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शासकीय अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार व्याख्या करते हैं

lawसमस्या-

प्रवीण ने रतलाम, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मैं रतलाम (मध्य प्रदेश) में सहायक लोक अभियाजक के पद पर पदस्थ हूँ। मध्य प्रदेश सरकार ने अपने आदेश दिनांक 11/12/2013 के द्वारा मेरी सेवा समाप्त कर दी थी। सम्बन्धित विवाद माननीय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, इंदौर में दिनांक 22/12/2013 से लंबित है, माननीय न्यायालय ने सरकार के आदेश दिनांक 11/12/2013 को स्थगित कर रखा है

मेरी समस्या यह है कि मैं पारिवारिक समस्याओं के कारण अपना स्थानान्तरण करवाना चाहता हूँ, लेकिन सरकार का इस सम्बन्ध में मत है कि न्यायालय में प्रकरण लंबित होने के कारण मेरा स्थानान्तरण नहीं हो सकता। क्या सरकार का यह मत उचित है जब कि माननीय न्यायालय ने सरकार के आदेश दिनांक 11/12/2013 को इसलिए स्थगित किया है ताकि मैं सेवा में बना रह सकूँ, उक्त आदेश को स्थगित करने के अलावा कोई अन्य आदेश माननीय उच्च न्यायालय ने नहीं दिया है।

समाधान-

प स्वयं लोक अभियोजक हैं और कानून के व्यवसायी हैं। आप स्वयं समझते हैं कि उच्च न्यायालय के आदेश की आप की व्याख्या सही है। सरकार की व्याख्या सही नहीं है। आप शासकीय सेवा में हैं तो यह भी जानते होंगे कि सरकारी विभागों में उच्च न्यायालयों के आदेशों की व्याख्या करने में दो फैक्टर काम करते हैं। एक तो यह कि कहीं उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन न हो जाए और उन्हें किसी तरह के कंटेम्प्ट की कार्यवाही का सामना न करना पड़े, दूसरा यह कि उन्हें खुद किस बात में सुविधा है? इसी कारण शासन ने उच्च न्यायालय के आदेश का ऐसी संकीर्ण व्याख्या प्रस्तुत की है। आप ने उस आदेश को यहाँ प्रस्तुत नहीं किया है जिस से हम उस आदेश की अपनी व्याख्या कर सकें। बिना आदेश की भाषा उपलब्ध हुए बिना उस की व्याख्या किया जाना संभव नहीं है।

प इस सम्बन्ध में अपने विभाग के उच्च अधिकारियों को प्रतिवेदन भेज कर स्पष्ट कर सकते हैं कि उक्त आदेश के कारण आप का स्थानान्तरण करने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है। इस मामले में कंटेम्प्ट की कार्यवाही भी सिर्फ आप की ओर से की जा सकती है। आप उन्हें एक अंडरटेंकिंग देते हुए आश्वस्त कर सकते हैं कि यदि आप का स्थानान्तरण किया जाता है तो आप किसी भी तरह की कंटेम्प्ट की कार्यवाही नहीं करेंगे।

आप ने अपनी सेवा मुक्ति को चुनौती देने के लिए रिट याचिका प्रस्तुत की है जिस में यह आदेश पारित हुआ है। इस याचिका में आप ने अपने वकील को नियुक्त किया है जो इस मामले को देख रहे हैं। इस परेशानी का हल निकालने के लिए आप उन से भी राय करें कि आप का स्थानान्तरण किए जाने के लिए क्या किया जा सकता है।

प की सेवा मुक्ति जिस किसी भी कारण से हुई हो। कारण होने के साथ साथ विभाग में किसी न किसी अधिकारी की रुचि भी इस में रही होगी कि आप के विरुद्ध तुरन्त कार्यवाही की जाए। ऐसे व्यक्ति अभी भी शासकीय सेवा में आप के विभाग में होंगे। अभी शासन ने यह व्याख्या की है कि आप का स्थानान्तरण नहीं हो सकता है। लेकिन एक बार यह व्याख्या हो जाने पर कि आप का स्थानान्तरण हो सकता है। ऐसे लोग अपनी कारस्तानी कर सकते हैं और आप का स्थानान्तरण ऐसे स्थान पर भी कर सकते हैं जहाँ आप को रतलाम में जितनी असुविधा हो रही है उस से अधिक असुविधा होने लगे। इस तरह आप के स्थानान्तरण के मामले में जो भी कुछ करना हो वह बहुत सोच समझ कर करें।