ससुराल वालों को क्रूरतापूर्ण व्यवहार पर शर्म नहीं है तो पत्नी को तुरंत विवाह विच्छेद के लिए कार्रवाई करना चाहिए
|कमल जी ने पूछा है –
हम ने अपनी बेटी की शादी दो साल पहले इंदौर में की थी किन्तु उस के ससुराल वाले उसे मारपीठ करते हैं और मायके नहीं आने देते। हम छह माह पहले उसे मायके ले आए अब हम उसे भेजना नहीं चाहते हैं और ना ही बेटी जाना चाहती है। हम ने करीब दो लाख रुपए का दहेज दिया था। लड़के वाले दहेज नहीं लौटाना चाहते हैं और कहते हैं कि हम तो आप की लड़की को ऐसे ही रखेंगे उसे रहना हो तो रहे।
हम क्या करें? कृपया सलाह दें।
उत्तर —
कमल जी,
आप की समस्या का मूल कहाँ है उसे जानने का प्रयत्न आप को करना चाहिए। एक तो आप ने यह जाने बिना कि आप जिस परिवार में अपनी बेटी का विवाह कर रहे हैं वह कैसा है और वहाँ आप की बेटी के साथ कैसा व्यवहार होगा उस का विवाह कर दिया। अब जब उस के साथ ससुराल में दुर्व्यवहार हो रहा है तो आप परेशान हैं। आप ने अपने प्रश्न में यह भी नहीं बताया कि बेटी के साथ उस के पति का क्या व्यवहार है? उस के साथ मारपीट किन बातों को ले कर होती है।
खैर! कुछ भी हो कैसा भी कारण क्यों न हो किसी लड़की के साथ उस के ससुराल वालों और उस के पति को मारपीट करने का कोई कारण नहीं है। इस से बुरी बात और क्रूरता कोई और हो ही नहीं सकती। उस के बाद भी वे कहते हैं कि वे आप की बेटी को ऐसे ही रखेंगे, रहना हो तो रहे। तो ऐसी स्थिति में तो आप का अपनी बेटी को ससुराल नहीं भेजना ही उचित है।
आप की बेटी के साथ मारपीट कर के ससुराल वालों ने क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया है। ऊपर से वे दहेज का सामान जो कि आप की बेटी का स्त्री-धन है देने से इन्कार कर रहे हैं। उन के ये दोनों कृत्य स्पष्ट रूप से भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए और 406 के अंतर्गत दंडनीय अपराध हैं। आप या आप की बेटी इस की रिपोर्ट उस पुलिस थाने को करवा सकते हैं जहाँ आप की बेटी की ससुराल है। इस के अलावा यदि इंदौर में महिला थाना स्थापित है तो वहाँ भी आप की बेटी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा सकती है। यदि पुलिस थाना आप की रिपोर्ट दर्ज नहीं करता है और दर्ज करने में आनाकानी करता है तो आप इलाके के एस.पी. से मिल कर या रजिस्टर्ड डाक से शिकायत कर सकते हैं, वह रिपोर्ट दर्ज कर देगा। यदि यह भी नहीं होता है तो आप की बेटी सीधे न्यायालय में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है। न्यायालय उस शिकायत को आप की बेटी के बयान ले कर या बिना बयान लिए ही पुलिस को अन्वेषण के लिए भेज सकता है।
इस के अतिरिक्त आप की बेटी के साथ क्रूरता पूर्ण व्यवहार और हिंसा हुई है जिस के लिए आप की बेटी महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत शिकायत प्रस्तुत कर सकती है। जहाँ से उसे प्रतिमाह जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने का आदेश पारित हो सकता है। निर्वाह भत्ते के लिए आप कार्यवाही परिवार न्यायालय में धारा-125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत भी कर सकते हैं।
आप की बेटी के पास उस के पति से तलाक लेने के मजबूत कारण हैं। उस के साथ हिंसा हुई है और कूरता पूर्ण व्यवहार हुआ है और उस
के पति और ससुराल वालों को उस पर कोई शर्म नहीं है। वे कहते हैं कि वे ऐसा ही करेंगे। तो ऐसली स्थिति में मेरा सुझाव है कि उक्त समस्त कार्यवाहियाँ करने के साथ ही आप की बेटी को तुरंत विवाह विच्छेद के लिए भी आवेदन कर देना चाहिए। यदि शीघ्र विवाह विच्छेद हो जाता है तो आप की बेटी किसी अन्य व्यक्ति से विवाह कर नया जीवन आरंभ करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।
