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सरे आम स्त्री-सम्मान की हत्या की जा रही है और हत्यारे खुले घूम रहे हैं

यह सब उस देश में हो रहा है जिस की राष्ट्राध्यक्ष, सत्तासीन दल की अध्यक्ष और प्रान्त की मुख्यमंत्री स्त्रियाँ हैं।

एसएसपी ए. सतीश गणेश बुधवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहते हैं कि तफ्तीश में हर छोटी चीज को गंभीरता से लेकर उसकी जांच की जा रही है। आरुषि के पैरेंट, रिश्तेदार, नौकर व कई अन्य अब भी शक के दायरे में हैं। उनसे पूछताछ जारी है। मर्डर की वजह के बारे में भी जानकारी नहीं मिल पाई है और न ही कोई साक्ष्य मिला है। मामले की जांच में बिसरा रिपोर्ट और फिंगर प्रिंट की भूमिका अहम होगी। आगरा की फरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजी गई दोनों बिसरा की रिपोर्ट आने का इंतजार है। बिसरा की जांच बुधवार से शुरू हुई है, बिसरा रिपोर्ट आने में कम से कम 15 दिन लगते हैं, लेकिन सनसनीखेज मामला होने से इसकी रिपोर्ट जल्द ही आ जाएगी। अब तक किसी भी थ्योरी से जुड़ा कोई साक्ष्य नहीं मिला है। ऐसे में डबल मर्डर की वजह और कातिल के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

गुरूवार को खबर आती है कि आरुषि के माता पिता को अचानक पुलिस ले गई है। पिता डॉ. तलवार को गिरफ्तार कर लिया जाता है। फिर पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेन्स में आई जी नमूदार होते हैं और बताने लगते हैं ऐसी एक कहानी जो फिल्मी कहानियों की तरह सनसनीखेज है, पर उन के पास कोई सबूत नहीं। जैसे आरुषी का भूत उन्हें बता गया हो सब कुछ। वे डॉ. तलवार का अपनी सहयोगी से अवैध संबन्ध बताते हैं और नौकर का मृतका आरुषी के साथ। सबूत कुछ नहीं।

किसने उन्हें यह हक दिया कि वे एक 14 वर्ष की मकतूल मासूम और एक महिला डाक्टर के चरित्र पर बिना किसी सबूत के कीचड़ उछालें? कॉन्फ्रेंन्स लाइव दिखाई जा रही है, चैनलों पर। करोड़ों लोग देख रहे हैं। चर्चा कर रहे हैं। सारे चैनल सदियों से भूखों की तरह टूट पड़ते हैं। यह सब उस देश में हो रहा है जिस की राष्ट्राध्यक्ष, सत्तासीन दल की अध्यक्ष और प्रान्त की मुख्यमंत्री स्त्रियाँ हैं।

आखिर क्यों ऐसा होता है कि जर, जमीन और जोरू ही अपराध के पीछे के कारण माने जाते हैं?

उन अफसरों का क्या हुआ जिन्होंने सबूतो को नष्ट करने में अहम् भूमिका अदा की? उस अफसर का क्या जिस के पास कोई सबूत नहीं और देश भर की समस्त स्त्रियों पर लांछन लगा गया?

मैं ने पहले दिन ही कहा था कि आरुषी मामले में अगर कातिल को पकड़ लिया तो भी उस को सजा नहीं होगी। क्यों कि सबूतों को खुद पुलिस नष्ट कर चुकी है।

इसी पुलिस पर देश में अपराधों को कम करने की जिम्मेदारी है, यही पुलिस आतंकवादियों से निपट रही है, यही पुलिस देश में आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा उठाए है। पर इन कामों को करने के लिए उस के पास समय नहीं है। वह केवल नेताओं को प्रसन्न रखने के लिए है और उन की सुरक्षा के लिए। जनता की किसी को फिक्र नहीं।

कोई उठेगा इस पुलिस की खबर लेने को। अब महिलाओं को ही मोर्चा खोलना होगा, इन सब के खिलाफ। आखिर जिस की उंगली कटेगी वही कराहेगा।

स्र्त्रियों को अपने आत्म सम्मान की लड़ाई खुद शुरू करनी होगी। वे आवाज उठाएँ। राष्ट्रपति, सत्तादल की प्रमुख और प्रान्त की मुख्यमंत्री को घेरें, और उन से जवाब मांगें। क्यों सरे आम स्त्रियों के सम्मान की हत्या की जा रही है और हत्यारे खुले घूम रहे हैं?

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