हम ने पिछले आलेखों में जाना कि प्रेस की स्वतंत्रता भी वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत ही एक अधिकार है। समाचार पत्र और अन्य माध्यमों का आज लवाजमा इतना भारी हो चुका है कि उस में बहुत बड़ी पूँजी का निवेश किए बिना उन्हें चला पाना संभव नहीं रहा है। अधिकतर बड़े और मध्यम समाचार पत्र और माध्यम या तो सरकारी हैं अथवा उन पर किसी न किसी वाणिज्यिक घराने की पूँजी लगी है और वे दोनों ही अपने प्रायोजकों के प्रति अपनी वफादारी का पूरा सबूत देते हैं। कुछ माध्यम और समाचार पत्र व्यावसायिक गतिविधि के रूप में ही चलते हैं उन पर विज्ञापन दाताओं का भारी प्रभाव रहता है। इस कारण से उन्हें स्वतंत्र अभिव्यक्ति माध्यम कहने से स्वतंत्रता शब्द ही अपमानित हो जाएगा। मध्यम और छोटे समाचार पत्र जिन्हें खुद पत्रकार लोग निकालते हैं वे भी सरकारी और गैर सरकारी विज्ञापनों की आस और जुगाड़ में निष्पक्ष नहीं रह पाते। बहुत छोटे अनेक समाचार पत्र पीत पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं और उस के श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
कुछ दिनों पहले एक ऐसा व्यक्ति गवाह के रूप में मेरे सामने आया जो अपने आप को पत्रकार और प्रेस का मालिक कहता था। वह अपनी आमदनी पचास हजार प्रतिमाह बता रहा था। जिस में से तकरीबन चालीस हजार की आमदनी उसने केवल समाचार पत्र से होना बताई थी। वह मोटर एक्सीडेण्ट के एक मुकदमे में घायल दावेदार की ओर से घायल की आमदनी को प्रमाणित करने के लिए आया था और कह रहा था कि घायल उस के यहाँ वाहन चालक था और छह हजार रुपए प्रतिमाह उस का वेतन देता था। इस बात का एक प्रमाण पत्र भी उस ने जारी किया था। मैं ने उस के अखबार को कभी देखा न था। खैर उस से जिरह के बाद आमदनी तो वह साबित नहीं कर सका लेकिन बाद में मैं ने उस से उस का अखबार मुझे दिखाने को कहा तो उस ने 12 पृष्ठों का ग्लेज्ड पेपर पर छपा एक रंगीन अखबार उसने मुझे बताया। जिस में अधिकांश समाचार इस तरह के थे जैसे उन के माध्यम से किसी को ब्लेक मेल किया जा रहा हो। ऑफ द रिकॉर्ड उस ने बताया कि असली आमदनी ही आज अखबार की उन सरकारी अफसरों को ब्लेक मेल के जरिए होती है जो सरकार और जनता को हर माह करोड़ों का चूना लगाते हैं।
इस तरह हम देखते हैं कि अखबार और माध्यम निष्पक्ष नहीं रह गए हैं। वे प्रचार के माध्यम भर रह गए हैं। यह जरूर हुआ है कि आपसी प्रतियोगिता के कारण सूचना को पहुँचाने की गति बहुत तीव्र हो गई है। लेकिन उस में भी गलत सूचनाओं की भरमार रहती है। मेरे नगर की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं जो हिन्दी टीवी माध्यमों पर घंटे भर में ही प्रमुख समाचार बन गई थीं, के बारे में अधिकांश सूचनाएं गलत थीं। यहाँ तक कि चैनल पर दिखाए जा रहे बिलकुल गलत थे। इस तरह सूचनाएँ जो हड़बड़ी में आ रही थीं उन में गलत अधिक थीं। दूसरे ही दिन कोई अन्य ब्रेकिंग न्यूज मिल जाने पर उन का फॉलोअप गायब था। हम राष्ट्रीय अखबार का जो स्थानीय संस्करण देखते हैं उस में स्थानीय समाचार होते हैं और कुछ प्रान्तीय समाचार और कुछ राष्ट्रीय समाचार। बहुत से आवश्यक समाचार उन से छूट जाते हैं।
