पूर्व पति से उत्पन्न संतान के पिता का स्थान वर्तमान पति दत्तकग्रहण से ही प्राप्त कर सकता है
| सी.पी. कोठियाल ने पूछा है –
क्या किसी तलाकशुदा हिन्दू स्त्री द्वारा दूसरी शादी कर लेने पर पहले पति से हुए पुत्र के दस्तावेजों में पिता का नाम बदला जाना कानूनन उचित है ?
यह मामला एक स्कूल का है जहाँ एक व्यक्ति एक शपथ पत्र व विवाह प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर एक छात्र के विद्यालय के अभिलेखोँ में उसके पिता के स्थान पर अपना नाम दर्ज करवाना चाहता है क्योंकि उसकी माँ से अब उसने विवाह कर लिया है । जबकि प्रवेश के समय उसकी माँ का उसके पिता से तलाक नहीं हुआ था। क्या पिता का नाम बदलकर बालक के जन्मजात अधिकार प्रभावित नहीं होंगे ?
उत्तर –
कोठियाल जी,
आप ने बहुत वाजिब प्रश्न उठाया है। भारतीय कानून में किसी भी व्यक्ति का जन्मदाता पिता ही सदैव किसी व्यक्ति का पिता होगा। इस स्थिति में परिवर्तन तभी संभव है जब कि किसी व्यक्ति को उस के पिता ने माता की सहमति से किसी अन्य व्यक्ति को विधिपूर्वक दत्तक दे दिया हो और दत्तक ग्रहण करने वाले व्यक्ति ने अपनी पत्नी की सहमति से उसे विधिपूर्वक दत्तक ग्रहण कर लिया हो। केवल किसी स्त्री से विवाह कर लेने मात्र से उस के पूर्व पति की सन्तानों का पिता होने का अधिकार किसी व्यक्ति को प्राप्त नहीं होता है। आप के मामले में में स्त्री से विवाह कर लेने वाले व्यक्ति ने अपनी पत्नी के पूर्व पति से उत्पन्न पुत्र के पिता के नाम के स्थान पर अपना नाम प्रतिस्थापित करने हेतु विद्यालय में जो आवेदन प्रस्तुत किया है उसे स्वीकार किया जाना संभव नहीं है विद्यालय द्वारा उसे निरस्त कर दिया जाना चाहिए। यदि विद्यालय इस आवेदन को स्वीकाकर करता है तो यह एक गंभीर त्रुटि होगी।
किसी भी संतान को जन्म से ही अपने पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार उत्पन्न हो जाता है। यदि कोई पुश्तैनी या संयुक्त परिवार की संपत्ति मौजूद है तो उस में तो किसी भी संतान को गर्भ में आते ही अधिकार प्राप्त हो जाता है। यह अधिकार समाप्त नहीं किया जा सकता। विद्यालय रिकॉर्ड में पितृनाम परिवर्तन से भी यह अधिकार समाप्त नहीं होगा। बस विद्यालय का रिकॉर्ड ही गलत सिद्ध होगा। वैसे भी विद्यालय को पिता का नाम जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर दर्ज करना चाहिए।
केवल एक स्थिति में किसी भी रिकॉर्ड में पिता का नाम परिवर्तन संभव है। यदि पूर्व पिता जिस से तलाक हो गया है वह अपने पुत्र को तलाकशुदा पत्नी के दूसरे पति को दत्तक दे दे और दूसरा पति उस संतान को दत्तक ग्रहण कर ले। वैसी स्थिति में संतान के सभी अधिकार पूर्व परिवार में समाप्त हो जाएंगे और वे ही अधिकार उसे नये पिता के परिवार में प्राप्त हो जाएंगे। यदि उल्लेखित संतान के संबंध में दत्तक ग्रहण की यह विधि पूर्ण हो चुकी है तो दूसरे पति द्वारा बा
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5 Comments
श्रीमान सर जी प्रणाम
क्या तलाकशुदा स्त्री के साथ संतान आती है जोकि उसके पूर्व पति की थी अब अपने नए पति का नाम उन संतान के साथ पिता के रूप में जोड़ने के लिए उसके तलाकशुदा पति की स्वीकृति की आवश्यकता होगी
दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में संतान के जनक मातापिता और जो नया पिता के द्वारा ही पूरी की जा सकती है या केवल उसके माता ही के द्वारा हो सकती है कृपया जानकारी देवे
धन्यवाद्
गुरुवर जी, आपने बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है. जब एक हिन्दू स्त्री का तलाक हो गया. तब दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया कैसे होगी? उपरोक्त पोस्ट में दत्तक देने वाली और लेने वाली महिला भी एक है. तब यहाँ प्रक्रिया कैसे होगी? अगर मान लिया कि इस महिला का पहले वाला पति अगर नहीं मिलता है या किसी दूसरे शहर रहता है और उसका पता नहीं चलता है तब यह प्रक्रिया कैसे होगी?
अच्छी जानकारी.
Bahut achcha visleshan hai
dattak grahan aur vidhawa punarviwah
se judi sarthak post.
http://teesarakhamba.blogspot.com/2011/05/blog-post_27.html
on this post also a indepth anlysis has been done of the same problem