बिना विवाह किए एकल माता की संतान क्या अवैध होगी?
| तनु गौड़ पूछती हैं —
यदि कोई स्त्री शादी के बिना मां बन कर संपूर्ण स्त्री होने के ईश्वर प्रदत्त अधिकार का प्रयोग करना चाहे तो क्या यह भारतीय कानून का उलंघन होगा? सिंगल मदर के क्या अधिकार हैं? उसके बच्चे को अवैध सतान पुकारा जाएगा? अथवा नही? स्कूल आदि जैसी औपचारिक संस्थाओ में वल्दीयत में किसका नाम होगा?
उत्तर —
तनु जी,
प्रश्न पूछने के लिए धन्यवाद!
दुनिया की प्रत्येक स्त्री को संतान को जन्म देने का अधिकार है। उसे संतान को जन्म देने से नहीं रोका जा सकता। ऐसा कोई भारतीय कानून नहीं है, बिना विवाह के किसी स्त्री द्वारा संतान को जन्म देने से जिस का उल्लंघन होता हो। कोई भी स्त्री बिना विवाह किए संतान को जन्म दे सकती है। ऐसा भी कोई कानून नहीं है जिस के कारण किसी स्त्री को इस बात के लिए बाध्य किया जा सके कि वह अपनी संतान के पिता का नाम घोषित करे।
एकल माँ के अधिकार विशेष रुप से किसी भी कानून द्वारा व्याख्यायित नहीं किए गए हैं। लेकिन उसे वे सभी अधिकार प्राप्त हैं जो प्रत्येक माँ को प्राप्त हैं। किसी भी माँ की संतान अवैध नहीं होती। संतान और उस की माता के बीच सदैव एक वैध संबंध होता है। ऐसी संतान को किसी को भी अवैध संतान कहने का अधिकार नहीं है।
संतान की वैधता का प्रश्न सदैव उत्तराधिकार के संबंध में ही उत्पन्न होता है। एकल माता का पुत्र होने के कारण और पिता ज्ञात नहीं होने की स्थिति में ऐसी संतान किसी भी पिता की उत्तराधिकारी नहीं हो सकती है। माता के उत्तराधिकार के संबंध में संतान की वैधता का कोई प्रश्न कभी भी उत्पन्न नहीं होता है। ऐसी संतान को अपनी माता की संपत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त होगी।
स्कूल आदि में सामान्य रूप से यह पूछा जा सकता है कि संतान का पिता का नाम क्या है। लेकिन किसी स्त्री को इस बात के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह अपनी संतान के पिता का नाम बताए औऱ लिखाए। किसी भी संस्था में वल्दियत के स्थान पर माँ अपना नाम लिखा सकती है। हाँ किसी पुरुष द्वारा अपनी संतान का नाम स्कूल या किसी संस्था में लिखाना होगा तो उसे उस की उस संतान की माता का नाम लिखाना अनेक स्थानों पर अनिवार्य कर दिया गया है।
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12 Comments
क्या हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार ऐसी संतान वैध होगी। या कोई अन्य अधिनियम किसी हिन्दू महिला की ऐसी संतान को वैध संतान करार देता है।
मेरा कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि किसी का दिल दुखावुं, परन्तु मेरी समझ में यह नहीं आया कि जब एक मां अपने बच्चे को जन्म ही दे देती है, तो उस बच्चे को उसके पिता का नाम देने में क्या हर्ज है? जब बच्चे को नहीं छुपाया है, साहस दिखाया है तो उसके पिता का नाम छुपाने से क्या फायदा? यहाँ भी साह्स दिखाना चाहिए और उसे उजागर करना चाहिए.
समुचित जानकारी दी गयी है.
बहुत अच्छी जानकारी मिली…
आप बहुत सुन्दर व सार्थक जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं. यह पोस्ट भी पहले की तरह रोचक व ज्ञानदायी .
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"शब्द-शिखर" पर सुप्रीम कोर्ट में भी महिलाओं के लिए आरक्षण
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अवैध संतान नही होती, मां बाप होते है
जानकारी अच्छी है लेकिन साथ में एक प्रश्न भी पूछ रही हूँ! " क्या एक शादीशुदा महिला जिसने की शादी के बाद उपनाम नहीं बदला है….अपने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अपने पुत्र का जाति प्रमाण पत्र बनवा सकती है? क्या बच्चे के पिता के जाति प्रमाण पत्र के अभाव में बच्चा सामान्य वर्ग में ही आ पायेगा"?आप मुझे मेरे मेल " trivedipallavi2k@gmail.com" पर भी उत्तर भेज सकते हैं!
जानकारी देने के लिए धन्यवाद. पर आपने यह स्पष्ट नहीं किया कि जब पिता का नाम बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है तो फिर पिता के नाम के स्थान पर क्या लिखा जाएगा. आपने बल्दियत शब्द का उल्लेख किया है. कृपया स्पष्ट करने की कृपा करें कि कानून में बल्द शब्द का क्या अर्थ है — माता, पिता या माता / पिता कोई.
बहुत अच्छी जानकारी मिली.
रामराम.
ज्ञान वर्धन हुआ. हमें नीना गुप्ता याद आ गयी.
अच्छी जानकारी.