इन सारी परिस्थितियों में इंटरनेट सूचनाओं के श्रेष्ठ साधन के रूप में उभऱ कर सामने आया है। जिन लोगों के पास यह सुविधा है वे अन्य किसी भी साधन की अपेक्षा खोज के माध्यम से समाचार को खोज निकालते हैं और उस में भी सच को निकालने की योग्यता भी कुछ ही दिनों में प्राप्त कर लेते हैं। इस बीच ब्लागिंग या चिट्ठाकारी ने भी अपनी भूमिका अदा करना आरंभ कर दी है। यह माध्यम एकदम व्यक्तिगत है और कोई भी व्यक्ति इस माध्यम से सूचनाएँ प्रकट कर सकता है। सूचनाओं पर अपने विचार प्रकट कर सकता है। और वे विचार कम से कम उस व्यक्ति की स्वयं की अभिव्यक्ति होते हैं। यह दूसरी बात है कि वह व्यक्ति जिन विचारों या विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करता है उस का प्रभाव उस में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। लेकिन फिर भी वे उस के अपने विचार होते हैं। इस तरह हम देखते हैं कि वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को इंटरनेट ने और विशेष रूप से ब्लॉगिंग या चिट्ठाकारी ने एक नई ऊँचाई प्रदान की है। लेकिन यह ध्यान में रखने योग्य बात है कि वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल संविधान प्रदत्त मूल अधिकार में ही है। (क्रमशः जारी)
किसी भी घट्ना या समाचार पर अपनी बेबाक राय बिना किसी दबाब के ब्लोग पर दी जा सकती है
काजल कुमार Kajal Kumar
जिस तरह आपदा में लोग सरकार के बजाय Hams भरोस करते है, ज़ल्दी ही, केवल निष्पक्ष ब्लॉग्गिंग सूचना का मध्यम रह जायेगी… आज का मीडिया जिस तरह से भोंपू बना बैठा हा, वो दिन दूर नहीं.
योगेन्द्र मौदगिल
एकदम सामयिक जानकारी… वाह.. और ताऊ पहेली विजेता होने की बधाई..
Mired Mirage
अब ब्लौगिंग करते समय किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ताकि कल किसी समस्या में न उलझें भी बताइए। घुघूती बासूती
अभिषेक ओझा
हम भी पढ़ रहे हैं… !
डॉ. मनोज मिश्र
सही विचार,प्रतीक्षा रहेगी .
महेन्द्र मिश्र
बहुत रोचक
अजय कुमार झा
दिनेश जी..श्रृंखला जारी रहे..कल के अंक का तो बेसब्री से इन्तजार है..कुछ प्रश्न हैं ..श्रृंख्ला की समाप्ति पर पूछ लूँगा…और हाँ ताऊ जी बन्ने पर बधाई..आपके बारे में विस्तार से जानने को मिलेगा..शुभकामनायें..
राज भाटिय़ा
बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने, ओर बहुत से भर्म भी मिट गये, ओर्कुत मै मै अभी नया नया गया हुं , लेकिन अभी मुझे वहा कुछ खास नही लगा या फ़िर मै अभी उस बारे अंजान हुं हो सकता है, धन्यवाद
ताऊ रामपुरिया
बहुत रोचक रहेगा आगे की जानकारी प्राप्त करना.
रामराम.
विनोद कुमार पांडेय
ब्लॉगिंग और ओर्कूट कुछ मामलो मे एकदम अलग है, वैसे दोस्त तो दोनो पर बनाए जाते है पर उस पर हम दोस्त के विचारों से ज़्यादा अवगत नही हो पाते और यहाँ सारे विचार और भाव पहले से ही दृष्टिगोचर हो जाते है.
