लिव-इन-रिलेशनशिप और पत्नी पर बेमानी बहस
|आठ अक्टूबर को जैसे ही महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के स्पष्टीकरण में पत्नी शब्द में लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को भी सम्मिलित किया जाना प्रस्तावित है, वैसे ही समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और समाचार वेब साइटस् पर बहस छिड़ गई कि इस के क्या असर होंगे? कुछ लोगों ने इस का स्वागत किया है। कुछ को लगा कि भारत में हिन्दू शब्द से परिभाषित समुदायों में विवाह को पवित्र संस्था माना जाता है, उस विवाह की पवित्रता नष्ट हो जाएगी, पुरुष अनियंत्रित हो जाएंगे, विधिक रूप से विवाहित पत्नी के अधिकार संकट में पड़ जाएंगे, इत्यादि।
इस विषय पर चल रही यह सब बहस पूरी तरह से बेमानी है। धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता पत्नी, संतान व माता-पिता के स्वयं अपना भरण पोषण करने में असमर्थ होने पर उन के भरण पोषण का दायित्व उठाने के संबंध में है। अब इस में लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को और सम्मिलित किया जाने का प्रस्ताव है और वह भी केवल मात्र महाराष्ट्र राज्य में।(महाराष्ट्र में वर्तमान में लागू धारा-125 दंड प्रक्रिया संहिता का अंग्रेजी पाठ यहाँ [Baseless Discussions on live-in-relationship & wife] पर देखा जा सकता है।) हो सकता है बाद में अन्य राज्य भी महाराष्ट्र का अनुसरण करें या फिर स्वयं केन्द्र सरकार केन्द्रीय कानून में ही इस संशोधन की बात पर विचार करे।
लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को ‘पत्नी’ शब्द के स्पष्टीकरण में सम्मिलित कर देने से कोई पहाड़ नहीं टूटने जा रहा है। लोग पहले से ऐसे रिलेशनशिप में रह रहे हैं। उस में यह था कि संबन्ध जब तक मधुर हैं तब तक पुरुष स्वेच्छा से इस दायित्व को निभा रहा था या नहीं निभा रहा था। लेकिन इस संशोधन के बाद यह स्थिति हो जाएगी कि ऐसे पुरुष को जो कि एक उचित अवधि तक किसी महिला के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहा है, उस की साथी महिला यदि स्वयं अपना भरण पोषण कर सकने में असमर्थ हो जाए तो वह किसी भी जुडिशियल मजिस्ट्रेट या पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सकेगी कि उसे उचित भरण पोषण राशि दिलाई जाए।
इस तरह की अर्जी देने वाली महिला को पहले तो यह साबित करना पड़ेगा कि वह उस पुरुष के साथ जिस पर वह अपने भरणपोषण का दायित्व डालने के लिए अर्जी दे रही है उस के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में उचित अवधि तक रही है। इस के बाद उसे यह साबित करना पड़ेगा कि वह अपना भरण पोषण कर सकने में असमर्थ है। इस के बाद भी अदालत इस बात पर विचार करेगी कि उस पुरुष की वास्तविक आर्थिक स्थिति क्या है और वह भरण पोषण के लिए कितनी राशि उस महिला को दे सकता है अपने अन्य दायित्वों को निभाते हुए।
इस संशोधन से विवाह की संस्था पर जरा भी असर होने वाला नहीं है। केवल लिव-इन-रिलेशनशिप पुरुषों पर कुछ आर्थिक दायित्व कानूनी रूप से आ जाएगा। इस से लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे संबंधों को कम करने में मदद ही मिलेगी। इस से विवाह जैसी संस्था पर कोई असर नहीं होने जा रहा है। एक बात और कि यह कानून सभी भारतीयों पर समान रूप से लागू होगा। चाहे वे किसी भी धर्म के मानने वाले क्यों न हों।
मेरे विचार में इस विषय पर माध्यमों द्वारा चलाई जा रही बहस सिरे से ही बेमानी है और केवल टीआरपी बढ़ाने का एक और सूत्र मात्र है।
शोषण तो कहीं खत्म नही होता । क्या ऐसे रिश्ते मे रहने वाले स्त्री या पुरुष के लिये बायगेमी के लिये दंड की व्यवस्था है ? स्त्री तो हमेशा से सुरक्षा खोजती है उसे भावनातम्क जुडाव भी जल्दी और ज्यादा होता है तो ऐसे सम्बंध टूटने पर नुकसान वही ज्यादा उठायेगी ।
जिनके संस्कार जो बचपन से होते हैं उन्हें क्या इससे असर पड़ेगा… सवाल ही नहीं उठता ! वैसे इसमें बुराई नहीं.
