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मनचाही पुस्तक न भेजने पर फ्लिप्कार्ट से भुगतान की गई राशि और हर्जाना प्राप्त किया जा सकता है

 नौशाद हुसैन फ़ारसी ने पूछा है –

मैंने 28.08.2011को ऑनलाइन वस्तुएं बेचने वाली कंपनी फ्लिप्कार्ट को एक किताब का खऱीदने का आदेश दिया था। कंपनी ने मेरा कार्ड स्वप् कर उसमें से मूल्य काट लिया और मुझे रसीद भी प्राप्त हो गयी जिस पर आदेश संख्या और किताब का नाम आदि सूचनाएँ अंकित थीं। यह भी अंकित था कि  ये किताब मुझे मेरे पते पर 6 सितम्बर तक पहुंचा दी जायेगी। आज जब मैंने उन्हें फोन तथा मेल किया तो उन्होंने बताया कि वह पुस्तक उनके स्टॉक में नहीं है और अब वो कह रहे हैं कि कोई और वस्तु खरीद लो। अब क्या करें? क्या उपभोगता अदालत में जाया जा सकता है? यदि हाँ, तो मुझे क्या करना पड़ेगा?

 उत्तर –

फ़ारसी जी,

प ने फ्लिप्कार्ट को किसी पुस्तक विशेष को क्रय करने का ऑनलाइन आदेश दिया। यह आदेश वास्तव में आप की ओर से पुस्तक को क्रय करने का प्रस्ताव था। आप के प्रस्ताव को स्वीकार कर फ्लिप्कार्ट ने आप को पु्स्तक का मूल्य अदा करने पर पुस्तक आप के पते पर भेजने का वादा किया। इस तरह आप के और फ्लिप्कार्ट के मध्य एक करार संपन्न हो गया कि आप के द्वारा मूल्य अदा करने पर फ्लिप्कार्ट आप को पुस्तक आप के पते पर भेज देगा। आप ने उस पुस्तक का मूल्य अपने क्रेड़िट/डेबिट कार्ड से भुगतान कर दिया जिस की रसीद आप को प्राप्त हो गई और मूल्य फ्लिप्कार्ट को प्राप्त हो गई। इस तरह आप ने करार में आप के दायित्व को पूर्ण कर दिया, फ्लिप्कार्ट द्वारा करार के अंतर्गत आप को पुस्तक 6 सितम्बर तक आप को पहुँचाने की सूचना दी। लेकिन यह पुस्तक 6 सितम्बर तक आप को नहीं पहुँचाई गई। इस तरह फ्लिप्कार्ट ने आप के साथ हुए करार को भंग किया। 
प के द्वारा पूछताछ करने पर फ्लिप्कार्ट ने आप को कहा कि वह पुस्तक प्राप्य नहीं है, आप भुगतान किये हुए मूल्य में और कोई वस्तु खरीद लें। इस तरह फ्लिप्कार्ट अब उस के द्वारा भंग किए जा चुके करार में संशोधन चाहता है जिस के लिए उस ने आप को प्रस्ताव भेजा है। यदि आप फ्लिप्कार्ट के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते तो आप के और फ्लिप्कार्ट के मध्य एक नया करार संपन्न हो जाता जिस के द्वारा आप के और फ्लिप्कार्ट के मध्य हुआ पहले का करार संशोधित हो जाता और करार को संपन्न करने में जो दोष फ्लिप्कार्ट की और से हुआ है वह उस दोष से मुक्त हो जाता। लेकिन आप वही पुस्तक क्रय करना चाहते हैं जिस का आप ने आदेश दिया था और उसी मूल्य की कोई अन्य वस्तु नहीं खरीदना चाहते। 
ब आप को चाहिए कि आप फ्लिप्कार्ट के पुराने करार को संशोधित करने वाला करार करने के प्रस्ताव से इन्कार कर दें। इस के लिए आप प्लिप्कार्ट को सूचित कर सकते हैं कि आप को आदेशित पुस्तक के बदले कोई वस्तु नहीं खरीदनी है। फ्लिप्कार्ट को चाहिए था कि यदि पुस्तक स्टॉक में नहीं थी तो उन्हें आप से उस का मूल्य प्राप्त नहीं करना चाहिए था। इस तरह फ्लिप्कार्ट ने करार को भंग किया है। जिस से आप को गहरा मानसिक संताप हुआ है। वह पुस्तक समय से न मिलने के कारण यदि आप को कोई हानि हुई हो तो वह भी बताएँ। यह तथ्य लिखते हुए फ्लिप्कार्ट को कहें कि वह आप से वसूल की हुई पुस्तक के मूल्य व डाक/कूरियर खर्च की राशि आप को लौटाए तथा
आप को पुस्तक समय पर नहीं मिलने के कारण हुई हानि और मानसिक संताप का यथोचित हर्जाना (इस हानि और हर्जाने का मूल्यांकन कर के आप राशि भी लिखें) फ्लिप्कार्ट आप को सप्ताह भर में भुगतान करे, अन्यथा आप चुकायी गई राशि, हानि और मानसिक संताप के हर्जाने की राशि प्राप्त करने के लिए फ्लिप्कार्ट के विरुद्ध सक्षम न्यायालय के समक्ष कानूनी कार्यवाही करेंगे जिस के हर्जों और खर्चों की जिम्मेदारी भी फ्लिप्कार्ट की होगी।
प के तथा फ्लिप्कार्ट के मध्य हुआ करार विधि पूर्ण है जिसका विक्रेता द्वारा भंग किए जाने का यह विवाद एक उपभोक्ता विवाद है और आप इस की शिकायत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच के समक्ष कर सकते हैं। आप द्वारा फ्लिप्कार्ट के करार को संशोधित करने के प्रस्ताव को अस्वीकार करने और हर्जाना अदा करने की सूचना दिए जाने के बाद यदि एक सप्ताह में फ्लिप्कार्ट आप से प्राप्त किया हुआ पुस्तक मूल्य, डाक-कूरियर खर्च तथा हानि व मानसिक संताप का हर्जाना अदा नहीं करता है तो आप फ्लिप्कार्ट के विरुद्ध जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं। प्रतितोष मंच आप को फ्लिप्कार्ट से पुस्तक मूल्य, डाक-कूरियर खर्च तथा हानि व मानसिक संताप के हर्जाने के अतिरिक्त न्यायालय व्यय भी दिलाएगा।

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