AlbelaKhatri.com
achha laga bahut achha laga aap aise hi achhi achhi jaankaari dete rahen.. dhnyavaad !
प्रवीण त्रिवेदी...प्राइमरी का मास्टर
उम्मीद है की आप एक नए अंदाज में ब्लोग्गेरी को बयां करेंगे!!
क्रमशः हम इन्तेजार करेंगे!!
RAJ SINH
कानूनी जानकारी के दायरे में उम्मीद है द्विवेदी जी आप वो सब देंगे जो की एक आम ब्लोगेर की जिम्मेदारी, अधिकार , कर्तव्य या अपराध बनता हो .
mahashakti
आज आर्कुट और चिट्ठाकारी की राह अगल है, आर्कुट पहले से बने दोस्तो को मिलने का जरिया रहा है जबकि चिट्ठाकारी विचारों में मतैक्यता को साथ लेकर चलने की प्रक्रिया।
रोचक और जानकारी से भरपूर चर्चा है, आगे की कडी की प्रतीक्षा रहेगी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
किसी भी घट्ना या समाचार पर अपनी बेबाक
राय बिना किसी दबाब के ब्लोग पर दी जा सकती है
जिस तरह आपदा में लोग सरकार के बजाय Hams भरोस करते है, ज़ल्दी ही, केवल निष्पक्ष ब्लॉग्गिंग सूचना का मध्यम रह जायेगी… आज का मीडिया जिस तरह से भोंपू बना बैठा हा, वो दिन दूर नहीं.
एकदम सामयिक जानकारी… वाह.. और ताऊ पहेली विजेता होने की बधाई..
अब ब्लौगिंग करते समय किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ताकि कल किसी समस्या में न उलझें भी बताइए।
घुघूती बासूती
हम भी पढ़ रहे हैं… !
सही विचार,प्रतीक्षा रहेगी .
बहुत रोचक
दिनेश जी..श्रृंखला जारी रहे..कल के अंक का तो बेसब्री से इन्तजार है..कुछ प्रश्न हैं ..श्रृंख्ला की समाप्ति पर पूछ लूँगा…और हाँ ताऊ जी बन्ने पर बधाई..आपके बारे में विस्तार से जानने को मिलेगा..शुभकामनायें..
बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने, ओर बहुत से भर्म भी मिट गये, ओर्कुत मै मै अभी नया नया गया हुं , लेकिन अभी मुझे वहा कुछ खास नही लगा या फ़िर मै अभी उस बारे अंजान हुं हो सकता है,
धन्यवाद
बहुत रोचक रहेगा आगे की जानकारी प्राप्त करना.
रामराम.
ब्लॉगिंग और ओर्कूट कुछ मामलो मे एकदम अलग है,
वैसे दोस्त तो दोनो पर बनाए जाते है पर उस पर हम दोस्त के विचारों से ज़्यादा अवगत नही हो पाते
और यहाँ सारे विचार और भाव पहले से ही दृष्टिगोचर हो जाते है.
achha laga
bahut achha laga
aap aise hi achhi achhi jaankaari dete rahen..
dhnyavaad !
उम्मीद है की आप एक नए अंदाज में ब्लोग्गेरी को बयां करेंगे!!
क्रमशः हम इन्तेजार करेंगे!!
कानूनी जानकारी के दायरे में उम्मीद है द्विवेदी जी आप वो सब देंगे जो की एक आम ब्लोगेर की जिम्मेदारी, अधिकार , कर्तव्य या अपराध बनता हो .
आज आर्कुट और चिट्ठाकारी की राह अगल है, आर्कुट पहले से बने दोस्तो को मिलने का जरिया रहा है जबकि चिट्ठाकारी विचारों में मतैक्यता को साथ लेकर चलने की प्रक्रिया।