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कालेज की सेवा में कमी के लिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत करें।

consumer protectionसमस्या-

सौरभ ने प्रतापगढ़, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मैं ने 2007-08 में भानपुरा एम.एड. कालेज में एम.एड. हेतु प्रवेश लिया था। प्रवेश के समय कालेज ने मुझे एन.सी.आर.टी. से मान्यता प्राप्त होने के प्रमाण दिखाये थे। मैं ने कुल 1 लाख रुपये फीस दी। जिस में से रु. 25000/- की उन्होंने रसीद दी। शेष की कच्ची रसीद मेरे पास है। 2009 में परीक्षा हुई किन्तु आज तक परिणाम नहीं आया। बाद में पता चला उन को विश्वविद्यालय से मान्यता नहीं हुई थी। उन्होने कोर्ट के द्वारा परीक्षा करवाई थी। अब कोर्ट में मामला है। कालेज बनाम वि.वि.। मैं ने 2013 में कालेज को नोटिस भी भेजा किन्तु कोई जवाब नहीं आया। अब मैं कालेज के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई कर सकता हूँ क्यों कि कालेज ने धोखे में रख कर मेरे 5 वर्ष एवम् 1 लाख रुपये से लूटा है तथा मानसिक रुप से भी में परेशान हुआ हूँ।

समाधान-

प कालेज के उपभोक्ता हैं। आप की परीक्षा का परिणाम का कालेज की कमी से रुका है जिस से आप को असुविधा हुई है। वैसी स्थिति में कालेज को न केवल आप से प्राप्त की गई समस्त शुल्क लौटाना चाहिए बल्कि उस राशि पर ब्याज भी देना चाहिए।

स के अतिरिक्त आप को शारीरिक व मानसिक संताप भी सहन करना पड़ा है और कालेज की कमी के कारण आप का बहुमूल्य समय भी नष्ट हुआ है। इस के लिए भी पर्याप्त क्षतिपूर्ति कालेज को करना चाहिए।

न सब क्षतियों की पूर्ति मूल्य में संभव नहीं है। इस कारण मैं मानता हूँ कि इस मामले में आप को कुल मिला कर कम से कम 20 लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में कालेज से मिलना चाहिए। इस राशि में कमी तभी हो सकती है जब कि कालेज किसी तरह आप को एमएड की डिग्री दिलाने में सफल हो जाए।

प को इस के लिए जिला उपभोक्ता प्रतितोष मंच के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए।

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