मुझे झूठा फँसा दिया गया है, मेरी जमानत कैसे हो सकेगी?
|मुम्बई से मुमताज खान पूछती हैं …….
मेरी उम्र चालीस वर्ष है, मेरे पाँच बच्चे और पति अपंग हैं। मैं मुम्बई में रहती हूँ। पड़ौसी के यहाँ झगड़ा हुआ, आजू-बाजू वालों से लड़ाई हो रही थी। दोनों सगे भाई थे, पेट में चाकू लग गया था। तो जिस को मार लगी उस ने पहले पुलिस को झूठी शिकायत दी कि मैं ने उस को पकड़ कर रखा था तो गुंडे ने उस को चाकू मारा, जब कि मैं वहाँ थी ही नहीं। फिर भी मेरा झूठा नाम पुलिस को दे दिया। बताओ मैं क्या करूँ। सामने वाले ने मुझ पर 326 आईपीसी का केस बना दिया। मैं ने पुलिस को पूछा तो वह कहती है कि जिस आदमी को मार लगी वो जो भी कहेगा हमें उस का यकीन करना होगा, हम कुछ नहीं कर सकते। कोर्ट में जा कर कहो कि आप बेकसूर हैं। बाकी के आरोपी गिरफ्तार हो गए हैं जिस ने चाकू मारा था वो भी पकड़ा गया।
आप बताएँ कि कोर्ट में कैसे जमानत ले सकती हूँ? और कैसे अपना बचाव कर सकती हूँ?
उत्तर
मुमताज बहन!
पुलिस वाले सही कह रहे हैं कि जब घायल व्यक्ति ने रिपोर्ट में ही आप का नाम लिखा दिया है तो वे कुछ नहीं कर सकते। क्यों कि प्रथम सूचना रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण सबूत होता है। फिर जिन गवाहों को पुलिस के सामने खड़ा किया गया होगा वे भी पुलिस के सामने अपने बयानों में यही कहेंगे। अब आप के पास इस बात का मजबूत तर्क और सबूत होना चाहिए कि आखिर घायल ने आप के मौके पर न होते हुए भी इस अपराध की रिपोर्ट करते समय आप को इस में फंसाने का कारण क्या रहा है? आप ने अपने सवाल में यह कहीं भी नहीं बताया है। हो सकता है किसी पुरानी घटना के कारण घायल फरियादी आप से गहरी रंजिश रखता हो, या कभी उन दोनों के बीच होने वाली जुबानी तकरारों के बीच आप चाकू मारने वाले का पक्ष लेती रही हों।
आप जब मौके पर थी ही नहीं तो उस घटना को देखने वाले किसी भी एक या अधिक लोगों का शपथ पत्र भी इस बात का पेश करने का अच्छा असर हो सकता है कि आप घटना के वक्त वहाँ थी ही नहीं और आप का नाम रंजिश के कारण फरियादी ने लिखा दिया है। इस के साथ ही आप के पास इस बात की कोई अच्छी वजह हो जिस के कारण फरियादी आप से रंजिश रखते हुए आप को फंसा सकता हो तो आप की गिरफ्तारी पूर्व अग्रिम जमानत हो सकती है। इस के लिए आप को इलाके की सेशन कोर्ट में दरख्वास्त लगानी पड़ेगी। यदि ऐसा नहीं है तो आप को अग्रिम जमानत मिल पाना लगभग असंभव है। अग्रिम जमानत कुछ खास मामलों में ही दी जाती है यह सब मामलों में संभव नहीं है।
यदि आप की अग्रिम जमानत नहीं होती है तो फिर आप की जमानत गिरफ्तारी के उपरांत ही हो सकेगी। उस के लिए पहले उस अदालत में जमानत की दरख्वास्त देनी पड़ेगी जहाँ आप को गिरफ्तार कर के पेश किया जाएगा। यदि यह अदालत आप की जमानत की दरख्वास्त खारिज कर देती है तो फिर सेशन कोर्ट में आप को दरख्वास्त देनी होगी जहाँ आप की दरख्वास्त अवश्य मंजूर हो जाएगी और आप को जमानत मिल जाएगी। दोनों ही मामलों में आप के पति का अपंग होना और पाँच बच्चे होने और उन्हें संभालने का दायित्व आप पर होने का तथ्य भी आप की मदद करेगा।
अब आप खुद सोच कर निर्णय कर सकती हैं कि आप को अग्रिम जमानत लेनी चाहिए या नहीं। क्यों कि यदि आप को अग्रिम जमान
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7 Comments
बहुत बढिया सलाह दी है । आपका यह कार्य बहुत की पुण्य का है ।
अच्छी जानकारी
आभार…अच्छी जानकारी मिल रही है.
अजित जी से सहमत ..धन्यवाद द्विवेदी जी.
अच्छी जानकारी के लिए ध्न्यवाद.
न्याय पाने की राह भी विकट है साब..
पर आप जैसे भले लोग भी हैं जो दुखियारों का तो भला कर ही रहे हैं, हम जैसे अज्ञानियों की राह भी संवार रहे हैं…
इसे कहते हैं कानून के चक्कर में बेवज़ह फँसना .लेकिन द्विवेदी जी ने रास्ता सही सुझाया है