DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

मैं तलाक नहीं चाहता, मुझे क्या करना चाहिए?

  आकाश ने अपनी समस्या इस तरह रखी है ….
मेरा विवाह 30 नवंबर 2006 को हुआ था, विवाह के छह माह तक सब ठीक रहा। छह माह के बाद से मेरी ससुराल वाले मुझे अपना घर छोड़ कर अपने यहाँ मकान ले कर रहने के लिए कहने लगे। मेरे ससुर मेरी पत्नी को 16 सितंबर 2008 को विदा करा कर ले गए।  फिर जब में विदा कराने गया तो वह विदा नहीं किये और मुझे बेइज्जत कर के भगा दिया। वापस आ कर मैं ने धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम में दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन अदालत में प्रस्तुत किया। दूसरा पक्ष अदालत नहीं आया जिस से मुझे एक-तरफा डिक्री प्राप्त हो गई।  अदालत के आदेश पर भी मेरी पत्नी नहीं आई तो मैं ने उस के अदालत की डिक्री के निष्पादन का आवेदन प्रस्तुत किया हुआ है। मेरी पत्नी ने मेरे ऊपर धारा 125 दं.प्र.संहिता और धारा 13 व धारा 27 हिन्दू विवाह अधिनियम का मुकदमा कर दिया है। मैं तलाक नहीं चाहता मेरे एक दो वर्ष की संतान भी है। मेरी पत्नी मुझे उस से मिलने नहीं देती। मैं तलाक नहीं चाहता हूँ, मुझे उचित सलाह दें।    
उत्तर –

आकाश जी,

ब से अच्छी बात यह है कि आप ने तलाक नहीं लेने की इच्छा प्रकट की है। निश्चय ही इस के पीछे आप का अपनी संतान के प्रति मोह और प्रेम है। लेकिन विवाह के छह माह उपरांत ही आप के ससुराल वाले उन के नजदीक मकान ले कर रहने पर दबाव डालने लगे? फिर भी आप की पत्नी आप के साथ लगभग दो वर्ष तक रही और उस ने आप की संतान को जन्म दिया, इस के बाद वह अपने मायके गई और अब आने से इन्कार करती है? आप ने इन दो बातों के कारणों की तह में जाने का प्रयत्न नहीं किया। हो सकता है आप एक संयुक्त परिवार में या माता-पिता, भाई-बहनों के साथ रहते हों और कुछ ऐसे कारण हों जिन्हों ने आप की पत्नी को परेशान किया हो और उस वातावरण में वह स्वयं को असहज पाती हो और उस की समझ यह बनी हो कि वह सब को तो बदल नहीं सकती जिस से उस की परेशानी समाप्त हो जाए। इन परिस्थितियों में उस ने निर्णय लिया हो कि तभी आप दोनों का जीवन सही हो सकता है जब कि आप अपने परिवार से दूरी बना कर अपनी गृहस्थी बसाएँ। वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी कोई जड़ वस्तु नहीं होते। वे जीवन्त होते हैं और उन के बीच का संबंध भी जीवन्त होना चाहिए। मुझे लगता है कि आप और आप की पत्नी के बीच कोई गलतफहमी है जिसे आपसी बातचीत से दूर किया जा सकता है। मेरी राय में तो आप अपने सारे पूर्वाग्रहों को त्याग कर एक बार अपनी ससुराल जाएँ, वहाँ दो चार दिन रहें और अपनी पत्नी से प्यार और स्नेह से पूछें कि आखिर क्या कारण है कि वह आप के साथ आप के परिवार में नहीं रहना चाहती है। यदि आप स्वच्छ मन से इस नतीजे पर पहुँचे कि उस की बातों में दम है तो फिर विचार करें कि आप को अपनी गृहस्थी चलाने के लिए अब क्या करना चाहिए?
रना स्थिति तो यह बनी है कि धारा-9 की डिक्री आप के पास है। इस का निष्पादन नहीं कराया जा सकता है। केवल इतना किया जा सकता है कि एक वर्ष व्यतीत हो जाने पर आप अपनी पत्नी से तलाक ले सकें। आप की पत

Print Friendly, PDF & Email
One Comment