मुख्तारनामे से पूर्व में किए गए कार्यों को विधिमान्य नहीं बनाया जा सकता।
|समस्या-
अभिषेक आचार्य ने जबलपुर, मध्यप्रदेश से पूछा है-
पुत्र ने दिनांक 09.09.2013 को एक पावर ऑफ अटार्नी (मुख्तारनामा) निष्पादित कर नोटेरी के समक्ष सत्यापित कराते हुए अपने पिता को अपना मुख्तार नियुक्त किया। जब कि पिता द्वारा दिनांक 30.08.2013 को पुत्र की ओर से परिवाद प्रस्तुत किया जिस में 30.08.2013 को ही शपथ पत्र भी सत्यापित कराया गया। इस परिवाद की विधि मान्यता क्या है? मुख्तारनामे के आवश्यक तत्व क्या हैं। क्या मुख्तारनामा पर मुख्तार नियुक्तिकर्ता व मुख्तार दोनों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं।
समाधान-
मुख्तारनामा (Power of Attorney) एक ऐसा दस्तावेज है जिस के माध्यम से कोई व्यक्ति उस के द्वारा किए जाने वाले विधिक कार्यों को करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि चुनता है। कोई व्यक्ति अपनी ओर से किए जाने वाले समस्त कार्यों के लिए भी मुख्तार नियुक्त कर सकता है वैसी स्थिति में उसे मुख्तारनामा आम ( Genral Power of Attorney) कहा जाएगा। कोई व्यक्ति केवल एक या कुछ विशेष कार्यों के लिए भी मुख्तार नियुक्त कर सकता है, वैसी स्थिति में उसे मुख्तार खास (Special Power of Attorney) कहा जाएगा। मुख्तार नामे पर केवल नियुक्तिकर्ता के हस्ताक्षर होना तथा उसे नोटरी के समक्ष सत्यापित कराना आवश्यक है। जिस व्यक्ति को मुख्तार नियुक्त किया गया है उस के मुख्तारनामे पर हस्ताक्षर आवश्यक नहीं हैं। एक बार मुख्तारनामा निष्पादित होने पर जिन कार्यों को करने के लिए मुख्तार नियुक्त किया गया है वे सभी कार्य मुख्तार अपने नियुक्तिकर्ता के लिए तब तक सम्पन्न कर सकता है जब तक कि उस का मुख्तारनामा नियुक्तिकर्ता द्वारा निरस्त कर के उसे सूचित न कर दिया जाए जिन के लिए उसे मुख्तार नियुक्त किया गया है।
आप के मामले में मुख्तार पिता ने अपने पुत्र की ओर से मुख्तार नियुक्त होने के पूर्व ही उस की ओर से परिवाद प्रस्तुत किया है। जिस दिन उस ने परिवाद प्रस्तुत किया है उस दिन तक पिता को अपने पुत्र की ओर से मुख्तार के रूप में कार्य करने का अधिकार नहीं था। इस कारण से वह परिवाद अधिकारहीन है और उस की कोई विधि मान्यता नहीं है। कोई भी व्यक्ति मुख्तारनामे से किसी व्यक्ति द्वारा मुख्तारनामा निष्पादित कर उसे सत्यापित कराने के पूर्व किए गए कामों को विधि मान्य नहीं बना सकता।
आप का बहुत बहुत धन्यवाद
आप का मार्ग दर्शन मिलता रहे ऐसी आशा करता हूँ
जय श्री कृष्णा
क्या मुख्तारनामा वसीयत का कार्य भी कर सकता है ? उदाहरण के लिए यदि ‘अ ‘ ने ‘ ब ‘ के नाम आम मुख्तारनामा बनाया है और ‘ अ ‘ की मौत हो जाती है , तो क्या ‘ ब ‘ , ‘ अ ‘ की सम्पत्ति को बेचने का अधिकारी है ?