के पति और ससुराल वालों को उस पर कोई शर्म नहीं है। वे कहते हैं कि वे ऐसा ही करेंगे। तो ऐसली स्थिति में मेरा सुझाव है कि उक्त समस्त कार्यवाहियाँ करने के साथ ही आप की बेटी को तुरंत विवाह विच्छेद के लिए भी आवेदन कर देना चाहिए। यदि शीघ्र विवाह विच्छेद हो जाता है तो आप की बेटी किसी अन्य व्यक्ति से विवाह कर नया जीवन आरंभ करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।
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8 Comments
लद्देस के शठ अन्य होता हे तो उसका शठ उसका पति ही देना चाहिए किन्तु पति ही अन्यया kareऐसे पति के जीवन जुजरना सम्भव नही होगा सो तलाक लेकर पुनः विवाह कर लेना चाहिए ऐसी में लेडीज का हिट हे आयु पहले वाले पति को भी कौर में जाकर अपराध को काबुल कर सजा भुगतना चाहिए
पति अपराधी नही काबुल करता तो फिर पत्नी को अपने शठ रखे और अपनी गलती कोर्ट में शमा करे
@सलीम ख़ान
एक पति और उस के संबंधी जब एक विवाहित स्त्री के विरुद्ध क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते हैं तो वे एक अपराध करते हैं। हर अपराधी को सजा अवश्य मिलनी चाहिए। 498-ए उन अपराधियों को सजा देने के लिए बना कानून है। यदि एक सताई हुई स्त्री विवाह विच्छेद ले ले तो भी अपराधी इस कानून से नहीं बच सकते यदि स्वयं स्त्री ही उन्हें क्षमा न कर दे। आप स्त्रियों को इस लिए दोष देना चाहते हैं कि वे अपने अपराधियों सजा दिलाने के लिए आगे कदम बढ़ाती हैं, विवाह विच्छेद कर के उन्हें माफ नहीं कर देती। मुझे बहुत अफसोस है कि इस कानून को आप एक सड़ा हुआ कानून कहते हैं। यह सही है कि इस कानून के कारण बहुत से निर्दोषों को भी परेशान होना पड़ा है। पर वह कानून का दोष नहीं है अपितु पुलिस अन्वेषण में हुई तरफदारी और आवश्यकता की बीस प्रतिशत से भी कम अदालतें होने के कारण विचारण में हुई देरी के कारण है। उस के लिए जनता को आवाज बुलंद करनी चाहिए। यह धारा 498-ए ही है जिस से स्त्रियों ने अपने प्रति नाइंसाफी और अपराधों के विरुद्ध आवाज बुलंद करना सीखा है। अभी भी स्त्रियों के प्रति क्रूरता के केवल दस प्रतिशत मामले ही इस धारा में दर्ज हो पाते हैं। जिस दिन शतप्रतिशत मामले दर्ज होने लगेंगे मर्दों पर वाकई कहर टूट पड़ेगा। उन्हें वाकई सुधरने को बाध्य होना पड़ेगा।
सही कहा लेकिन वह व्यवहार की शिकायत के चलते विवाह विच्छेद का फैसला लेने के बजाये भारत के सबसे सड़े हुए क़ानून 498A का गलत सहारा लेती है… इसके बारे में भी लिखें
आजकल इस प्रकार के मामले ज्यादा देखने में आ रहे है | कई बार ऐसा भी होता है कि हम लोग मूल कारण को नजर अंदाज कर देते है | उस कारण से समस्या पैदा होती है केवल उसी पर ध्यान देते है |लड़कियों को थोडा शहनशील भी बनाना चाहिए | आधुनिक शिक्षा प्रणाली और परिवेश ने बच्चो में जिद करना अहम रखना ये सब पैदा किया है |
आपके सधे हुए जबाब से प्रश्न पढ़ने के दौरान उठी शंकाओं का निराकरण हुआ.
सामाजिक स्थिति को भ्रष्टाचार ने और बिगार कर रख दिया है / मेरी राय में पारिवारिक मुद्दे को सामाजिक आधार पर ,इमानदार लोगों के सहयोग से ही सुलझाने की कोशिस करनी चाहिए / थोरा इंतजार भी करना चाहिए /
बहुत अजीब अजीब से मामले आते है आम जन तो माथा ही पकड ले, आप ने बहुत सुंदर ओर सही सलाह दी. धन्यवाद
अच्छा लगा देख एक पिता का अपनी बेटी के लिए यूँ चिंतित होना…नहीं तो अक्सर माता-पिता उन्हें हर हाल में निभाने और सब कुछ सहने की सलाह देते हैं.
आपके जबाब ने उनकी सारी शंकाएं दूर कर दी होंगी…ईश्वर से प्रार्थना है की उनकी बेटी को न्याय मिले और उसके जीवन में फिर से खुशियाँ लौटें