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बाल श्रम के लिए निषिद्ध प्रक्रियाएँ और व्यवसाय तथा जिज्ञासाओं के उत्तर

बाल श्रम उन्मूलन पर लिखे गए पिछले दो आलेखों में से पहले बाल श्रम उन्मूलन पर एक लघु परिचर्चा पर ताऊ रामपुरिया जी की जिज्ञासा थी कि “क्या चार घंटे के लिये बाल श्रमिक रखे जा सकते हैं” उन की जिज्ञासा का उत्तर प्रतिटिप्पणी में उसी दिन दे दिया गया था। जो निम्न प्रकार था-

@ताऊ रामपुरिया, ताऊ जी, उक्त रिपोर्ट में यह कहीं नहीं है कि 14 वर्ष से कम आयु के बालकों के काम के घंटे चार से अधिक नहीं होने चाहिए।वास्तविकता तो यह है कि कुछ कामों और प्रक्रियाओं में ही बाल श्रम का कानून द्वारा उन्मूलन किया गया है। शेष स्थानों पर बाल श्रम लिया जाना कानून में बाधित नहीं किया गया है।  मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि 14 वर्ष से कम आयु के बाल-श्रम का तो पूरी तरह से उन्मूलन कर दिया जाना चाहिए।  हाँ, 14 वर्ष की उम्र में यदि विवशता हो तब भी 18 वर्ष तक की उम्र तक उन से केवल चार घंटे ही काम लिया जाना चाहिए।  इस संबंध में कानून की स्थिति अगले आलेख में रखने का प्रयत्न रहेगा।

मैं ने कानून की स्थिति पिछले आलेख में स्पष्ट कर दी थी।  जिस से स्पष्ट है कि इस अधिनियम के द्वारा केवल कुछ प्रक्रियाओं एवं व्यवसायों में बाल श्रम के नियोजन को निषिद्ध किया गया है। इन प्रक्रियाओं और व्यवसायों के अतिरिक्त अन्यत्र बाल श्रमिक नियोजित किए जा सकते हैं। लेकिन केवल इस अधिनियम की शर्तों के अंतर्गत।  अधिनियम में यह व्यवस्था है कि जहाँ भी बाल श्रमिक नियोजित किए जा सकते हैं वहाँ उन के काम के घंटों की अवधि छह घंटे प्रतिदिन तक की हो सकती है।  मेरा उस परिचर्चा में कथन था कि 14 वर्ष तक की आयु तक तो बाल श्रमिकों का नियोजन पूरी तरह से निषिद्ध किए जाने तथा जहाँ 14 वर्ष की उम्र प्राप्त कर लेने पर 18 वर्ष की उम्र का होने तक उन से चार घंटों से अधिक काम लिए जाने को निषिद्ध किए जाने को को लक्ष्य बना लिया जाना चाहिए।  हालांकि आज जो स्थिति है उस में बाल श्रम को निषिद्ध किया जाना संभव प्रतीत नहीं होता है।  क्यों कि अभी तक तो जो अधिनियम प्रभाव में है उसे ही पूरी तरह लागू किया जाना संभव नहीं हो सका है।  उच्चतम न्यायालय के जिस निर्णय का उल्लेख पिछले आलेख में है, उस के उपरांत इस अधिनियम को लागू करने के मामले में तेजी आई है तथा बाल कल्याण और शिक्षा के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों ने धन बी उपलब्ध कराया है।  लेकिन जनजागृति की स्थिति पहले जैसी ही है। इस क्षेत्र में काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं की कमी है।  जो गैरसरकारी संगठन इस क्षेत्र में काम करते दिखाई देते हैं वे भी इस नाम पर खर्च किए जा रहे धन का उपयोग करने के लिए अधिक काम कर रहे हैं।  सामाजिक चेतना जैसी बात वहाँ दिखाई नहीं पड़ती। हालांकि कुछ संस्थाएँ इस क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रही हैं पर उन की संख्या बहुत कम और नगण्य है।

आलेख बाल श्रम उन्मूलन पर एक लघु परिचर्चा पर श्री अन्तर सोहिल ने प्रश्न पूछा था कि “जो बाल कलाकार फिल्मों और सीरियल आदि में काम करते हैं, क्या वह भी बाल श्रमिक हैं?
उन के प्रश्न के उत्तर में मेरा यह कहना है कि 14 वर्ष तक के व्यक्तियों को अधिनियम में बालक परिभाषित किया गया है।  इस तरह किसी भी कार्य में 14 वर्ष तक के बालक को नियोजित किया जाएगा तो वे बाल श्रंमिक ही कहे जाएंगे।  इन बाल श्रमिकों से अधिनियम की शर्तों के अंतर्गत ही काम लिया जा सकता है।  उन के काम के कुल घंटे एक दिन में 6 से अधिक नहीं हो सकते तथा उन

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