मैं अपनी पत्नी को कैसे वापस ला सकता हूँ?
| उ.प्र. से सुनील पूछते हैं …….
मैं ने 9 जून 2009 को अपनी पत्नी के परिवार की मर्जी के खिलाफ आर्य समाज मंदिर में शादी की थी, शादी के दिन ही पत्नी के परिवार वाले उस को जबर्दस्ती मेरे घर से ले गये, बाद में उन लोगों ने मुझे मज़बूर कर के आर्य समाज मंदिर का प्रमाणपत्र और कोर्ट के पेपर भी ले लिये, अब पत्नी ने भी मेरे साथ रहने को मना कर दिया है। मैं बहुत मानसिक अवसाद में हूँ, हम दोनो बालिग हैं, ओर अलग अलग जाति के हैं इसलिए पत्नी के परिवार को हमारी शादी से एतराज है, मैं अपनी पत्नी को वपस लाना चह्ता हूँ, अब मेरी पत्नी का रिश्ता उस के परिवार ने कहीं कर दिया है, मुझे सलाह दीजिये कि मैं अपनी पत्नी को कैसे वापस ला सकता हूँ? और अगर वो मुझ से बिना तलाक प्राप्त किए शादी करना चाहे तो क्या वह संभव है? शादी के कितने समय बाद वो उस की दूसरी शादी कर सकते हैं, हम एक दिन भी साथ नहीं रहे हैं, क्या तलाक के लिये वो कारण बताएँगे?
कृपया मेरी सहायता करें।
उत्तर
सुनील जी! आप ने अपनी पत्नी के साथ आर्य समाज में विवाह किया है, वह पूरी तरह से वैध है। आप की पत्नी को जब तक किसी न्यायालय से तलाक नहीं मिल जाता है तब तक वह आप की पत्नी रहेगी। बिना आप से तलाक लिए उस की शादी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ की जाती है तो वह पूरी तरह से अवैध होगी। आप की पत्नी के परिवार वाले उसे जबर्दस्ती आप के घर से ले गए उस की आप को पुलिस में रिपोर्ट करानी चाहिए थी। पुलिस द्वारा रिपोर्ट न लिखे जाने पर आप अदालत में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते थे जिसे अन्वेषण के लिए पुलिस को भेजा जा सकता था।
यदि आप से आर्यसमाज द्वारा दिया गया विवाह का प्रमाण पत्र छीन लिया है तो उस की प्रतिलिपि आप आर्य समाज से पुनः प्राप्त कर सकते हैं और उसे सबूत के बतौर किसी भी न्यायालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि आप अपनी पत्नी को वापस लाना चाहते हैं तो अपने उच्चन्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं। जिस पर आप की पत्नी को न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है और आप की पत्नी वहाँ आप के साथ रहने को कह देती है तो वह आप के पास रह सकेगी। हाँ, आप की पत्नी की इच्छा के विरुद्ध उसे आप के पास नहीं भेजा जा सकता है।
यदि आप की पत्नी स्वयं ही नहीं आना चाहती है, तो आप अपनी शादी के प्रमाण पत्र के आधार पर उस के विरुद्ध वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-9 के तहत परिवार न्यायालय या जिला न्यायालय के समक्ष अर्जी पेश कर सकते हैं। यदि आप की पत्नी का विवाह दूसरे किसी व्यक्ति के साथ किए जाने की संभावना है तो आप अपनी पत्नी के संबंधियों और जिस से शादी की जा रही है उस व्यक्ति के और उस के संबंधियों के विरुद्ध ऐसे विवाह को रोके जाने के लिए सिविल न्यायालय के समक्ष दीवानी वाद प्रस्तुत कर के शादी पर स्थगन प्राप्त कर सकते हैं और विवाह रुकवाने के लिए पुलिस मदद भी। इन सब के लिए आप को तुरंत किसी अच्छे और विश्वसनीय वकील की मदद लेनी चाहिए।
यदि आप की पत्नी तलाक लेना चाहती है तो उसे हिन्दू विवाह अ
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7 Comments
एक और मार्ग दर्शन , बहुत पुन्य का काम कर रहे है आप । अभार ।
अहम़् जानकारी..
सुनीलजी को उनकी पत्नी वापस मिले!
आप अपने इस ब्लोग में मुफ्त कानूनी सलाह देकर वास्तव में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं।
ज्ञानवर्धन हुआ.
सही सलाह
सुनील जी,
आपके द्वारा किया गया विवाह कानूनन वेध है। यदि आप अपनी पित्न को वापस चाहते हैं, तो आप अपने क्षेत्र के उच्च न्यायायल में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत करें। उच्च न्यायालय पुलिस के माध्यम से अतिशीघ्र आपकी पित्न को अपने समक्ष उपस्थित कराकर अपकी समस्या का निदान करने का प्रयास करेगी।
दूसरी शादी करने से रोकने के लिए आप जिला न्यायालय में उद्घोशणा एवं स्थाई निशेधाज्ञा (डिक्लेयरेशन एण्ड परमानेंट इंजंक्शन) हेतु प्रकरण प्रस्तुत कर सकते हैं, इसमें न्यायालय आपकी पित्न को दूसरा विवाह करने से रोक देगी।
पंकज शर्मा अधिवक्ता
09425175809