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संदेशों का संचार और बाबा आइंस्टीन की सापेक्षता

… अब तक बात यह हुई थी कि, प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाये तो वह वादा होता है; प्रत्येक वादा, या वादों का समूह जिस का कोई प्रतिफल भी निश्चित हो अनुबंध होता है; और प्रत्येक अनुबंध जिसे कानून द्वारा लागू कराया जा सकता हो कंट्रेक्ट होता है।

अब एक नया प्रश्न सामने आया कि प्रस्ताव, प्रस्ताव की स्वीकृति और उन का निरसन कब पूरा हुआ?

सीधी सी बात, कि जब सामने वाले को उस का पता लगे। पता तब लगेगा, जब वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचेगा। तो इस तरह संदेशों के संचार का प्रश्न उत्पन्न हो गया।

 

अब आगे…

संचार कब पूरा होगा? इस प्रश्न का उत्तर आप यही देंगे कि, जब सामने वाले को को भेजा हुआ संदेश प्राप्त हो जाएगा। संदेश को भेजने वाले और पाने वाले की स्थिति अलग-अलग होती है। यदि उपरोक्त तरीके से ही उस का आशय प्राप्त कर लिया जाए तो अक्सर झगड़ा पड़ जाता है। बाबा आइंस्टान वाला सापेक्षता का सिद्धांत यहाँ भी गड़बड पैदा करने लगता है।

इस गड़बड़ को दूर करने के लिए कानून से इसे स्पष्ट करना पड़ा।

  • एक प्रस्ताव का संचार तब पूर्ण होगा जब संदेश उस व्यक्ति के ज्ञान में आ जाएगा, जिसे वह भेजा गया है।
  • एक प्रस्ताव की स्वीकृति तब पूर्ण होगी जब वह उस व्यक्ति के ज्ञान में आ जाएगी जिसे वह भेजी गई है। लेकिन इस के भी दो भेद हैं……
  1. प्रस्तावक के लिए स्वीकृति का संचार तभी पूरा हो जाता है जब कि वह स्वीकर्ता (acceptor) द्वारा संचार में छोड़ दिया जाता है, क्यों कि तब स्वीकृति स्वीकर्ता की शक्ति से परे हो जाती है। किन्तु …
  2. स्वीकर्ता के विरुद्ध स्वीकृति का संचार तब पूर्ण होता है जब वह प्रस्तावक को प्राप्त हो जाता है।
  • इसी तरह निरसन का संचार…..
  1. निरस्त करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध तभी पूरा हो जाता है जब कि वह इसे मिलने वाले को भेजने के लिए संचार में छोड़ देता है, जिस से निरसन उस की शक्ति के परे हो जाता है।
  2. जिस व्यक्ति को यह निरसन भेजा जाता है उस के विरुद्ध तब पूर्ण हो जाता है जब वह उसे प्राप्त हो जाता है।

जैसे मैं ने आप को डाक से एक पत्र लिख कर यह प्रस्ताव दिया कि, मैं अपना मकान आप को 20 लाख रुपए में विक्रय करने को तैयार हूँ। तो यह पत्र आप को प्राप्त होते ही मेरे मकान के विक्रय के प्रस्ताव का संचार पूरा हो जाएगा।

अब आप इस प्रस्ताव की स्वीकृति मुझे …

  1. भी डाक से ही प्रेषित करते हैं, तो यह स्वीकृति मेरे विरुद्ध उसी समय पूरी हो जाएगी जब कि आप स्वीकृति-पत्र को मुझे भेजने के लिए डाक में छोड़ देंगे। लेकिन…
  2. यह आप के विरुद्ध तब पूर्ण होगी जब कि वह स्वीकृति पत्र मुझे प्राप्त हो जाएगा और स्वीकृति मेरे ज्ञान में आ जाएगी।

इसी तरह अगर मैं अपने प्रस्ताव को निरस्त करना चाहता हूँ और इस के लिए आप को एक तार प्रेषित करता हूँ तो…

  1. तार को तारघर में बुक कराते ही वह निरसन मेरे विरुद्ध पूर्ण हो जाएगा। लेकिन…
  2. वह आप के विरुद्ध तब पूर्ण होगा जब कि तार आप को प्राप्त होगा, और निरसन आप के ज्ञान में आ जाएगा।

अब अगर आप अपनी स्वीकृति को भी तार के माध्यम से प्रेषित संदेश के द्वारा निरस्त करना चाहते हैं तो…

  1. आप के द्वारा तार बुक कराते ही यह निरसन आप के विरुद्ध पूरा हो जाएगा; लेकिन…
  2. मेरे विरुद्ध यह तभी पूरा होगा जब कि यह तार मुझे प्राप्त होगा और निरसन मेरे ज्ञान में आ जाएगा। (धारा-4)

कंट्रेक्ट के सम्बन्ध में उत्पन्न होने वाले विवादों के निपटारे के लिए संचार के पूर्ण होने के सम्बन्ध में निश्चित किए गए ये नियम अत्यन्त आवश्यक क्यों हैं? इस बात को हम तब ठीक से समझ सकेंगे, जब अगली कड़ी में यह जानने का प्रयत्न करेंगे कि प्रस्तावों और स्वीकृतियों को किन दशाऔ में निरस्त किया जा सकता है, और कब नहीं?

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