GERMANY KA TO PATA NAHEEN BANDHUO YAHAN NEW YORK(STATE) ME AAP JO RISHTA CHAHE BANA LO INCLUDING SAKHEE=SAKHEE ,DOST-DOST !
AUR BHAIYE JO AAP LIKHATE LIKHATE RAH GAYE.BIN FERE………NA JANE KAUN KAUN AUR KITANE MERE.MATA TO GAURANTEE HAI……..MUNNA MUNNEE BAAP KO HERE.PROBLEM ?NA TUM MERE NA HAM TERE DUNIYA HAI BAS RAIN-BASERE.JANAM JANAM KE FERE !
AB BHARAT BHEE UNNATI KAR RAHA HAI. JAI HO.VAISE LAVANYA JEE KA YAKCH PRASHNA…….RAKHELON KE BARE ME BHEE BATATE CHALEN VAKEEL SAHAB !
यह नया कानून स्त्री के यौनिक शोषण को खतम करने एवं उसे उसका हक दिलाने में एक अच्छा कदम है.
— शास्त्री
— हिन्दीजगत में एक वैचारिक क्राति की जरूरत है. महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)
Quote
एक बात और कि यह कानून सभी भारतीयों पर समान रूप से लागू होगा। चाहे वे किसी भी धर्म के मानने वाले क्यों न हों।
Unquote
वाकई में?
मुसलमानों पर भी?
इसलाम में Live in relationship को कभी मान्यता मिल सकती है?
यदि मर्द/औरत हिन्दू/मुस्लिम या मुस्लिम/हिन्दू हो तो क्या होगा?
कितने साल तक जीना होगा औरत को यह अधिकार पाने के लिए?
क्या ऐसे कानून सिर्फ़ एक ही राज्य में लागू हो सकते हैं?
यदि सहवास कुछ साल महाराष्ट्र में हो और फ़िर मर्द औरत को छोड़कर कोई और राज्य में बस जाता है तो क्या होगा?
बच्चों का क्या होगा?
मेरे मन मन में कई पेचीदे सवाल उठते हैं जिनका जवाब मेरे पास नहीं है।
एक आखरी सवाल।
हिन्दी में Live in Relationship के लिए क्या कहेंगे?
द्विवेदी जी को प्रणाम!
वास्तव में कानून तो कानून है ; यह प्रयोग करने और करवाने वाले के ऊपर है की वह किस तरह से इसका इस्तेमाल करते हैं / जानकारी और विश्लेषण से सिध्ध हुआ की wait & watch करना होगा इस कानून का प्रभाव और दुष्प्रभाव देखने के लिए….?
इस प्रस्तुति के लिए आभार
आदरणीय द्वेवेदी जी ,कल रात आपकी बहुत याद आई pl.don’t take it otherwise ,बो टीवी पर बहस चल रही थी वही पत्नी परिभाषा पर /में यही सोचता रहा की काश इस मंच पर हमारे द्विवेदीजी होते या कोई उनका आर्टिकल पढ़ कर सुनादेता बहस ही खत्म हो जाती /मज़ा ये था कि एक कहता और दूसरा बडे ध्यान से सुनता और जब वह बोलता तो सब्जेक्ट ही बदल जाता जैसे आप trade marks act पर बहस कर रहे हों आप की बाद सामने वाला मीलार्ड कह कर consumer protection Act पर शुरू हो जाता [वैसे आपके यहाँ बहुत अच्छा सिस्टम है “”हुकुम “कहने का एक आदरणीय शब्द ,एक राजसी संबोधन ,गरिमामय खैर / तो उस बहस में लोग ज़ोर ज़ोर से तालिया भी बजा रहे थे जैसे कोई ब्लॉग पर आए और बिना पढ़े हा हा हा लिख कर चला जाए पता ही नहीं चलता कि लेखक का मजाक उड़ा गया या तारीफ़ कर गया =एक घंटा बहस चली और निष्कर्ष कुछ न निकला
विश्लेषणात्मक जानकारी देने के लिए धन्यवाद ।
sir it is just trp matter
in my post i wriiten also about trp
if have time just visit
regards
आप केवल विषय वस्तु की वास्तविकता ही सामने नहीं ला रहे हैं, विषय को समझे बिना हल्ला मचाने वाले मीडिया की वास्तविकता भी सामने ला रहे हैं । बात को समझे बिना, बात पर अधिकारपूर्वक बोलने वालों को आपका ब्लाग पडने का समय नहीं मिलेगा ।
आर्थिक दबाव से उपजी स्थितियों की विवश देन है -‘लिव इन रिलेशनशिप’ । इसे बहुत अधिक समय तक टाला नहीं जा सकेगा । मुम्बई में रह रहे कम से कम तीन युगलों को मैं जानता हूं । कुआरे को किराये का मकान न मिलने के कारण वे तीनों ही युगल बनने को बाध्य हुए हैं ।
सही है…कोई आफत नहीं आने वाली है इस कानून से…वैसे भी सबको अपनी मर्जी के अनुसार रहने की आज़ादी है!मेरे विचार से शायद दोनों में से जो भी नहीं कमा रहा है , दूसरा उसे भत्ता देगा!पता नहीं कानून क्या कहता है?
