ब्लागर हैं तो क्या? कानून से ऊपर नहीं
|दिनेशराय द्विवेदी
कल से ही डी अजित के मामले की ब्लाग जगत में चर्चा है। पर्याप्त प्रयत्न करने के उपरांत भी इस मामले में दिया गया सर्वोच्च न्यायालय का मूल आदेश पढ़ने को नहीं मिल सका है। लेकिन इस निर्णय की जो रपटें यत्र-तत्र समाचार साइटों पर पढ़ने को मिली हैं उन से सर्वोच्च न्यायालय का संदेश बहुत स्पष्ट है। चाहे आप ब्लागरी कर रहे हों या किसी साइट पर कम्युनिटी चला रहे हों आप को कानूनों के प्रति जिम्मेदार होना पड़ेगा। आप के ब्लाग या कम्युनिटी पर कोई आलेख, या टिप्पणी, या कोई अन्य सामग्री चाहे वह किसी के नाम से हो या अनाम हो, ब्लाग या साइट स्वामी की अनुमति से ही वहाँ प्रकाशित होती है। यदि वह सामग्री कोई अपराध गठित करती है… (आगे पढ़ें)
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7 Comments
बहुत सही लिखा आप ने, जरा खोल के लिखते तो ज्यादा अच्छा था, आगे पढो पर लिंक खुल नही रहा.
धन्यवाद
मुझे तो इसमें विरोधाभास और पक्षपात लगता है। मेरे विचार पढ़ें और अपनी राय दें।
सही कहा आपने, नियम कानून सबके लिए लागू होते हैं।
बिल्कुल उचित बात है। अगर आप कोई सार्वजनिक कार्य करते हैं तो आपको उसकी कानूनी जिम्मेदारी भी लेनी पड़ेगी। ब्लागर की हैसियत भी प्रकाशक की होती है, मैं भी इस तर्क से सहमत हूं। ब्लाग नियंत्रक को यह देखना पड़ेगा कि अभिव्यक्ति के किस दायरे में रहकर वह अपना कार्य कर रहा है। आप किसी के कार्य की निंदा साक्ष्य या सबूत के आधार पर कर सकते हैं। ब्लाग में अगर अपनी रोज डायरी भी लिखते हैं तो भी वह हजारों लोगों के बाच जाती है। आपका लेखन ऐसी डायरी भी नहीं होती जो सिर्फ आपके पास रहती है। यानी आपने अपने विचार सार्वजनिक कर दिए हैं। इस आधार पर आपत्तिजनक बातों का सबूत भी आपके पास होना चाहिए। ऐसी खबरें छापकर अखबार वाले भी मानहानि के तमाम मुकदमें झेलते रहते हैं। फिर ब्लागर भी अखबार के मालिक, प्रकाशक और लेखक तीनों की भूमिका में होता है। अतः उसे तीनों की कानूनी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। अगर सामुदायिक ब्लाग है तो ब्लाग नियंत्रक को अपने लेखकों को इस बात की हिदायत देनी होगी कि आपत्तिजनक लेख न दे। अगर देना चाहता है तो सबूत के साथ जिम्मेदाकी भी ले। यानी ब्लाग नियंत्रक साफ हिदायत दे कि जो आप लिखेंगे उसकी कानूनी जिम्मेदारी भी आपकी ही होगी। अब वह समया आ गया है जब इन बातों पर भी ब्लागरों को ध्यान रखना होगा। ब्लाग अब अखबारों की तरह जनमत बनाने की भूमिका में आ गए हैं। अतः बंदिशें भी झेलने को तैयार रहना होगा। रही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात तो इसकी सार्थक लड़ाई भी ब्लागरों को एकजुट होकर लड़नी पड़ेगी।
विस्तार से बताये द्रिवेदी जी…..ओर अगर निर्णय मिले तो उसे भी संक्षिप्त में पढ़वा दे…बस ये बात समझ नहीं प् रहा की टिपण्णी करने वाले को जिम्मेदार न होकर ब्लॉग के स्वामी को जिम्मेदार क्यों ठहराया जाये ?
वैसे मैं सम्बंधित ब्लॉग को या इससे सम्बंधित समाचार को अन्यत्र कहीं नहीं पढ़ा या सुना हूँ. पर इस ब्लॉग में लेखक ने जो बात कहना चाहा है वह तो मैं समझ गया. पर एक बात मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि यदि कोई साईट या ब्लॉग या समाचारपत्र ऐसा है जो किसी विषय पर आम लोगों की निष्पक्ष विचार आमंत्रित करता है और सम्बंधित साईट या पत्र का उद्देश्य रहता है कि वह आम लोगों की निष्पक्ष विचार को सार्वजानिक करे ताकि आम जनता यह जान सके कि इस विषय पर किसका क्या विचार है. तब यदि कोई व्यक्ति उसपर अपने विचार में या टिप्पणी में कोई आपत्तिजनक बात लिखता है तो इसके लिए साईट या पत्र का स्वामी जिम्मेवार क्यों होगा और उसपर कार्रवाई क्यों होगी? उसका तो उद्देश्य तो आम लोगों के विचार को सार्वजानिक करना था. ……………….. ऐसी स्थिति में तो कार्रवाई सम्बंधित विचारक / टिप्पणीकार पर होनी चाहिए न कि साईट / ब्लॉग / समाचारपत्र के स्वामी पर. यदि किसी साईट या पत्र पर आये टिपण्णी से ही किसी के (या टिप्पणीकार के) अपराधिक प्रकृति का पता चलता है तो इसके लिए सम्बंधित साईट / पत्र के स्वामी या प्रकाशक जिम्मेवार क्यों व कैसे होगा? ………………. ऐसी स्थिति में यदि कसी के टिपण्णी से किसी के अपराधिक प्रकृति का पता चलता है तो इसके लिए टिप्पणीकार जिम्मेवार होगा और कार्रवाई भी उसी पर होनी चाहिए न कि साईट या पत्र के स्वामी या प्रकाशक पर………….
लेखक व पाठक कृपया इसपर अपनी राय स्पष्ट करें.
आपका
महेश
वैधानिक स्थिति के मद्दे नज़र इस नेक सलाह के लिए आभार.