंडे हे, ना इन्हे बात करनी आती ना न स्लूक ही, ओर हर समय इन के हाथ मै भेंसो को मारने वाला डंडा, जिस से इन सब की अकल भी भेंसं की तरह मोटी हो गई हे, इन्हे एक सभ्य पुलिस वाला बनाना चाहिये, ताकि जनता इन्हे अपना दोस्त समझे, जब यह पुलिस वाले सभ्य होंगे तो आम नागरिक इन की मदद भी करेगे,ओर जुर्म कम भी होगा, अभी तो इन से अच्छॆ गुंडे ही हे.
आप ने बहुत अच्छी राय दी, धन्यवाद
बहुत ही उपयोगी और सही वक्त पर प्रस्तुत की गयी आपकी इस पोस्ट के लिए आभार …मेरे एक मित्र श्री यशवंत सिंह की बृद्ध मां को कायर पुलिसवालों ने 12 घंटे जबरन गाजीपुर के नंदगंज थाने में बैठाये रखा आपके इस सलाह से शायद उनको न्याय दिलाने की दिशा में सार्थक शुरुआत हो सके ..