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लीज और लीज डीड क्या हैं?

lawसमस्या-

प्रकाश ने पहरिया, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-

लीज और लीज़ डीड क्या है? यह कहाँ लिखवाया जाता है? इसका लाभ क्या है? यह कितना वैध होता है?

समाधान

लीज (Lease) को हिन्दी में पट्टा भी कहा जाता है। लीज को संपत्ति हस्तान्तरण अधिनियम 1882 की धारा 105 में परिभाषित किया गया है। इस के अनुसार किसी भी अचल संपत्ति की लीज संपत्ति का उपभोग करने के अधिकार को किसी निश्चित समय अथवा सदैव के लिए किसी प्रतिफल के भुगतान या वायदे पर हस्तान्तरित करना है, यह लिखित और अलिखित दोनो प्रकार की हो सकती है। प्रतिफल धनराशि, साझेदारी, फसल, सेवा या अन्य मूल्यवान वस्तु के रूप में हो सकता है जिन्हें पट्टेदार स्वीकार करे और सावधिक, या विशिष्ट अवसरों पर संपत्ति के स्वामी को अदा करे। संपत्ति को पट्टे पर देने वाले को पट्टाकर्ता (लेसर) और लीज पर लेने वाले को पट्टेदार (लेसी) कहा जाता है तथा प्रतिफल को प्रीमियम या साधारण भाषा में किराया कहा जाता है।

लीज वार्षिक भी हो सकती है और मासिक भी। यदि लीज अलिखित है तो स्थानीय परंपरा से देखा जाएगा कि वह वार्षिक है अथवा मासिक। जैसे कृषि भूमि और उत्पादन के लिए दी गयी लीज आम तौर पर वार्षिक होती है। यदि लीज वार्षिक हुई तो छह माह के नोटिस पर जो कि लीज का वर्ष समाप्त होने पर समाप्त हा हो समाप्त की जा सकती है। शेष सभी प्रकार की लीज मासिक मानी जाती हैं और पट्टेदार या पट्टाकर्ता के 15 दिन के नोटिस जिस की अवधि माह के अंत में समाप्त हो समाप्त की जा सकती है।

वार्षिक या एक वर्ष से अधिक समय तक चलने वाली लीज का जिस का वार्षिक प्रीमियम तय किया गया हो उप पंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत होना आवश्यक है। अपंजीकृत लीज को कोई कानूनी कार्यवाही होने पर साक्ष्य में पढ़ा नहीं जा सकता। अन्य सभी प्रकार की लीज लिखित, पंजीकृत या मौखिक हो सकती हैं। लीज का विलेख पट्टाकर्ता और पट्टेदार दोनों के द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए।

किसी जमीन या मकान की किराएदारी भी तरह की लीज ही होती है जो राज्यों द्वारा बनाए गए किराएदारी कानून से शासित होती हैं। उन में और लीज में यही अन्तर है कि किराएदारी को केवल राज्य के किराएदारी कानून के अनुसार ही समाप्त किया जा सकता है। जब कि लीज को उस का कोई भी पक्षकार धारा 106 संपत्ति हस्तान्तरण अधिनियम के अन्तर्गत नोटिस दे कर समाप्त कर सकता है। लीज इस के अतिरिक्त इस अधिनियम की धारा 111 में वर्णित कारणों से भी समाप्त हो सकती है। ये कारण निम्न प्रकार हैं-

  1. लीज एग्रीमेंट में वर्णित समय समाप्त हो जाने पर;
  2. यदि लीज समाप्ति के लिए किसी घटना का उल्लेख हो तो वह घटना घटने पर;
  3. यदि पट्टाकर्ता का हित पट्टा की गयी संपत्ति में समाप्त होने या संपत्ति को हस्तान्तरित करने का अधिकार समाप्त हो जाए, तो ऐसा होने पर;
  4. यदि पट्टाकर्ता और पट्टेदार के हित किसी भी समय में एक ही व्यक्ति में निहित हो जाएँ;
  5. पट्टेदार द्वारा लिखित में पट्टे के अधिकार पट्टाकर्ता को सौंप दिए जाएँ या लिखित आपसी सहमति से पट्टा समाप्त हो जाए;
  6. परिस्थिति से यह निष्कर्ष निकल रहा हो कि पट्टा पट्टेदार द्वारा पट्टाकर्ता को सौंप दिया गया है;
  7. पट्टे की जब्ती से, जैसे पट्टेदार द्वारा पट्टे की किसी जरूरी शर्त के उल्लंघन से, या पट्टाकर्ता ने घोषणा कर दी हो कि उस का स्वत्व किसी तीसरे व्यक्ति को दे दिया गया है, या पट्टेदार दिवालिया हो गया हो और पट्टे की शर्त हो कि पट्टेदार द्वारा दिवालिया होने पर पट्टाकर्ता पट्टा संपत्ति का आधिपत्य ग्रहण कर लेगा। इस चरण में वर्णित मामलों में पट्टाकर्ता द्वारा कब्जा ग्रहण करने के पूर्व पट्टेदार को लीज समाप्ति का नोटिस देना अनिवार्य है।

ब आप ठीक से समझ गए होंगे कि पट्टा या लीज क्या है। लीज डीड इसी पट्टेदारी का पट्टा विलेख है। पट्टा विलेख किसी वकील से या डीड रायटर से लिखाया जा सकता है। यदि लीज एक वर्ष या उस से अधिक की हो तो उस का पंजीकृत होना आवश्यक है। पट्टा विलेख का लाभ यह है कि दोनों पक्षों के बीच पट्टे की क्या शर्तें तय हुई हैं यह स्पष्ट रहे।

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