देखिए, जो दिनेश जी समझा रहे हैं, वह भी हम समझ रहे हैं लेकिन राज भाटिया जी की बात पर गौर किया जाए क्योंकि वह रोज लिव इन रिलेशनशिप के नजारे कई सालों से जर्मनी या यूरोप में बैठकर देख रहे हैं।….. और हां भैय्या, अनुराग जी की टिप्पढ़ी पर जरूर ध्यान देना। डाक्टर साहब ने समाज का मर्ज पकड़ लिया है और उस वायरस का नाम है मीडिया। जो बिना सोचे समझे, बिना जाने-बुझे विरोध पर उतर आया है।
बहुत अच्छी और जानकारी से लबरेज़ तहरीर है…अपने ब्लॉग में आपके ब्लॉग का लिंक दे रही हूं…
हम कुछ नही बोलेगे इस लीव इन रीलेशनशीप ” क्यो कि हम तो इसे साकशात देखते है अपने इस देश मै ???
द्विवेदी जी =इस मीडिया ने तो मुझे ही वेबकूफ बना दिया -कितनी खतरनाक चीज है ये जो वेबकूफ को बेफकूफ बनाने चला था और इस वेबकूफी के चक्कर में ,मै जो वेवकूफ था -वाकई वेबकूफ बन गया और उसी रात एक कविता {{तुकबंदी }} कर डाली “”बिन फेरे “”अब क्या करू /खाना खाते मैं मैंने इतना ही समाचार सुना की कुछ आलोचक कह रहे है इससे हिन्दू मेरिज एक्ट पर असर पड़ेगा बस लिखने लगा कविता/सच है बिना विचारे जो करे …. उस वक्त १२५ की बात तो मेरे दिमाग में ही नहीं आई
यानी मीडिया फ़िर बिना जाने बूझे हल्ला मचा रहा है ,हाँ लावण्या जी का prshan भी mahatavpurn है उसका क्या कोई kanooni पहलु है ?
जानकारीपूर्ण लेख के लिये शुक्रिया
बहुत सही वकील साब।दुध का दुध और पानी का पानी कर दिया आपने। अपने देश मे नया फ़ैशन शुरु हुआ है।बिना जाने शेखी बघारने का।धुआं देखते ही फ़ायर ब्रिगेड बुलवा लेते हैं बाद मे पता चलता है धुआं गरीब की झोपडी का चूल्हा नही सुलगने से उठकर आस्मां मे नज़र आ रहा था।बहुत सही व्याख्या की आपने। आभार आपका।
sir
will proving “bigamy” will be possible because of this ??
which as of now is very difficult
in that case what will be the status of the family life
and where does that put the wife
she is bound to share her status with another woman
some questions if you can answer form legal angle
हमेशा की तरह जानकारी से भरपूर और संतुलित लेख ! धन्यवाद !
बहुत संतुलित लिखा है आपने इस विषय पर ..अच्छी जानकारी है यह
आप सही कहते हैं। कहीं कोई बहस चल रही है क्या? और बहस की गुंजाइश है?
बहुत अच्छी जानकारी !
सही है। कोई आफ़त नहीं आने वाली लेकिन इसी बहाने बहसियाने के मौके मिलेंगे।
बेहद संतुलित विश्लेषण, वैसे लावण्या जी ने सही प्रश्न उठाया है।
अगर महिला पुरुष से अधिक कमाती हो तब भी क्या पुरुष को ही
खर्चा देना होता है ऐसे
“लीव इन रीलेशनशीप ” मेँ ?
यहाँ( (in USA)तो कई बार अगर एक स्त्री
(सिने तारिका या गायिका जैसे मडोना है)
उसे के पतिने पैसा माँगा है ऐसे भी उदाहरण हैँ …
-लावण्या
बहुत बढिया लेख.. इस लेख से मुझे अपने कुछ मित्रों कि बात याद हो आयी.. मेरे 3 मित्र(एक मुंबई और दो बैंगलोर में),जिनमे एक महिला मित्र हैं, आजकल लिव-इन-रिलेशन में रह रहे हैं.. और जहां तक हमें दिखता है, वे सभी बहुत खुश और बिंदास रह रहे हैं.. खैर, क्या सही है और क्या गलत, मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता हूं..
बहुत सन्तुलित विश्लेषण. इस से कईयों की चिन्ताओं का निदान हो जाना चाहिए.
नए कानून को समझने में काफ़ी मददगार है यह कानूनगो द्वारा किया तथ्यात्मक विवेचन.