रेगिंग को रुकवाने के लिए लोकसभा के उम्मीदवारों से वायदा लें
|अभी हिमाचल प्रदेश में रैगिंग के कारण एक स्टूडंट की मौत का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कृषि अभियात्रिकी की एक छात्रा को सीनियर छात्राओं ने रैगिंग के नाम पर कपड़े उतारकर नाचने पर मजबूर किया जिसके बाद परेशान इस 20 वर्षीय छात्रा ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। छात्रा को तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया जहां गुरुवार देर रात उसे होश आया।
पिछले सप्ताह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक मेडिकल कॉलिज के स्टूडंट 19 वर्षीय अमन कुमार काचरू को सीनियर छात्रों ने रैगिंग के नाम पर बुरी तरह मारा पीटा था जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।
रेगिंग किस तरह से विद्यार्थियों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है? यह अब सब के सामने है। यह मानवाधिकार का उल्लंघन तो है ही साथ ही अपराध है। यह छात्रों को अपराधी भी बना रहा है। आप नतीजे तौर पर निम्न घटनाओं पर निगाह डालें चाहें तो क्लिक कर के इन्हें पढ़ भी लें।
- इंजीनियरिंग कॉलेज में रैगिंग का नंगा नाच
- रैगिंग की आरोपी छात्राएं गिरफ्तार
- रैगिंग: सीनियर्स पर हमला, जमकर हुई तोड़फोड़
- रैगिंग मामला: सीनियर्स स्टूडंट की होगी परेड
- रैगिंग मामले में पुलिस के हाथ अब भी खाली
- रैगिंग से परेशान होकर स्टूडंट ने खाया जहर
- रैगिंग नहीं, हल्का-फुल्का मजाक था: डीयू
- रैगिंग मामले में कॉलिज ने सीनियर्स का किया बचाव
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सुप्रीम कोर्ट पहले ही रेगिंग को रोकने के लिए शिक्षण संस्थानों के लिए निर्देश जारी कर चुका है। लेकिन आज मुश्किल यह कि रेगिंग के इस अपराध को रोकने के लिए पुलिस किस कानून के अंतर्गत कार्यवाही करे? इस के लिए यह आवश्यक हो गया है कि अब इस अपराध की ओर हमारी केन्द्र सरकार ध्यान दे और संसद में बिल लाकर भारतीय दंड संहिता में रेगिंग और उस से संबंधित अपराधों को परिभाषित कर दण्ड का प्रावधान करे तथा इन अपराधों को प्रसंज्ञेय व गैर जमानतीय अपराध बनाए। अगली लोक सभा का चुनाव निकट है। आप चाहें तो अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों से यह वायदा ले सकते हैं कि वह रेगिंग को अपराध घोषित करने और इसे रोकेने के लिए स्पष्ट कानून बनाने के लिए पहल करेगा।
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बहुत प्रभावकारी आलेख…
आपने एक नितान्तजरुरी विषय पर प्रकाश डाला. धन्यवाद.
रामराम.
जो भी बच्चा रैगिंग करे उसे कालिज से निकाल देना चाहिये, साथ मै चोराहे पर लेजा कर इतनी पिटाई की जाये की उस की सात पुस्ते रैगिंग करने की हिम्मत ना करे.
धन्यवाद
उम्मीदवारों से वायदा करा कर कुछ नहीं होने वाला. कानून व्यवस्था तो राज्य का मामला है. वास्तविकता तो यह है कि अपने बच्चो, पर मां बाप का नियंत्रण अब बिलकुल नहीं रहा.जिसे हम कहते हैं “संस्कार” यह तो रह ही नहीं गया. विद्यालयों/महाविद्यालयों में अनुशासन कठोर कर दिया जावे तो फिर यही माँ बाप चिल्लाना शुरू कर देंगे. लेकिन इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ तो करना ही होगा.
रैगिंग के लिये न जाने कितने कानून भी तो बनाये गये थे, उनका क्या हुआ ? और जहां तक उम्मीदवारों से वायदे लेने की बात है, वह वायदा कर तो देंगे, पर बाद में उन्हें भूलने में कितना वक्त लगेगा ? धन्यवाद ।
हाँ,कानून में कुछ सी व्यवस्था तो करनी ही होगी। कब तक हमारे युवा इस अमानुषिक व्यवहार को सहते रहेंगे? यही युवा अगले साल तक कठोर होकर नए छात्रों पर कहर ढाएँगे।
एक तरीका यह हो सकता है कि जब नए दाखिले होते हैं तब सीनियर छात्रों की एक महीने की छुट्टियाँ होनी चाहिएँ। जब तक वे लौटकर आएँगे तब तक नए छात्रों में आपसी सहयोग व एकता बन चुकी होगी और न ही वे नए वातावरण से डरे सहमे होंगे। इसमें अध्यापकों के लिए कठिनाई तो होगी परन्तु और कोई रास्ता भी नहीं दिखता।
कानून बनेंगे परन्तु हमारे देश में कानून से कम ही लोग,या कहिए भले लोग ही डरते हैं।
घुघूती बासूती