प्राइवेट कॉलेज में व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं और जीवन जीने के अधिकारों का हनन
|एक पाठक ने प्रश्न रखा है …
मैं एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में बी. टेक. में अध्ययनरत हूँ। यहाँ अनुशासन के नाम पर छात्र-छात्राओं के साथ बदसलूकी की जाती है, तथा छोटी-मोटी गलतियों पर आर्थिक दंड लगाकर पैसा उगाहने का कार्य किया जाता है। विगत दिनों छात्र-छात्राओं के कैम्पस में कहीं भी साथ घूमने या बैठने पर पाबन्दी लगाने से सम्बंधित नोटिस जरी किया गया। यह पाबन्दी कॉलेज के उपरांत अवकाश समय में होस्टेलेर्स पर विशेष रूप से लागू की गई। यहाँ तक कि कैंटीन जैसी अनौपचारिक जगहों पर भी। यह पाबन्दी बिना किसी भड़काने वाली या अप्रिय घटना के बावजूद लागू की गई है और ऐसा भी नही है कि किसी आपत्तिजनक घटना के फलस्वरूप लगाई गई हो। इससे भी बुरी बात है, इस नियम की वजह से चलने वाली गार्डों की बदतमीजी, तथा वार्डेन का छात्रों के साथ घटिया व्यवहार, खासतौर पर बात करने का ढंग, गाली-गलौज तो आम बात है.
मेरा प्रश्न यह है, कि क्या अनुशासन के नाम पर स्टूडेंट्स की व्यक्तिगत ज़िन्दगी में अतिक्रमण जायज है, वह भी तब जबकि सभी स्टूडेंट्स कानूनी तौर पर वयस्क हैं, तथा अपने निर्णय के अधिकारी स्वयं हैं. क्या यह सब व्यक्तिगत स्वंतंत्रता तथा सम्मान-जनक जीवन के संवैधानिक अधिकार का हनन नहीं है? और क्या ऐसा करना विधि-सम्मत है?
उत्तर …
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immense journal you’ve corner
Last week Exactly same complaints were received from a very reputed indian institution functioning here in Dubai academic city and UAE ministry of education here is very very concern about it [this news was in local newspapers] really i appreciate them for taking everyone’s complaint seriously..and they have warned this instituition.
[-sorry to write in english]
maluum nahin kab hamari education ministry jagengi aur students ko unkey adhikaar diye jayengey.
यह कोई नई बात नहीं है इस देश में .कालेजों में और भी बहुत कुछ हो रहा है .कालेज प्रबंधन तो एक ओर है ,स्टूडेंट्स भी कुछ कम नहीं है .
क्या क्या नही होता मेरे भारत मै ???
यह तो सेलर्स मार्केट लगता है। आपके पास च्वाइस ही नहीं बचती।:(
ये शिक्षण संस्थान् नहीं, शिक्षा व्यापार केन्द्र हैं ।
ये तो सरासर ग़लत है.
बड़ी विकट परिस्थितियाँ हैं ! शिक्षा के क्षेत्र में भी आजकल ये सब हो रहा है ! जानकारी के लिए धन्यवाद !
इसके आलावा भी कई समस्याएं हैं, निजी कॉलेज किसी भी मानदंड का पालन नहीं करते, और छात्रों की कोई कद्र उन्हें नहीं है. खर्चे कम करने के नाम पर आपको हर कॉलेज में अनुभवहीन अध्यापक पढाते मिलेंगे, किसी विषय का लेक्चरार उपलब्ध नहीं होने पर किसी दूसरे विषय के शिक्षक के सहारे पूरा सत्र निकालना, छोटी बातों पर भारी शुल्क कभी भी ठोंक देना, क्षमता से ज़्यादा छात्र भरती कर लेना,सांस्कृतिक गतिविधियों के नाम पर प्रायोजित फैशन शो आयोजित करना, लैब ठीक न होना, फाइनेंस, मार्केटिंग और मैनेजमेंट के कोर्सेस में इंडस्ट्रियल विसिट्स या स्तरीय प्लेसमेंट की पूर्णतया उपेक्षा.
यह सब तो हर एक कॉलेज का किस्सा है, सिर्फ़ छात्रों को लूटना ही इन्हे आता है, छात्रों से फीस अंतरराष्ट्रीय स्तर की वसूलते हैं पर शिक्षण का स्तर लोकल भी नहीं रहता.
ख़ुद मेरे साथ घटी एक घटना:
मैं ख़ुद इंदौर के एक नामी प्राइवेट कॉलेज का छात्र रहा हूँ, वहां छात्रों के लिए अलग से कोई काउंसलर तक उपलब्ध नहीं है, परीक्षा सम्बन्धी किसी नियम के बारे में संदेह होने पर मैंने अपने विभाग के एक क्लर्क से पूछा, मेरा यह सवाल मुख्य परीक्षा में पात्रता के सम्बन्ध में था, जिसका जवाब हां या न में होता. आगामी परीक्षा की कागजी कार्यवाही में व्यस्त बाबू ने लापरवाही या बिना ठीक से समस्या सुने ही ग़लत सूचना दे दी. जिसके कारण मैंने ख़ुद को अपात्र मान लिया, और फॉर्म नहीं भरा. बाद में जब यूनिवर्सिटी में किसी काम से गए एक मित्र ने मेरी समस्या परीक्षा विभाग के एक कर्मचारी को बताई तब पता चला की मैं परीक्षा के लिए पूरी तरह पात्र था, पर वह लेट फीस के साथ फॉर्म भरने का आखिरी दिन था और अब कुछ भी नहीं हो सकता था. कॉलेज ने भी अपनी गलती मानने से या कोई मदद करने से साफ़ मना कर दिया. इस तरह स्टाफ की लापरवाही के कारण मेरे पास परीक्षा से वंचित होने के आलावा कोई और चारा नहीं बचा.
अब मुझे अगले सेशन में फ़िर परीक्षा देनी थी तो मैंने मामले को बढ़ाना सही नही समझा, आख़िर फॉर्म मुझे इसी कॉलेज से भरना था और इन्टरनल के मार्क्स भी इसी कॉलेज के प्रबंधन के पास थे. और कोई लिखित साक्ष्य भी नहीं था. जब दोस्तों और कुछ शिक्षकों को यह बात पता चली तो उन्हें मुझसे सहानुभूति थी, पर उन्हें अपनी पढ़ाई और नौकरी की चिंता थी. तो कोई मेरे पक्ष में नहीं बोल सका, मुझे ही ‘भूल जाने’ की सलाह दी गई!
वाकई ऐसा होता है कोलेज केम्पस में ? I did not know ..
अमरीका में स्थिति विपरीत है ..
इतनी स्वतंत्रता के बच्चों के बारे में चिंता रहती है और अभिभावकों को दूर से ही सब्र करना पड़ता है ..
इस जानकारी के लिए,
..बहुत बहुत आभार .
स स्नेह सादर,
– लावण्या